Bofors Scam: फिर गरमाया बोफोर्स घोटाला! ‘सबूतों के डिब्बे’ से निकली नई जानकारी को सार्वजनिक करने की मांग

बोफोर्स घोटाले पर फिर मचा हंगामा! दशकों पुराने ‘सबूतों के डिब्बे’ से निकली सनसनीखेज जानकारी ने मचाई हलचल—क्या खुलेगा सबसे बड़ा राजनीतिक राज? पढ़ें पूरी रिपोर्ट🚨

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Written byRohit Kumar

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Bofors Scam: फिर गरमाया बोफोर्स घोटाला! ‘सबूतों के डिब्बे’ से निकली नई जानकारी को सार्वजनिक करने की मांग
Bofors Scam: फिर गरमाया बोफोर्स घोटाला! ‘सबूतों के डिब्बे’ से निकली नई जानकारी को सार्वजनिक करने की मांग

प्रसिद्ध पत्रकार और लेखिका चित्रा सुब्रमण्यम ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से आग्रह किया है कि वह बोफोर्स कांड में रिश्वतखोरी से जुड़े स्विट्जरलैंड से प्राप्त ‘सबूतों के डिब्बे’ को सार्वजनिक करे। उनका कहना है कि इन दस्तावेजों का उपयोग जांच में किया गया था और इन्हें आरोप पत्र में साक्ष्य के रूप में अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।

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स्विट्जरलैंड से मिले दस्तावेजों को लेकर सवाल

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अपनी पुस्तक ‘Boforsgate: A Journalist’s Pursuit of Truth’ के संदर्भ में सुब्रमण्यम ने सवाल उठाया कि आखिरकार सबूतों का डिब्बा किसने खोला, कब खोला गया और उसमें क्या था? उन्होंने यह भी संदेह व्यक्त किया कि क्या इस सौदे में कमीशन 18 प्रतिशत था, जैसा कि स्वीडन की फर्म बोफोर्स द्वारा भारत सरकार को सौंपे गए साक्ष्यों में बताया गया है।

इसके अलावा, सुब्रमण्यम ने यह भी खुलासा किया कि 1999 के अंत में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज ने उन्हें बताया था कि बृजेश मिश्रा ने उनसे सबूतों के डिब्बे को न खोलने के लिए कहा था।

राजस्थान पुलिस के पूर्व महानिदेशक का बयान

राजस्थान पुलिस के पूर्व महानिदेशक और CBI के पूर्व अधिकारी ओ. पी. गलहोत्रा ने कहा कि स्विट्जरलैंड से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर आरोप पत्र दाखिल किया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्विस अदालत ने भारतीय अदालत को ये दस्तावेज सौंपे थे, और अदालत के निर्देश पर ही (सबूतों के) डिब्बे खोले गए थे।

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गलहोत्रा ने आगे कहा कि दस्तावेज संवेदनशील और महत्वपूर्ण थे, जिसके चलते एजेंसी को पूरक आरोप पत्र दाखिल करना पड़ा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि CBI अदालत के प्रति जवाबदेह है और आरोप पत्र दाखिल करना एक कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है।

बोफोर्स रिश्वत घोटाले में 64 करोड़ रुपये का मुद्दा

सुब्रमण्यम ने कहा कि 64 करोड़ रुपये की रिश्वत की राशि पूरी कहानी नहीं बयां करती। उन्होंने सवाल किया कि वास्तविक कमीशन दर क्या थी। उन्होंने स्वीडिश पुलिस के पूर्व प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्रॉम के बयान का हवाला देते हुए कहा कि यह संभव नहीं कि कमीशन केवल 3 प्रतिशत रहा हो।

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उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर वास्तव में कमीशन 18.5 प्रतिशत था तो भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में इतनी छोटी रकम के लिए इतनी बड़ी जांच क्यों चल रही थी?

अमिताभ बच्चन पर झूठे आरोप?

सुब्रमण्यम ने दावा किया कि CBI ने बोफोर्स मामले की जांच को भटकाने के लिए बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन और उनके परिवार के खिलाफ झूठे आरोप गढ़े। उन्होंने कहा कि बच्चन ने खुद उनसे आकर पूछा था कि क्या उनके नाम का जिक्र दस्तावेजों में हुआ है?

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उन्होंने कहा, “बच्चन को राजनीतिक संरक्षण की जरूरत नहीं थी और न ही पैसे की। उनके खिलाफ साजिश की गई थी। कई सरकारें उन्हें गिराने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन वह अपने आप में एक स्टार हैं।

गांधी परिवार की संलिप्तता पर सवाल

गांधी परिवार और बोफोर्स घोटाले के बीच संभावित संबंधों पर पूछे जाने पर सुब्रमण्यम ने कहा कि वह राजीव गांधी की भूमिका को लेकर निश्चित नहीं हैं, लेकिन रिश्वत की रकम इतालवी व्यापारी ओतावियो क्वात्रोची तक पहुंची थी।

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स्वीडन से जांच क्यों नहीं?

हाल ही में CBI द्वारा अमेरिका को भेजे गए लीगल रिक्वेस्ट (LR) पर सवाल उठाते हुए सुब्रमण्यम ने पूछा कि स्वीडन से मदद क्यों नहीं मांगी गई? उन्होंने कहा, “यह पूरी जांच का केंद्र था, फिर भारतीय जांचकर्ता स्वीडिश अधिकारियों से संपर्क क्यों नहीं कर रहे?

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