भू कानून बना मुसीबत! आधार कार्ड में दर्ज पते ने हजारों को बना दिया ‘बाहरी’, पुश्तैनी जमीन पर मंडराया खतरा

उत्तराखंड में भू-कानून (Land Law) लागू करते वक्त प्रशासन ने आधार कार्ड में दर्ज पते को पहचान का आधार मान लिया, जिससे खुद राज्य के ही सैकड़ों लोग "बाहरी" घोषित हो गए। उनकी पुश्तैनी जमीनों पर सरकारी कब्जे के आदेश जारी हो चुके हैं। जानिए कैसे एक एड्रेस अपडेट बना लोगों के लिए सबसे बड़ा संकट

Photo of author

Written byRohit Kumar

verified_75

Published on

भू कानून बना मुसीबत! आधार कार्ड में दर्ज पते ने हजारों को बना दिया 'बाहरी', पुश्तैनी जमीन पर मंडराया खतरा
भू कानून बना मुसीबत! आधार कार्ड में दर्ज पते ने हजारों को बना दिया ‘बाहरी’, पुश्तैनी जमीन पर मंडराया खतरा

उत्तराखंड में भू-कानून (Land Law) के सख्त पालन के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद प्रशासन ने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इस प्रक्रिया में आधार कार्ड (Aadhar Card) में दर्ज बाहरी राज्यों के पते की वजह से खुद उत्तराखंड के कई निवासी राज्य के बाहर के नागरिक माने गए। इसके चलते प्रशासन ने न केवल उनकी पुश्तैनी जमीनों (Ancestral Land) पर कब्जा लेने का आदेश जारी किया, बल्कि उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में “बाहरी व्यक्ति” घोषित कर दिया गया।

यह भी देखें: Motorola का नया फोल्डेबल फोन जल्द होगा लॉन्च! 12GB रैम, 50MP कैमरा और गीले हाथ से भी चलेगा आराम से

भू-कानून के अनुपालन में आई तेजी

Earthnewj से अब व्हाट्सप्प पर जुड़ें, क्लिक करें

हाल ही में मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिलाधिकारी सविन बंसल ने सभी उप जिलाधिकारियों को आदेश जारी किया कि राज्य में जमीनों की खरीद-फरोख्त में हुए नियमों के उल्लंघन की जांच कर रिपोर्ट तैयार करें। उन्होंने विशेष रूप से 250 वर्ग मीटर से अधिक आवासीय भूमि, कृषि भूमि और औद्योगिक भूमि की खरीद में नियमों को नजरअंदाज करने वाले मामलों की छानबीन करने को कहा।

गैर-राज्य के पते ने स्थानीय लोगों को बनाया “बाहरी”

जांच के दौरान यह सामने आया कि कई उत्तराखंड निवासी, जो रोजगार या नौकरी के लिए राज्य से बाहर गए थे, उन्होंने अपने आधार कार्ड में स्थानीय पते को बदलकर उस राज्य का पता दर्ज करवा लिया था, जहां वे काम कर रहे थे। जब प्रशासन ने भूस्वामियों की जांच आधार कार्ड में दर्ज पते के आधार पर शुरू की, तो कई स्थानीय निवासी “बाहरी व्यक्ति” की श्रेणी में आ गए। इसका नतीजा यह हुआ कि उनकी पुश्तैनी जमीनें भी सरकार के अधीन की जाने लगीं।

यह भी देखें: IPL शुरू होने से पहले धड़ाम हुए Smart TV के दाम! 32-इंच टीवी मिल रहा इतने सस्ते में कि आप भी चौंक जाएंगे

दस्तावेजों के सहारे साबित कर रहे हैं नागरिकता

प्रशासन की इस कार्रवाई के विरोध में कई ऐसे भू-स्वामी अब अपने स्थानीय दस्तावेज लेकर सामने आ रहे हैं और खुद को उत्तराखंड का निवासी साबित कर रहे हैं। सुनवाई की प्रक्रिया में वे यह स्पष्ट कर रहे हैं कि जिस जमीन पर सरकार कब्जा लेने की तैयारी कर रही है, वह दरअसल उनके पूर्वजों की भूमि है और वे इसके वैध उत्तराधिकारी हैं।

Also Readसरकारी कर्मचारियों के लिए शादी का पंजीकरण अनिवार्य, CSC जल्द शुरू करेगा विशेष अभियान!

सरकारी कर्मचारियों के लिए शादी का पंजीकरण अनिवार्य, CSC जल्द शुरू करेगा विशेष अभियान!

393 मामलों में नियमों की अनदेखी, 200 हेक्टेयर जमीन सरकार के अधीन

जिलाधिकारी द्वारा कराई गई जांच में सामने आया कि देहरादून और आसपास के इलाकों में कुल 393 लोगों ने नियमों को दरकिनार कर भूमि खरीदी है। इनमें से करीब 300 मामलों में प्रशासनिक कार्यवाही हो चुकी है। लगभग 200 हेक्टेयर भूमि पर सरकार ने अधिकार जताते हुए संबंधित भूस्वामियों को नोटिस भेजा है और अपना पक्ष रखने को कहा है।

पता बदलने से बदल गए नियम

यह घटनाक्रम इस सच्चाई को उजागर करता है कि आधार कार्ड में पता बदलना, जो सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है, कैसे भू-कानून के पालन के दौरान एक बड़ी बाधा बन गई। हजारों की संख्या में उत्तराखंड के लोग अन्य राज्यों में वर्षों से काम कर रहे हैं और स्थानीय जरूरतों के चलते उन्होंने आधार में नया पता अपडेट करा लिया। लेकिन इसी अपडेट ने उन्हें राज्य के नजर में बाहरी बना दिया और उनकी जमीनें संदेह के घेरे में आ गईं।

यह भी देखें: भारत का इकलौता राज्य जहां करोड़पतियों को भी नहीं देना पड़ता ₹1 टैक्स! जानें कैसे बिना टेंशन बचाते हैं कमाई

सरकार की सख्ती से बना अनजाना संकट

राज्य सरकार द्वारा भू-कानून को सख्ती से लागू करना एक सराहनीय कदम है, जिससे बाहरी तत्वों द्वारा राज्य की भूमि खरीदने पर रोक लगाई जा सके। लेकिन जब यही सख्ती राज्य के असल निवासियों के लिए परेशानी का सबब बन जाए, तो यह नीति की समीक्षा की मांग करता है। प्रशासन को अब इस बात की भी गंभीरता से जांच करनी होगी कि आधार कार्ड की जानकारी के अलावा और कौन से प्रमाण स्वीकार्य माने जाएं, ताकि वास्तविक उत्तराखंडी लोगों को अनावश्यक परेशानी से बचाया जा सके।

भविष्य में हो सकती है नीति में संशोधन की जरूरत

यह पूरा घटनाक्रम संकेत देता है कि राज्य सरकार को भू-कानून के साथ-साथ पहचान और निवास प्रमाण के मानकों की भी समीक्षा करनी चाहिए। सिर्फ आधार कार्ड के पते के आधार पर कोई बाहरी या स्थानीय घोषित करना न्यायसंगत नहीं है। आने वाले समय में यह जरूरी होगा कि रोजगार के लिए बाहर गए लोगों के अधिकारों की रक्षा करते हुए एक व्यावहारिक और संवेदनशील नीति तैयार की जाए।

Also ReadApache RTR 160 V4: 77km धाकड़ माइलेज वाली दमदार बाइक, गरीबों की बल्ले-बल्ले! यहां देखें जानकारी

Apache RTR 160 V4: 77km धाकड़ माइलेज वाली दमदार बाइक, गरीबों की बल्ले-बल्ले! यहां देखें जानकारी

You might also like

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें