
फिक्स्ड डिपॉजिट (FDs) भारत में एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है। निवेशकों के लिए यह सवाल महत्वपूर्ण होता है कि क्या छोटी अवधि की FD शानदार रिटर्न दे सकती है या फिर लंबी अवधि की FDs ही अधिक फायदेमंद साबित होती हैं। निश्चित रूप से, लंबी अवधि की FDs अधिक स्थिरता और मुनाफा देती हैं, लेकिन छोटी अवधि की FDs (7 दिन से लेकर 1 साल तक) कुछ खास वित्तीय जरूरतों के लिए बेहतरीन साबित हो सकती हैं। आइए, जानते हैं कि किन परिस्थितियों में छोटी अवधि की FD एक सही विकल्प हो सकती है।
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छोटी अवधि की एफडी में निवेश कब करें?
अतिरिक्त कैश पड़े होने पर
- अगर आपके पास अतिरिक्त कैश उपलब्ध है जिसे आप तुरंत उपयोग में नहीं लाना चाहते, तो इसे छोटी अवधि की FD में निवेश करना एक अच्छा फैसला हो सकता है। यह न केवल आपकी बचत को सुरक्षित रखेगा, बल्कि बचत खाते की तुलना में अधिक रिटर्न भी देगा।
इमरजेंसी फंड की जरूरत
- इमरजेंसी फंड का कुछ हिस्सा कम अवधि की FD में रखना एक अच्छा विचार हो सकता है। इससे आपकी रकम सुरक्षित भी रहती है और उस पर ब्याज भी मिलता है। जरूरत पड़ने पर इसे आसानी से निकाला जा सकता है, हालांकि समय से पहले निकासी पर कुछ पेनल्टी लग सकती है।
शॉर्ट-टर्म गोल्स के लिए
- अगर आप शादी, यात्रा, नए गैजेट की खरीदारी या किसी अन्य अल्पकालिक लक्ष्य के लिए बचत कर रहे हैं, तो 1 साल तक की FD एक अच्छा विकल्प है। यह सुनिश्चित रिटर्न प्रदान करती है और आपका पैसा सुरक्षित रहता है।
बेहतर निवेश के इंतजार में
अगर आप शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड या अन्य किसी दीर्घकालिक निवेश में पैसा लगाना चाहते हैं, लेकिन बाजार की बेहतर स्थितियों का इंतजार कर रहे हैं, तो अस्थायी रूप से छोटी अवधि की FD में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है।
ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव को देखते हुए
अगर बाजार में ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना है, तो लंबी अवधि की FD में पैसा लॉक करने से बचना चाहिए। छोटी अवधि की FD का चयन करने से आपको भविष्य में बढ़ी हुई दरों पर निवेश करने का अवसर मिल सकता है।
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छोटी अवधि की एफडी में निवेश करते समय ध्यान देने योग्य बातें
ब्याज दर की तुलना करें
- बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFC) द्वारा दी जाने वाली FD दरों की तुलना करना जरूरी है। आमतौर पर, प्राइवेट बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक अधिक रिटर्न देते हैं।
समय से पहले निकासी के नियम
- छोटी अवधि की FD में समय से पहले पैसे निकालने पर बैंक पेनल्टी लगा सकते हैं। इसलिए, निवेश से पहले बैंक के नियमों को जरूर समझें।
टैक्स नियमों की जानकारी लें
FD से अर्जित ब्याज आयकर के अंतर्गत आती है और इसे ‘अन्य स्रोत से आय’ के रूप में गिना जाता है। अगर ब्याज आय एक निश्चित सीमा से अधिक होती है, तो TDS (Tax Deducted at Source) कट सकता है।
पैसे निकालने की शर्तें
- यह सुनिश्चित करें कि आपके फंड्स ऐसी जगह न हों, जहां से जरूरत पड़ने पर आपको तुरंत पैसा निकालने में परेशानी हो। लिक्विडिटी एक महत्वपूर्ण कारक है।
महीने से लेकर 1 साल की एफडी पर कौन से बैंक दे रहे हैं बेहतर रिटर्न?
छोटी अवधि की FD आपकी लिक्विडिटी को बनाए रखने और सुरक्षित रूप से मामूली रिटर्न कमाने का एक अच्छा तरीका है। हालांकि, यह जरूरी है कि आप जानें कि किस बैंक में कितना रिटर्न मिलेगा।
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बैंकों की एफडी ब्याज दरें (6 महीने से 1 साल के लिए):
- State Bank of India (SBI): 6.25%-6.50%
- UCO Bank: 5%-7.30%
- Union Bank of India: 5%-6.35%
- Axis Bank Ltd.: 5.75%-6%
- Catholic Syrian Bank Ltd.: 4.25%-7.25%
- City Union Bank Ltd.: 6%-7.5%
- DCB Bank Ltd.: 6.2%-7.25%
- Dhanlaxmi Bank Ltd.: 6%-7.25%
- Federal Bank Ltd.: 5.50%-6.50%
- HDFC Bank Ltd.: 4.5%-6%
- ICICI Bank Ltd.: 4.75%-6%
- IDBI Bank Ltd.: 5.50%-7.05%
- Kotak Mahindra Bank Ltd.: 6%-7%
- YES Bank Ltd.: 5%-6.50%