
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के खास रिवीजन (Special Intensive Revision) मामले की सुनवाई के दौरान मंगलवार को साफ कहा कि आधार को केवल जांच-पड़ताल के बाद ही स्वीकार किया जाए और वोटर बनने के लिए सिर्फ आधार ही काफी नहीं है। इस फैसले के बाद लोगों में और सोशल मिडिया पर सवाल उठ रहे हैं-जब ज़्यादातर सरकारी योजनाओं में आधार को पहचान के रूप में लिया जाता है, तो अब क्या होगा।
सरकारी योजनाओं में आधार का इस्तेमाल
भारत में आधार को कई सालों से एक अहम पहचान दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। राशन, पेंशन, बैंक खाता, गैस सब्सिडी और DBT ट्रांसफर जैसी योजनाओं में आधार की जरूरत पड़ती है। हालांकि कानून के अनुसार यह हर जगह जरूरी नहीं है, लेकिन ज़्यादातर योजनाओं में इसकी अहमियत बनी हुई है।
बैंक में आधार का महत्व
बैंक खाता खोलने से लेकर जनधन योजना तक, सभी बैंक KYC प्रक्रिया में आधार को पहचान और पते के प्रमाण के रूप में स्वीकार करते हैं। नए खाते खोलने या पुराने खाते की जानकारी अपडेट करने में भी आधार की जरूरत पड़ती है।
राशन और PDS में आधार की जरूरत
पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) के तहत राशन लेने के लिए अब बायोमेट्रिक सिस्टम लगाया गया है, जिसमें अंगूठे का निशान या आंख की स्कैनिंग से पहचान होती है। इसमें आधार का डेटा ही इस्तेमाल होता है, जिससे यह साबित होता है कि सही व्यक्ति को ही अनाज मिल रहा है।
पेंशन और डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट
पेंशन पाने वाले लोगों को डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट देने में आधार का इस्तेमाल होता है। इससे पेंशनधारक को हर साल दफ्तर जाकर अपनी मौजूदगी साबित नहीं करनी पड़ती। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद इस व्यवस्था में भी कुछ बदलाव हो सकते हैं।
गैस सब्सिडी और DBT योजनाएं
एलपीजी गैस सब्सिडी के लिए भी आधार नंबर को बैंक खाते से जोड़ना जरूरी माना जाता है। इसी तरह, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) वाली योजनाओं में जैसे किसानों की मदद की रकम, छात्रवृत्ति या दूसरी सरकारी सहायता सीधे खाते में भेजने के लिए आधार का इस्तेमाल किया जाता है।
मोबाइल सिम और राज्य के प्रमाण पत्र
मोबाइल कंपनियां सिम कार्ड देते समय आधार को पहचान और पते के सबूत के रूप में लेती हैं। कई राज्यों में आय प्रमाण पत्र या अन्य सरकारी कागज़ बनवाने के लिए भी आधार की मांग होती है, जैसे दिल्ली में आय प्रमाण पत्र के लिए।
कानून क्या कहता है?
आधार अधिनियम, 2016 के मुताबिक, आधार पहचान और पते का सबूत हो सकता है। लेकिन सिर्फ आधार न होने पर किसी को सरकारी सुविधा से वंचित नहीं किया जा सकता, जब तक कि कानून में यह खास तौर पर लिखा न हो। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में भी कहा था कि आधार का इस्तेमाल कई सरकारी योजनाओं में किया जा सकता है, लेकिन इसे हर सेवा के लिए जरूरी नहीं बनाया जा सकता।
ताज़ा फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि चुनाव से जुड़ी प्रक्रिया में आधार का इस्तेमाल सीमित हो सकता है, और दूसरी योजनाओं में भी इसके इस्तेमाल के तरीके में बदलाव हो सकते हैं। हालांकि, जब तक कानून में बदलाव नहीं होता, तब तक ज़्यादातर योजनाओं में आधार की अहमियत बनी रहेगी।