40,000 प्राइवेट स्कूलों को सरकार की सख्त चेतावनी! आदेश से मचा हड़कंप

40,000 प्राइवेट स्कूलों को सरकार की सख्त चेतावनी! आदेश से मचा हड़कंप
40,000 प्राइवेट स्कूलों को सरकार की सख्त चेतावनी! आदेश से मचा हड़कंप
40,000 प्राइवेट स्कूलों को सरकार की सख्त चेतावनी! आदेश से मचा हड़कंप

बिहार सरकार ने राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। बिहार शिक्षा विभाग ने अब लगभग 40 हजार प्राइवेट स्कूलों के लिए CBSE (Central Board of Secondary Education) मानकों का पालन अनिवार्य कर दिया है। इससे पहले भी कई बार निजी विद्यालयों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन अब सरकार ने इन स्कूलों को शिक्षण गुणवत्ता के आधार पर मूल्यांकन करने का निर्णय लिया है।

सभी प्राइवेट स्कूलों को लेना होगा पंजीकरण

राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी निजी स्कूल बिहार में संचालित हो रहे हैं, उन्हें अब संबद्धता (पंजीकरण) लेना अनिवार्य होगा। शिक्षा विभाग की ओर से बताया गया है कि पिछले वर्ष 23,456 निजी विद्यालयों ने ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से पंजीकरण के लिए अपनी अर्जी दी थी। लेकिन अब शेष विद्यालयों को भी जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को पूरा करना होगा।

शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर की होगी कड़ी जांच

बिहार सरकार सिर्फ कागज़ी कार्रवाई पर भरोसा नहीं करेगी। इसके लिए एक विस्तृत जांच प्रक्रिया शुरू की जा रही है जिसमें प्रत्येक जिले के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO), जिलाधिकारी (DM) और उप विकास आयुक्त (DDC) की देखरेख में टीमें बनाई जाएंगी। ये टीमें स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षकों की योग्यता, प्रशिक्षण, वेतन, प्रयोगशालाएं और शिक्षण गुणवत्ता की गहराई से जांच करेंगी।

जिला स्तर पर अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) जरूरी

CBSE से मान्यता प्राप्त करने के लिए अब प्राइवेट स्कूलों को अपने जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेना होगा। यह प्रमाणपत्र तभी मिलेगा जब संबंधित स्कूल राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानकों पर खरे उतरेंगे। इस प्रक्रिया से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि योग्य स्कूलों को ही मान्यता मिलेगी।

जांच होगी पूरी तरह पारदर्शी, रिपोर्ट होगी ऑनलाइन

बिहार शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जांच प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी। स्कूलों की गुणवत्ता से जुड़ी सारी रिपोर्टें विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन सार्वजनिक की जाएंगी। इसके जरिए अभिभावकों को भी यह जानकारी मिल सकेगी कि उनके बच्चों का स्कूल किस स्तर की शिक्षा प्रदान कर रहा है।

CBSE का फोकस अब केवल लर्निंग आउटकम पर

CBSE ने अब अपनी भूमिका को सीमित करते हुए लर्निंग आउटकम यानी विद्यार्थियों की वास्तविक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है। बोर्ड अब यह जांच करेगा कि स्कूल में पढ़ने वाले छात्र उस कक्षा के अनुसार विषय-वस्तु को समझते हैं या नहीं। इस पहल के तहत छात्रों की शैक्षणिक योग्यता, टीचर्स की दक्षता, और स्कूल के शैक्षणिक माहौल की गहराई से जांच की जाएगी।

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नियम तोड़ने पर मान्यता होगी रद्द

शिक्षा विभाग ने चेतावनी दी है कि जिन स्कूलों की जांच में खामियां पाई जाएंगी या जो निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं करेंगे, उनकी मान्यता को रद्द किया जा सकता है। यानी सिर्फ मान्यता प्राप्त कर लेना काफी नहीं होगा, बल्कि निरंतर गुणवत्ता को बनाए रखना भी जरूरी होगा। सरकार की यह नीति साफ दर्शाती है कि वह अब निजी स्कूलों को मनमानी नहीं करने देगी।

शिक्षा की गुणवत्ता से बनेगा स्कूलों का ब्रांड

यह पूरी प्रक्रिया न केवल शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करेगी, बल्कि इससे अच्छे विद्यालयों की ब्रांडिंग भी होगी। जब किसी स्कूल को सरकार या CBSE की ओर से गुणवत्ता के आधार पर मान्यता मिलेगी, तो वह स्कूल अभिभावकों और छात्रों के बीच अधिक विश्वसनीय बन जाएगा। इससे प्राइवेट एजुकेशन सेक्टर में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी उत्पन्न होगी।

सरकारी कदम से बढ़ेगा अभिभावकों का भरोसा

इस पूरे कदम से सबसे अधिक लाभ अभिभावकों और विद्यार्थियों को होगा। उन्हें अब यह जानने का अवसर मिलेगा कि कौन सा स्कूल वास्तव में बेहतर शिक्षा दे रहा है और कौन केवल फीस वसूलने में लगा है। इससे शिक्षा का निजीकरण सिर्फ मुनाफे तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व भी सुनिश्चित होगा।

आगे भी होगी सतत निगरानी

मान्यता प्राप्त करने के बाद भी स्कूलों पर नजर बनी रहेगी। समय-समय पर दोबारा निरीक्षण किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो कार्रवाई में देरी नहीं की जाएगी। सरकार का यह दृष्टिकोण साफ है कि वह सिर्फ एक बार जांच कर इतिश्री नहीं करने वाली है।

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