सुनीता विलियम्स के बाद अब ये भारतीय जाएंगे अंतरिक्ष, फिर लहराएगा तिरंगा

सुनीता विलियम्स के बाद अब ये भारतीय जाएंगे अंतरिक्ष, फिर लहराएगा तिरंगा
सुनीता विलियम्स के बाद अब ये भारतीय जाएंगे अंतरिक्ष, फिर लहराएगा तिरंगा
सुनीता विलियम्स के बाद अब ये भारतीय जाएंगे अंतरिक्ष, फिर लहराएगा तिरंगा

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) लंबे वक्त तक अंतरिक्ष में रहने के बाद सकुशल धरती पर लौट आई हैं। उनके अंतरिक्ष मिशन ने दुनियाभर में भारत का नाम रौशन किया। अब उनके बाद एक और भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री डॉ. अनिल मेनन (Dr. Anil Menon) अंतरिक्ष की ओर कदम बढ़ाने को तैयार हैं। यदि सब कुछ योजना के मुताबिक चलता है, तो आने वाले वर्ष में भारतवंशी अनिल मेनन अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले अगले यात्री बन सकते हैं। इससे एक बार फिर अंतरिक्ष में भारतीय प्रतिभा और तिरंगे का दम देखने को मिलेगा।

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डॉ. अनिल मेनन की अंतरिक्ष यात्रा भारत और दुनिया के लिए एक और प्रेरणादायक अध्याय होगी। सुनीता विलियम्स की तरह ही वह भी अंतरिक्ष में भारतीय मूल की उपस्थिति को और मजबूत बनाएंगे। यह न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद को भी दर्शाएगा।

नासा के मिशन में अहम भूमिका निभा सकते हैं डॉ. अनिल मेनन

डॉ. अनिल मेनन पेशे से एक मेडिकल डॉक्टर और फाइट सर्जन हैं। उनका चयन NASA (नासा) के भावी अंतरिक्ष मिशनों के लिए हुआ है। वह SpaceX के साथ भी जुड़े रहे हैं और अब उन्हें संभावित रूप से चंद्रमा मिशन ‘Artemis’ के दल में शामिल किया जा सकता है। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अहम होगा, बल्कि इसमें भारतीय मूल के एक और व्यक्ति की भागीदारी, भारत के लिए गर्व का विषय होगी।

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मेडिकल बैकग्राउंड के साथ स्पेस टेक्नोलॉजी का अनुभव

अनिल मेनन का बैकग्राउंड मेडिकल है, लेकिन उन्होंने अपने करियर में कई आपातकालीन मिशनों में भाग लिया है। उन्होंने अफगानिस्तान और नेपाल में राहत कार्यों में चिकित्सा सेवाएं दी हैं। साथ ही, उन्होंने अंतरिक्ष चिकित्सा पर विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है। नासा में उनके प्रशिक्षण में उन्हें अंतरिक्ष में मेडिकल इमरजेंसी हैंडल करने की ट्रेनिंग दी गई है। इस कारण उन्हें विशेष मिशनों के लिए आदर्श उम्मीदवार माना जा रहा है।

सुनीता विलियम्स: भारतीय मूल की प्रेरणादायी अंतरिक्ष यात्री

सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष करियर प्रेरणास्रोत रहा है। उन्होंने दो अंतरिक्ष अभियानों में हिस्सा लिया और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर 300 से ज्यादा दिन बिताए। वह स्पेसवॉक (अंतरिक्ष में चहलकदमी) करने वाली पहली भारतीय मूल की महिला भी हैं। उनके रिकॉर्ड और उपलब्धियों ने दुनिया भर की महिलाओं और खासकर भारतीय लड़कियों को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

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Artemis मिशन और भारतीय मूल की भागीदारी

NASA का Artemis मिशन चंद्रमा पर इंसानों की वापसी की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसमें अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर भेजा जाएगा और भविष्य के Mars मिशन की तैयारी की जाएगी। अगर अनिल मेनन को इस मिशन में चुना जाता है, तो वह न केवल चंद्रमा की यात्रा करने वाले पहले भारतीय मूल के पुरुष बन सकते हैं, बल्कि इससे भारत की वैश्विक वैज्ञानिक भागीदारी को भी नया आयाम मिलेगा।

तकनीकी प्रगति में भारतीय मूल के वैज्ञानिकों की भूमिका

पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर में भारतीय मूल के वैज्ञानिकों और तकनीशियनों ने अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी (Space Research and Technology) के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चाहे वह NASA हो, ISRO हो या यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA), भारतीयों की मौजूदगी हर जगह दर्ज है। अनिल मेनन की अंतरिक्ष यात्रा इस लिस्ट में एक और नाम जोड़ देगी।

भारत के लिए गर्व का विषय

भारत के लिए यह एक गर्व की बात है कि दुनिया की सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी NASA में भारतीय मूल के लोग अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। इससे युवा पीढ़ी को विज्ञान, चिकित्सा और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में करियर बनाने की प्रेरणा मिलती है। आने वाले समय में भारत और भारतीय मूल के वैज्ञानिकों की यह भागीदारी वैश्विक स्तर पर और भी मजबूत होती दिखाई देगी।

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आने वाले साल में हो सकता है लॉन्च

माना जा रहा है कि अनिल मेनन अगले साल लॉन्च होने वाले किसी प्रमुख मिशन का हिस्सा हो सकते हैं। हालांकि NASA की ओर से आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन उनकी तैयारी और प्रशिक्षण इस ओर इशारा कर रही है कि वह जल्द ही अंतरिक्ष की ओर रवाना हो सकते हैं।

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By Rohit Kumar

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