MP में BBA-BCA एडमिशन महंगा? 150 से सीधा 1530 रुपए तक पहुंची फीस!

मध्यप्रदेश में BBA और BCA कोर्स में एडमिशन लेना अब पहले जितना सस्ता नहीं रहा। जहां पहले आवेदन फीस मात्र ₹150 थी, अब वह सीधा ₹1530 तक पहुंच गई है। अचानक हुई इस भारी बढ़ोतरी से छात्र और अभिभावक हैरान हैं। आखिर इतनी फीस क्यों? जानिए पूरी कहानी और इसका आपके बजट पर असर।

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Written byRohit Kumar

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Madhya Pradesh BBA-BCA Admission को लेकर इस बार तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा जो नई ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू की गई है, वह शुरुआत से ही छात्रों के लिए परेशानी का सबक बन गई है। काउंसलिंग पोर्टल पर कॉलेजवार सीट डिटेल्स और फीस स्ट्रक्चर की जानकारी नहीं दी गई है, जिससे हजारों छात्र और अभिभावक असमंजस की स्थिति में हैं।

MP में BBA-BCA एडमिशन महंगा? 150 से सीधा 1530 रुपए तक पहुंची फीस!
MP में BBA-BCA एडमिशन महंगा? 150 से सीधा 1530 रुपए तक पहुंची फीस!

BBA और BCA जैसे लोकप्रिय कोर्सेस के लिए इस बार छात्रों को पहले ही चरण में ₹1530 शुल्क देना पड़ रहा है, जो पहले ₹150 था। यह वृद्धि 15 गुना से अधिक है, जिससे छात्र समुदाय में नाराजगी और विरोध की स्थिति बन गई है।

फीस में भारी उछाल, अन्य कोर्सेस के मुकाबले अंतर साफ़

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इस वर्ष तकनीकी शिक्षा विभाग (DTE) ने बीबीए और बीसीए पाठ्यक्रमों में पहली बार ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया लागू की है। इस नई व्यवस्था में छात्रों से ₹1530 का शुल्क वसूला जा रहा है, जिसमें शामिल हैं ₹400 काउंसलिंग फीस, ₹1000 आंशिक शिक्षण शुल्क (जो बाद में कॉलेज में समायोजित किया जाएगा), और ₹130 एमपी ऑनलाइन शुल्क।

इसके विपरीत, बीते वर्षों में यही प्रक्रिया केवल ₹150 रजिस्ट्रेशन फीस पर पूरी होती थी। इतना ही नहीं, अन्य UG Courses जैसे BA, BSc, BCom में आज भी केवल ₹100 पंजीकरण शुल्क लिया जा रहा है। इस असमानता को लेकर छात्र संगठनों और विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं।

जरूरी जानकारी का अभाव, चॉइस फिलिंग बनी चुनौती

काउंसलिंग के पहले ही चरण में छात्रों को 25 कॉलेजों की प्राथमिकता भरनी होती है, लेकिन डीटीई पोर्टल पर न तो कॉलेजवार सीटों की संख्या दी गई है और न ही एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी (AFRC) की वेबसाइट पर कॉलेजों का फीस स्ट्रक्चर उपलब्ध है।

इस वजह से छात्रों को यह समझ ही नहीं आ रहा कि किस कॉलेज को प्राथमिकता दें और किसे नहीं। कई बार छात्र जिस स्पेशलाइजेशन के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वह उस कॉलेज में है ही नहीं। मजबूरन उन्हें दूसरे जिले के कॉलेजों को चुनना पड़ रहा है।

सत्यापन प्रक्रिया अधूरी, विश्वविद्यालय से मंजूरी का इंतजार

तकनीकी शिक्षा विभाग ने जिन कॉलेजों को काउंसलिंग में शामिल किया है, उनके दस्तावेजों का सत्यापन अब तक पूरा नहीं हो पाया है। कई कॉलेजों को भले ही AICTE से मंजूरी मिल चुकी हो, लेकिन संबंधित विश्वविद्यालयों से स्वीकृति अभी लंबित है।

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जैसे DAVV (Devi Ahilya Vishwavidyalaya) में कुछ संस्थानों को अब तक अंतिम मंजूरी नहीं मिली है। इस स्थिति में छात्र तय नहीं कर पा रहे कि ऐसे कॉलेजों को अपनी चॉइस लिस्ट में शामिल करें या नहीं।

छात्राओं को पहले चरण में राहत, लेकिन पूरी नहीं

लड़कियों को काउंसलिंग के पहले चरण में शुल्क में राहत दी गई है, लेकिन यह राहत अस्थायी है। दूसरे चरण में उन्हें भी पूर्ण ₹1530 शुल्क चुकाना होगा। इससे अभिभावकों और छात्राओं में भी असंतोष है, क्योंकि यह निर्णय आधा-अधूरा लगता है और स्थायी समाधान नहीं देता।

शिक्षा एक्सपर्टों की राय पारदर्शिता और सरलता ज़रूरी

शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. अनस इकबाल ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि, “जब छात्रों को कॉलेज की सीटें, फीस, और पाठ्यक्रम की स्पष्ट जानकारी ही नहीं दी गई हो, तो 25 कॉलेजों की चॉइस भरना एक बड़ा मानसिक बोझ बन जाता है। यह प्रक्रिया और भी अधिक पारदर्शी और सरल होनी चाहिए।”

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि DTE को पोर्टल पर कॉलेजों की पूरी जानकारी, स्वीकृत कोर्सेस और फीस को अपडेट कर देना चाहिए, ताकि छात्र सटीक निर्णय ले सकें और भ्रम की स्थिति से बचा जा सके।

20,000 से अधिक सीटें, लेकिन आधिकारिक जानकारी अधूरी

प्रदेश के लगभग 40 कॉलेजों में BBA और BCA की 20,000 से अधिक सीटें उपलब्ध हैं, लेकिन छात्रों को इसका कोई आधिकारिक ब्रेकअप या डेटा नहीं मिल पा रहा है। यह स्थिति न सिर्फ छात्र हितों के खिलाफ है, बल्कि ऑनलाइन काउंसलिंग सिस्टम की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती है।

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