एयर इंडिया फ्लाइट AI 171, जो 12 जून 2025 को अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई, ने कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े किए हैं। दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ने मुख्य रूप से इंजन फ्यूल कंट्रोल स्विच के बारे में जानकारी दी, जो इस भयावह दुर्घटना में अहम भूमिका निभा सकते हैं। एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की 15 पृष्ठों की रिपोर्ट, जो 12 जुलाई को जारी की गई, इस मामले के प्रमुख पहलुओं को उजागर करती है और जांच की दिशा का संकेत देती है।

यह फ्लाइट बोइंग 787-8 विमान की थी, जिसमें सह-पायलट क्लाइव कुंदर (Clive Kundar) और कमांडर सुमीत सबरवाल (Sumeet Sabharwal) थे। रिपोर्ट के अनुसार, दोनों पायलटों ने उड़ान से पहले पर्याप्त विश्राम किया था और उड़ान से पहले उनका ब्रीथलाइजर टेस्ट भी किया गया था। विमान की तकनीकी जाँच समय पर पूरी हुई थी और सब कुछ सामान्य था जब तक विमान 400 फीट की ऊँचाई तक नहीं पहुँच गया। इसके बाद, कुछ ही सेकंड में घटनाएँ गंभीर मोड़ पर पहुँच गईं।
इंजन फ्यूल स्विच की मुख्य समस्या
प्रारंभिक रिपोर्ट से यह पता चला कि उड़ान के ठीक बाद विमान के इंजन फ्यूल कंट्रोल स्विच “RUN” से “CUTOFF” की स्थिति में एक साथ बदल गए थे। यह बदलाव विमान के टेक-ऑफ के कुछ ही समय बाद हुआ, जिससे इंजन की पूरी तरह से बंद हो गई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में एक संवाद कैद हुआ, जिसमें एक पायलट ने दूसरे से पूछा कि उसने ईंधन क्यों काटा, जबकि दूसरे पायलट ने इसका खंडन किया। इस संवाद ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या स्विच को दुर्घटनावश बदला गया था या फिर किसी आपात स्थिति के कारण ईंधन आपूर्ति को बंद किया गया था।
स्विच को दुर्घटना स्थल से “RUN” स्थिति में बरामद किया गया था, जो यह दर्शाता है कि इंजन उस समय चालू थे। विमानन विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि इन स्विचों को बदलने के लिए एक निश्चित और जानबूझकर क्रिया की आवश्यकता होती है, क्योंकि इनमें ब्रैकेट और एक स्टॉप लॉक मेकैनिज्म होता है, जिससे दुर्घटनावश स्विच का स्थान बदलना लगभग असंभव होता है। यह सवाल उठता है कि क्या तकनीकी खराबी या मानव त्रुटि के कारण स्विच की स्थिति बदल गई थी।
रख-रखाव और सुरक्षा से संबंधित विचार
रिपोर्ट में विमान के रख-रखाव इतिहास और उसके फ्यूल कंट्रोल सिस्टम की भी जांच की गई है। यह पाया गया कि कॉकपिट थ्रॉटल कंट्रोल मॉड्यूल, जिसमें फ्यूल कंट्रोल स्विच शामिल हैं, को 2019 और 2023 में बदलने की आवश्यकता पड़ी थी। हालांकि, इन बदलावों का कारण फ्यूल कंट्रोल स्विच से संबंधित नहीं था। इसके अलावा, 2023 के बाद से फ्यूल कंट्रोल स्विच से संबंधित कोई दोष रिपोर्ट नहीं हुआ था और विमान ने सभी एयरवर्थीनेस डायरेक्टिव्स और सर्विस बुलेटिन्स का पालन किया था।
दिलचस्प बात यह है कि रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि 2018 में यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने बोइंग 737 के फ्यूल कंट्रोल स्विच के लॉकिंग फीचर के संभावित असंलग्न होने के बारे में एक सलाह जारी की थी, जो बोइंग 787 के समान घटक हैं। यह एक सलाह थी, न कि अनिवार्य निर्देश, और एयर इंडिया ने इसे लागू नहीं किया था। यह सवाल उठ सकता है कि इस सलाह की उपेक्षा का प्रभाव क्या था, और क्या यह जांच के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु बन सकता है।
आपातकालीन प्रणालियाँ सक्रिय हुईं
जब विमान के इंजन बंद हो गए, तो आपातकालीन प्रणालियाँ सक्रिय हो गईं। राम एयर टर्बाइन (RAT) हवा में स्थापित हो गया, जो इंजन की विफलता के बाद आपातकालीन शक्ति प्रदान करने के लिए काम करता है। साथ ही, सहायक पावर यूनिट (APU) ने भी काम करना शुरू कर दिया। ये प्रणालियाँ इंजन के पूर्ण विफलता के बाद विमान को आवश्यक शक्ति प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। इन प्रणालियों का सक्रिय होना इस बात का संकेत है कि विमान की सामान्य ऑपरेशन में विफलता हो गई थी।
इसके बावजूद, जांच में यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि समस्या विमान के फ्यूल कंट्रोल सिस्टम, उसकी डिज़ाइन, या मानव त्रुटि के कारण हुई थी। फिलहाल, बोइंग 787-8 और GE GEnx-1B इंजन के ऑपरेटरों या निर्माताओं के लिए कोई सिफारिश नहीं की गई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि जांचकर्ता अब पायलटों की क्रियाओं और संभावित गलतियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
आगे का रास्ता अंतिम रिपोर्ट की ओर
इस समय, जांच जारी है और अंतिम रिपोर्ट के एक वर्ष के भीतर आने की उम्मीद है। हालांकि, प्रारंभिक निष्कर्ष पहले ही यह दिखाते हैं कि विमानन सुरक्षा के जटिल पहलुओं को समझने के लिए इस तरह की घटनाओं का गहन विश्लेषण आवश्यक है। अंतिम रिपोर्ट में यह समझने का प्रयास किया जाएगा कि क्या फ्यूल कंट्रोल स्विच जानबूझकर या दुर्घटनावश बदल गए थे, क्या कोई तकनीकी खराबी थी, या अन्य कारण थे जिन्होंने इस दुर्घटना का कारण बने।
रिपोर्ट की गहराई इस बात को स्पष्ट करती है कि विमानन दुर्घटनाओं की जांच में हर पहलू की जांच करना कितना महत्वपूर्ण है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को टाला जा सके। विमानन उद्योग की सुरक्षा प्रोटोकॉल लगातार विकसित हो रही है, और अंतिम रिपोर्ट निश्चित रूप से भविष्य में प्रशिक्षण, विमान डिज़ाइन और नियामक दिशानिर्देशों पर प्रभाव डालेगी।