क्या आपका एयर कूलर मच्छरों का अड्डा बन गया है? डेंगू-मलेरिया से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय

क्या आपका एयर कूलर मच्छरों का अड्डा बन गया है? डेंगू-मलेरिया से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय
क्या आपका एयर कूलर मच्छरों का अड्डा बन गया है? डेंगू-मलेरिया से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय

गर्मी के मौसम में जैसे-जैसे तापमान चढ़ता है, वैसे-वैसे एयर कूलर हर घर की जरूरत बन जाते हैं। तपती धूप और चुभती उमस से राहत पाने के लिए लोग इनका खूब इस्तेमाल करते हैं। लेकिन एयर कूलर (Air Cooler) जहां ठंडक का जरिया बनते हैं, वहीं अगर इनकी साफ-सफाई पर ध्यान न दिया जाए, तो ये डेंगू और मलेरिया (Dengue-Malaria) जैसे गंभीर रोग फैलाने वाले मच्छरों के लिए आदर्श ब्रीडिंग ग्राउंड बन सकते हैं।

क्या आपका एयर कूलर मच्छरों का अड्डा बन गया है? डेंगू-मलेरिया से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय

प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हर साल गर्मियों की शुरुआत में जनता को आगाह करता है कि वे अपने कूलर की सफाई नियमित रूप से करें। खासकर जब डेंगू फैलाने वाला एडीस एजिप्ती (Aedes Aegypti) और मलेरिया फैलाने वाला फीमेल एनोफिलीज मच्छर (Female Anopheles) रुके हुए पानी में अंडे देते हैं। कूलर का टैंक और उसमें जमा पानी इन मच्छरों के लिए बिल्कुल उपयुक्त वातावरण तैयार करता है।

कैसे एयर कूलर बनता है मच्छरों का घर?

जब एयर कूलर का पानी लंबे समय तक बदला नहीं जाता या टैंक में गंदगी जम जाती है, तो यह मच्छरों के अंडे देने के लिए एक परफेक्ट लोकेशन बन जाती है। एडीस एजिप्ती मच्छर दिन के वक्त काटता है और इसी से डेंगू फैलता है, जबकि फीमेल एनोफिलीज मच्छर रात के वक्त मलेरिया फैलाने वाला काटता है। इन दोनों के लिए कूलर के अंदर जमा पानी एक आदर्श स्थान होता है। अंडे देने के कुछ ही दिनों के भीतर लार्वा विकसित होकर वयस्क मच्छर बन जाते हैं, और घर में बीमारियों का खतरा मंडराने लगता है।

कूलर को मच्छरों का अड्डा बनने से कैसे रोकें?

एयर कूलर से होने वाले जोखिम से बचने के लिए उसकी समय-समय पर सफाई और देखभाल बेहद जरूरी है। इसके लिए कुछ जरूरी उपाय अपनाए जा सकते हैं जो मच्छरों की ब्रीडिंग को रोकने में सहायक सिद्ध होंगे।

पानी को हर 2-3 दिन में बदलें

सबसे पहले और जरूरी कदम यही है कि कूलर के टैंक में जमा पानी को हर 48 से 72 घंटे के भीतर पूरी तरह खाली किया जाए। पुराने पानी में मच्छरों को अंडे देने और विकसित होने का समय मिल जाता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ता है।

टैंक की thorough सफाई करें

पानी बदलने के बाद कूलर के टैंक को अंदर से अच्छी तरह ब्रश और साबुन से साफ करें। अगर संभव हो तो थोड़ी मात्रा में ब्लीच या फिनाइल मिलाकर टैंक को डिसइंफेक्ट करें, लेकिन इसे बाद में अच्छी तरह धोना न भूलें। जमा हुई काई, गंदगी या जैविक पदार्थ मच्छरों के लार्वा के पोषण का स्रोत बन सकते हैं।

कूलर को समय-समय पर सुखाएं

यदि कुछ समय के लिए कूलर का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, तो टैंक को पूरी तरह खाली करके सूखने दें। सूखा टैंक मच्छरों को अंडे देने से रोकता है और दुर्गंध भी नहीं पनपती।

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कूलर के आसपास पानी जमा न होने दें

कूलर के नीचे रखा स्टैंड या फर्श पर पानी जमने न दें। वहां भी मच्छर अंडे दे सकते हैं। इसलिए आसपास की जगह को भी साफ और सूखा रखें।

कूलर के पानी में एंटी-लार्वा उत्पाद डालें

आजकल बाजार में ऐसे केमिकल या टेबलेट्स उपलब्ध हैं जिन्हें कूलर के पानी में डालने पर मच्छरों के लार्वा मर जाते हैं। ये खास तौर पर Stagnant Water में उपयोगी होते हैं। हालांकि, इनका इस्तेमाल करते वक्त मैन्युफैक्चरर के निर्देशों का पालन करना जरूरी होता है।

कूलर का आउटलेट सिस्टम जांचें

यह सुनिश्चित करें कि कूलर से निकासी की व्यवस्था दुरुस्त हो। अगर कूलर से पानी ठीक से बाहर नहीं निकल रहा है, तो वह जमा होकर लार्वा के विकास के लिए उपयुक्त जगह बन सकता है।

खस या हनीकॉम्ब पैड की सफाई करें

एयर कूलर में लगे खस या हनीकॉम्ब पैड भी पानी को सोखते हैं और अगर इन्हें नियमित रूप से साफ न किया जाए तो यहां भी मच्छर पनप सकते हैं। बेहतर होगा कि इन पैड्स को समय-समय पर धोया जाए और जरूरत पड़ने पर बदला जाए।

क्यों जरूरी है सजगता?

डेंगू और मलेरिया जैसे रोग एक मच्छर के काटने से पूरे परिवार को जकड़ सकते हैं। ऐसे में जागरूकता और थोड़ी सी मेहनत से हम न सिर्फ अपने कूलर को स्वच्छ रख सकते हैं बल्कि परिवार को इन खतरनाक बीमारियों से भी बचा सकते हैं। एयर कूलर (Air Cooler) एक जरूरी सुविधा है, लेकिन अगर उसकी देखभाल न की जाए तो यह खतरे का कारण भी बन सकता है। इसीलिए गर्मियों में कूलर की रेगुलर सफाई न सिर्फ एक आदत होनी चाहिए, बल्कि यह जिम्मेदारी भी होनी चाहिए।

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By Rohit Kumar

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