
केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 को पास किया है, जो भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आया है। इस नए विधेयक के तहत, अब बैंक खाता धारक एक साथ चार नॉमिनी जोड़ सकेंगे। इस बदलाव से ग्राहकों को अपने बैंक खाता और फिक्स्ड डिपॉजिट्स के लिए अधिक लचीलापन मिलेगा। इसके अलावा, विधेयक में अन्य महत्वपूर्ण संशोधन भी किए गए हैं, जो बैंकिंग क्षेत्र और कस्टमर्स दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे।
बैंक खातों में चार नॉमिनी जोड़ने की सुविधा
2024 में पारित बैंकिंग कानून (संशोधन) के तहत, ग्राहकों को अपने बैंक खातों में एक साथ चार नॉमिनी जोड़ने की अनुमति दी गई है। इससे उन व्यक्तियों के लिए सहूलियत होगी, जो कई नॉमिनियों को जोड़कर अपने खाता और अन्य वित्तीय दस्तावेज़ों का सही तरीके से प्रबंधन करना चाहते हैं। इससे पहले एक बैंक खाता धारक केवल एक नॉमिनी जोड़ सकता था। अब, यह नया कानून ग्राहकों को अधिक विकल्प और सुरक्षा प्रदान करेगा, खासकर तब जब एक व्यक्ति के पास कई परिवार के सदस्य या संपत्ति हो।
“महत्वपूर्ण हित” की परिभाषा में बदलाव
इस विधेयक में एक और बड़ा बदलाव “महत्वपूर्ण हित” (substantial interest) की परिभाषा को लेकर किया गया है। पहले, किसी व्यक्ति के बैंक में 5 लाख रुपये का निवेश होने पर उसे “महत्वपूर्ण हित” माना जाता था। लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दी गई है। यह बदलाव इसलिए किया गया क्योंकि पुरानी सीमा करीब 60 साल पहले तय की गई थी, और अब यह सीमा समय की जरूरत के हिसाब से अधिक प्रासंगिक बन गई है।
कर्ज वसूली पर सरकार का कड़ा रुख
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में चर्चा के दौरान बताया कि सरकार कर्ज नहीं चुकाने वाले व्यक्तियों, खासकर “विलफुल डिफॉल्टर” के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पिछले पांच वर्षों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बैंक धोखाधड़ी से जुड़े 112 से अधिक मामलों की जांच की है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि “राइट-ऑफ” का मतलब कर्ज माफ करना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य इन रकम की वसूली के लिए निरंतर प्रयास करना है।
बैंकों की ऐतिहासिक कमाई
वित्त मंत्री ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने बीते वित्तीय वर्ष में 1.41 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक मुनाफा कमाया है। उन्हें उम्मीद है कि 2025-26 में इस मुनाफे में और बढ़ोतरी होगी, जो भारतीय बैंकिंग सेक्टर के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
सहकारी बैंकों और ऑडिटर्स के लिए नई सुविधाएं
बैंकिंग कानून में सहकारी बैंकों के निदेशकों के कार्यकाल को 8 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है। यह बदलाव 2011 में हुए 97वें संविधान संशोधन अधिनियम के अनुरूप किया गया है। अब केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशकों को राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड में सेवा देने की अनुमति भी होगी। इसके अलावा, बैंकों को अपने वैधानिक ऑडिटरों के वेतन का निर्धारण स्वयं करने की छूट भी मिली है।
बैंकों को रिपोर्टिंग में अधिक लचीलापन
इस विधेयक के तहत बैंकों को रिपोर्टिंग के लिए नए नियमों के तहत 15वीं और आखिरी तारीख को डेटा जमा करने की अनुमति दी गई है। पहले बैंकों को दूसरे और चौथे शुक्रवार को डेटा जमा करना पड़ता था, लेकिन अब इसे अधिक लचीला बना दिया गया है। इससे बैंकों को अपने डेटा रिपोर्टिंग के समय में बेहतर योजना बनाने का अवसर मिलेगा।
नॉमिनेशन में बदलाव
इस नए कानून के तहत न केवल बैंक खाते, बल्कि कैश और फिक्स्ड डिपॉजिट्स के लिए भी एक साथ कई नॉमिनियों को जोड़ने की सुविधा प्रदान की गई है। यह नियम लॉकरों पर भी लागू होगा, जैसे कि पहले बीमा पॉलिसियों और अन्य वित्तीय योजनाओं में होता है। इस बदलाव से न केवल ग्राहकों को अधिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि उनके वित्तीय मामलों का प्रबंधन भी आसान होगा।
5 अलग-अलग कानूनों में किया गया बदलाव
निर्मला सीतारमण ने बताया कि यह विधेयक 5 अलग-अलग कानूनों को प्रभावित करेगा। इसके तहत किए गए बदलाव भारतीय बैंकिंग सेक्टर के लिए एक अहम मोड़ साबित होंगे। इस विधेयक को तैयार करने के लिए 8 टीमों ने मिलकर काम किया, ताकि सभी जरूरी संशोधन किए जा सकें और बैंकिंग क्षेत्र की कार्यप्रणाली को आधुनिक बनाया जा सके।
अंतिम विचार
केंद्र सरकार द्वारा पारित यह बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 भारतीय बैंकिंग प्रणाली को अधिक सुरक्षित, लचीला और ग्राहक केंद्रित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस विधेयक के तहत किए गए बदलाव से न केवल बैंक खातों के नॉमिनेशन से जुड़े नियमों में सुधार होगा, बल्कि बैंकों को भी अधिक स्वतंत्रता और पारदर्शिता मिलेगी। इसके परिणामस्वरूप भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में और अधिक प्रगति होने की संभावना है।