अगर आप मकान किराए पर देकर नियमित आय कमाने की सोच रहे हैं, तो नए टैक्स नियमों को जानना आपके लिए जरूरी है। सरकार ने किराए की आय पर टैक्स के नियमों में बदलाव किया है, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे। इन नए नियमों के अनुसार, मकान मालिकों को अपनी किराए की आय को इनकम टैक्स रिटर्न में ‘इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी’ के रूप में दर्ज करना अनिवार्य होगा। इसका उद्देश्य किराए की आय पर पारदर्शिता बढ़ाना और टैक्स चोरी को रोकना है।
नया नियम होगा लागू
नए नियमों के तहत मकान मालिकों को किराए की आय को ‘इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी’ के तहत दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि मकान मालिकों को अब अपनी किराए की आय की पूरी जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में देनी होगी। यह कदम उन मकान मालिकों के लिए चुनौती बन सकता है जो किराए की आय को रिपोर्ट किए बिना टैक्स बचा रहे थे। अगर किसी मकान मालिक ने टैक्स रिटर्न में सही जानकारी नहीं दी, तो टैक्स विभाग द्वारा उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
टैक्स रिपोर्टिंग की अनिवार्यता
पहले मकान मालिक किराए की आय को छिपाकर टैक्स बचा सकते थे, लेकिन नए नियमों के तहत यह अब संभव नहीं होगा। अब मकान से प्राप्त किराया आय के रूप में दर्ज किया जाएगा और उस पर टैक्स देना अनिवार्य होगा। अगर कोई मकान मालिक इस नियम का पालन नहीं करता है और किराए की आय को छिपाता है, तो उस पर टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी के तहत टैक्स
नए नियमों के अनुसार, मकान मालिकों को अपनी किराए से होने वाली आय को “इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी” के अंतर्गत रिपोर्ट करना होगा। इस श्रेणी के तहत किराए की आय पर टैक्स लगेगा, जो पहले के मुकाबले कड़ी निगरानी में होगा। यह नया नियम मकान मालिकों को उनकी आय की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रेरित करेगा।
टैक्स डिडक्शन की सुविधा
हालांकि, मकान मालिकों को नए नियमों में कुछ राहत भी दी गई है। वे अपनी प्रॉपर्टी की नेट वैल्यू का 30% तक टैक्स डिडक्शन के रूप में लाभ उठा सकते हैं। यह सुविधा मकान मालिकों को किराए की आय पर टैक्स देने में राहत देगी, जिससे उनकी कर देनदारी कम हो जाएगी। इसके अलावा, मकान की मरम्मत और रखरखाव पर होने वाले खर्चों को भी टैक्स में छूट के रूप में दावा किया जा सकता है।
किराए पर घर देने में यह होगा नया बदलाव
- मकान मालिकों को अब अपनी प्रॉपर्टी से होने वाली किराए की आमदनी की पूरी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देनी होगी। यह सरकार का बड़ा कदम है ताकि टैक्स चोरी पर रोक लगाई जा सके।
- अगर मकान मालिक किराए की आमदनी को टैक्स रिटर्न में छिपाते हैं या गलत जानकारी देते हैं, तो टैक्स डिपार्टमेंट उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही कर सकता है।
- नए नियमों के तहत, मकान मालिक 30% तक टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं। यह उनके टैक्स की देनदारी को कम करने में मदद करेगा।
कैसे बच सकते हैं अधिक टैक्स से?
मकान मालिक निम्नलिखित तरीकों से अपनी कर देनदारी को कम कर सकते हैं:
- 30% टैक्स डिडक्शन: मकान की नेट वैल्यू का 30% तक टैक्स डिडक्शन का लाभ उठाया जा सकता है।
- मरम्मत और रखरखाव पर खर्च: मकान मालिक मरम्मत, रखरखाव और अन्य खर्चों पर भी टैक्स में छूट का दावा कर सकते हैं। यह छूट उन्हें किराए की आय पर टैक्स भरने में राहत देती है।
नए नियमों का मकसद
सरकार का मुख्य उद्देश्य टैक्स चोरी पर रोक लगाना और पारदर्शिता बढ़ाना है। पहले कई मकान मालिक किराए की आय को टैक्स रिटर्न में रिपोर्ट नहीं करते थे, जिससे टैक्स की हानि होती थी। इस नए नियम के लागू होने से यह सुनिश्चित होगा कि सभी मकान मालिक अपनी आय की सही जानकारी टैक्स विभाग को दें और टैक्स में पारदर्शिता बनी रहे।
Frequently Asked Questions (FAQs)
Q1: किराए की आय पर टैक्स देने का नया नियम कब से लागू होगा?
A1: यह नियम 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा। इसके तहत मकान मालिकों को किराए की आय की जानकारी टैक्स रिटर्न में देना अनिवार्य होगा।
Q2: क्या मकान मालिक 30% टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं?
A2: हां, मकान मालिक किराए की आय पर 30% तक टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं, जिससे उनकी टैक्स देनदारी कम होगी।
Q3: अगर किसी ने किराए की आय को छिपाया तो क्या होगा?
A3: अगर मकान मालिक किराए की आय को छिपाते हैं, तो टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
Q4: क्या मरम्मत और रखरखाव पर खर्चों पर भी टैक्स में छूट मिलेगी?
A4: हां, मकान मालिक मकान की मरम्मत और रखरखाव पर होने वाले खर्चों पर भी टैक्स में छूट का दावा कर सकते हैं।