
देश में चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और त्रुटिहीन बनाने के लिए चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। अब वोटर लिस्ट (Voter List) को अपडेट करने के लिए पारंपरिक प्रक्रिया पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि यह काम रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया से प्राप्त इलेक्ट्रॉनिक डेटा के माध्यम से किया जाएगा। इस योजना के तहत मृतक वोटरों के नाम स्वतः ही लिस्ट से हटा दिए जाएंगे, जिससे फर्जी मतदान और अनियमितताओं पर अंकुश लगेगा।
बीएलओ करेंगे घर-घर जाकर पुष्टि, नहीं भरना होगा फॉर्म-7
अब तक वोटर लिस्ट से किसी मृत व्यक्ति का नाम हटाने के लिए परिवार के सदस्यों को फॉर्म नंबर-7 भरना होता था। लेकिन इस नई व्यवस्था में ऐसा करना अनिवार्य नहीं रहेगा। बीएलओ (Booth Level Officers) क्षेत्र के घर-घर जाकर यह पुष्टि करेंगे कि संबंधित व्यक्ति अब जीवित नहीं है और फिर बिना किसी फॉर्म की प्रक्रिया के उसका नाम वोटर लिस्ट से हटा देंगे। इससे न केवल प्रक्रिया आसान होगी बल्कि कई बार जो नाम गलती से लिस्ट में बने रहते थे, उन्हें भी सही किया जा सकेगा।
डेटा एक्सचेंज से मिलेगी सटीक जानकारी
Registrar General of India के पास देश के सभी जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन होता है। अब यह डेटा सीधे Election Commission को इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध कराया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जैसे ही किसी व्यक्ति की मृत्यु का प्रमाण मिलता है, उसका नाम स्वतः ही वोटर लिस्ट से हट जाए। यह प्रणाली भविष्य में भी एक स्थायी समाधान के रूप में कार्य करेगी, जिससे बार-बार फर्जी नाम हटाने की कवायद नहीं करनी पड़ेगी।
चुनाव प्रक्रिया होगी और अधिक विश्वसनीय
भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में जहां हर वोट की अहमियत होती है, वहां फर्जी नामों और मृत वोटरों के बने रहने से चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। इस पहल से Election Commission of India की साख और चुनावों की विश्वसनीयता में इजाफा होगा। अब कोई भी व्यक्ति जिसकी मृत्यु हो चुकी है, वह वोट नहीं डाल पाएगा और न ही उसका नाम वोटर लिस्ट में बना रहेगा।
बीएलओ के लिए विशेष आईडी कार्ड, सुरक्षा में बढ़ोतरी
इस प्रक्रिया में बीएलओ की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए चुनाव आयोग ने उनके लिए विशेष आईडी कार्ड जारी करने का निर्णय लिया है। यह आईडी कार्ड न केवल उनकी पहचान की पुष्टि करेगा, बल्कि इससे आम जनता को यह भरोसा भी होगा कि उनके घर आने वाला व्यक्ति एक अधिकृत सरकारी कर्मचारी है। यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी अहम कदम है।
वोटर इन्फॉर्मेशन स्लिप का बदला डिजाइन
इसके अतिरिक्त वोटर इन्फॉर्मेशन स्लिप को और अधिक वोटर फ्रेंडली बनाया जा रहा है। अब यह स्लिप डिजाइन में बदली हुई होगी जिसमें पार्ट नंबर और सीरियल नंबर ऊपर की ओर बोल्ड अक्षरों में लिखा जाएगा ताकि मतदाता को अपनी जानकारी खोजना आसान हो जाए। यह बदलाव आगामी चुनावों के पहले चरण से लागू किए जाएंगे।
पैन इंडिया स्तर पर हुई घोषणा
इस पूरी योजना की घोषणा इस साल मार्च में आयोजित पैन इंडिया सीईओ कॉन्फ्रेंस में की गई थी, जिसे मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने संबोधित किया था। उन्होंने देशभर के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इस दिशा में कदम उठाने के निर्देश दिए थे ताकि चुनावों की पारदर्शिता और मतदाता डेटा की शुद्धता को और बढ़ाया जा सके।
तकनीक और पारदर्शिता का मेल
चुनाव आयोग की यह नई योजना डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे भारत में चुनावों की पारदर्शिता बढ़ेगी, साथ ही मतदाता सूची को अपडेट रखने की प्रक्रिया और अधिक दक्ष और तेज होगी। भविष्य में जब e-Voting या Online Voting System की चर्चा होगी, तब ऐसी तकनीकी पहलें उसकी नींव मजबूत करेंगी।
भविष्य की दिशा तय करेगी यह पहल
इस पहल का उद्देश्य न केवल मृतकों के नाम हटाना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि वोटर डेटाबेस में केवल वही नाम शामिल हों जो वास्तव में मताधिकार के अधिकारी हैं। इससे सरकार और प्रशासन को भी बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी, खासकर जब यह जानकारी अन्य डिजिटल आइडेंटिटी सिस्टम जैसे आधार, डिजिटल हेल्थ ID, या डिजिटल राशन कार्ड से जुड़ी हो।