बैंक हर सर्विस पर काटता है पैसे! कैश निकासी से लेकर जमा तक, जानें कहां कितनी फीस लगती है

बैंक हर सर्विस पर काटता है पैसे! कैश निकासी से लेकर जमा तक, जानें कहां कितनी फीस लगती है
बैंक हर सर्विस पर काटता है पैसे! कैश निकासी से लेकर जमा तक, जानें कहां कितनी फीस लगती है
बैंक हर सर्विस पर काटता है पैसे! कैश निकासी से लेकर जमा तक, जानें कहां कितनी फीस लगती है

बैंकिंग सेवाओं (Bank Services) का चेहरा अब पूरी तरह बदल चुका है। पहले जहां ग्राहकों को कई सुविधाएं मुफ्त में मिल जाती थीं, अब वही सुविधाएं चार्ज के साथ दी जा रही हैं। बैंक अकाउंट खोलना तो आसान है, लेकिन उसे बनाए रखना अब पहले जितना सस्ता नहीं रहा। बैंकों ने बीते कुछ वर्षों में लगभग हर सेवा के लिए शुल्क (Charges) वसूलना शुरू कर दिया है। चाहे कैश जमा करना हो या निकालना, पासबुक अपडेट हो या साइन वेरिफिकेशन, हर सुविधा के लिए अब जेब ढीली करनी पड़ रही है।

छोटी सेवाओं पर भी लग रहा शुल्क, ग्राहक परेशान

अब अगर आप बैंक ब्रांच जाकर अपनी पासबुक अपडेट कराना चाहते हैं या किसी जानकारी के लिए पूछताछ करते हैं, तो इसके लिए भी अलग-अलग चार्ज लग रहे हैं। मई महीने से ATM से पैसे निकालने की सीमा पार करने पर ग्राहकों को 23 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन का अतिरिक्त शुल्क देना पड़ रहा है। इसके अलावा 1 जुलाई से कुछ क्रेडिट कार्ड (Credit Card) ट्रांजैक्शनों पर भी नए चार्ज लागू हो गए हैं, जिससे ग्राहकों की परेशानी और बढ़ गई है।

कैश ट्रांजेक्शन हुआ और महंगा, लागू हुए कड़े नियम

अब कैश जमा (Cash Deposit) और कैश निकासी (Cash Withdrawal) पर भी बैंकों ने कड़े नियम लागू कर दिए हैं। अधिकतर बैंक केवल तीन बार तक कैश लेन-देन को फ्री रखते हैं। इसके बाद हर बार के ट्रांजैक्शन पर 150 रुपये तक का शुल्क लिया जाता है। यही नहीं, यदि कोई ग्राहक एक महीने में एक लाख रुपये से अधिक की कैश जमा करता है, तो उस पर भी 150 रुपये का अतिरिक्त चार्ज देना अनिवार्य हो गया है।

ग्राहकों को मिलने वाले लाभ भी हुए सीमित

बैंकों ने सुविधाओं पर चार्ज लगाने के साथ-साथ कुछ लाभ भी खत्म कर दिए हैं। उदाहरण के लिए, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपने ‘प्राइम’ और ‘पल्स’ क्रेडिट कार्ड धारकों को मिलने वाला 50 लाख रुपये का मुफ्त हवाई दुर्घटना बीमा 15 जुलाई से बंद कर दिया है। यानी जहां पहले ग्राहकों को अतिरिक्त लाभ दिए जाते थे, अब वे भी कटौती का शिकार हो रहे हैं।

अब IMPS ट्रांजैक्शन भी नहीं रहेगा मुफ्त

15 अगस्त से एसबीआई ने IMPS ट्रांजैक्शन (Immediate Payment Service) पर भी चार्ज वसूलने की तैयारी कर ली है। अभी तक पांच लाख रुपये तक की ट्रांजैक्शन निशुल्क थी, लेकिन नए नियम के तहत अब 25 हजार रुपये से ऊपर के ट्रांजैक्शन पर 2 से 10 रुपये तक का शुल्क लगेगा, साथ ही उस पर GST भी जोड़ दिया जाएगा। इससे डिजिटल पेमेंट करने वालों को भी अतिरिक्त खर्च उठाना होगा।

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हर छोटी-बड़ी सुविधा के लिए अलग-अलग चार्ज

अब बैंक अकाउंट को मेंटेन करना किसी चुनौती से कम नहीं रह गया है। आज के समय में निम्नलिखित सामान्य सेवाओं पर भी चार्ज वसूला जा रहा है – डुप्लीकेट पासबुक बनवाने पर 100 रुपये, साइन वेरिफिकेशन के लिए 100 से 150 रुपये, चेक रोकने की सुविधा पर 200 रुपये, मोबाइल नंबर या ईमेल अपडेट कराने पर 50 रुपये + GST, और डेबिट कार्ड री-पिन के लिए भी 50 रुपये तक का शुल्क तय किया गया है।

ग्राहकों को क्या करना चाहिए?

बैंकिंग अब पहले जैसी सुविधाजनक और किफायती नहीं रही। ग्राहकों को अब हर ट्रांजैक्शन के लिए योजना बनाकर चलना होगा। सबसे पहले जरूरी है कि ग्राहक अपने बैंक के चार्ज स्ट्रक्चर को ध्यानपूर्वक पढ़ें। किसी भी सेवा का उपयोग करने से पहले यह जान लें कि उस पर शुल्क कितना है और क्या वह जरूरी भी है या नहीं। साथ ही, डिजिटल बैंकिंग और मुफ्त सेवाओं के विकल्प जैसे UPI, नेट बैंकिंग, या मोबाइल बैंकिंग का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। इससे अतिरिक्त चार्ज से बचा जा सकता है।

डिजिटल पेमेंट पर फोकस करें

आज के दौर में जहां बैंकों की अधिकांश ऑफलाइन सेवाएं चार्ज के साथ दी जा रही हैं, वहीं डिजिटल माध्यम जैसे UPI, मोबाइल वॉलेट और नेट बैंकिंग अभी भी कई मामलों में मुफ्त हैं। खासकर Renewable Energy, Stock Market, और IPO जैसे क्षेत्रों में निवेश करने वाले युवाओं के लिए भी डिजिटल बैंकिंग सस्ती और सुविधाजनक है। इसके अलावा, अपने खातों की रेगुलर मॉनिटरिंग और मिनिमम बैलेंस बनाए रखना भी जरूरी है ताकि पेनल्टी से बचा जा सके।

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By Rohit Kumar

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