Hydrogen Solar Panel: अभी तक आपने धूप ग्रहण करके बिजली का निर्माण करने वाले सोलर पैनल देखें होंगे या इनके बारे में सुना होगा लेकिन अब सोलर पैनल हवा में मौजूद हाइड्रोजन से भी बिजली बनाने का काम करेंगे। इन सोलर पैनल का नाम हाइड्रोजन सोलर पैनल है। इनकी खासियत बात तो यह है कि दिन के समय में ये धूप से बिजली का निर्माण करेंगे लेकिन रात के समय में भी बिजली का निर्माण कर पाएंगे। आपको बता दें अभी के समय में इन सोलर पैनल का इस्तेमाल विदेशों में किया जा रहा है लेकिन अभी भारत में इनका निर्माण हो रहा है जल्द ही यह आपको बाजार में नजर आएँगे। आपको बता दें भोपाल शेयर में 25 हजार सोलर पैनल स्थापना के लक्ष्य पर पूरे प्रयास के साथ काम कर रही है। इन पैनलों से लम्बे समय तक बिजली स्टोर की जा सकती है जिससे आप महीने के बिजली बिल का खर्चा कम कर सकते हैं।
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कैसे करेंगे ये सोलर पैनल काम?
ये सोलर पैनल बिजली बनाने के लिए एक खास प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं जिसका नाम फोटो – केटलिटिक वाटर स्पिटिंग प्रोसेस है। इस प्रक्रिया के तहत पानी को हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन में बांटा जाता है। ये पैनल अपने ट्यूबों के जरिए वायुमंडल में उपस्थित जल वाष्प को अवशोषित करने का काम करते हैं। जैसे ही सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आते हैं , कैटलिटिक प्रक्रिया शुरू हो जाती है इस दौरान हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन अलग अलग होते हैं। जल्द ही यह सोलर पैनल भारत के बाजार में उपलब्ध होने वाले हैं। इन सोलर पैनल को लगाकर आप बिजली मामलों में आत्मनिर्भर बन सकते हैं। बिजली आवश्यकताओं को तो पूरा ही करता है साथ ही यह पर्यावरण को सुरक्षित रखता है। अर्थात यह पैनल पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।
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जापानी कंपनियां द्वारा हो रहा है कार्य
ये सोलर पैनल धूप की रौशनी को ग्रहण करके बिजली जनरेट तो करेंगे ही साथ में हाइड्रोजन का निर्माण भी करेंगे। सोलर पैनल में हाइड्रोजन का उत्पादन भी होगा जिसे हाइड्रोजन टैंकों में इकठ्ठा करके रखा जा सकता है तथा जरूर पड़ने पर इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको बता दें हाइड्रोजन का इस्तेमाल ईंधन सेल में भी होता है यह बिजली उत्पन्न करने का काम करेगा। इस बिजली का उपयोग वाहनों को चलाने में हो सकता है। इसी को देखते हुए जापान की कई कम्पनियाँ इस पर कार्य कर रही है ताकि भविष्य में वाहनों को हाइड्रोजन से भी चलाया जा सके। इस प्रक्रिया के तहत हम अपनी घरेलू बिजली आवश्यकताओं के साथ उद्योग की बिजली जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। उम्मीद लगाई जा रही है कि एक दो साल के भीतर यह पैनल बाजार में बिकने शुरू हो जाएंगे।