Bullet Train Land Rates Boom: बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से बढ़ी जमीन की कीमतें! इन गांवों में रेट 5 गुना तक उछले

बिहार में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट ने पटना के 58 गांवों की किस्मत बदल दी है। जमीन अधिग्रहण शुरू होते ही रेट आसमान पर – जानिए कौन होगा इसका सबसे बड़ा लाभार्थी और आपके इलाके पर क्या असर पड़ेगा।

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Written byRohit Kumar

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Bullet Train Land Rates Boom: बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से बढ़ी जमीन की कीमतें! इन गांवों में रेट 5 गुना तक उछले
Bullet Train Land Rates Boom: बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से बढ़ी जमीन की कीमतें! इन गांवों में रेट 5 गुना तक उछले

बुलेट ट्रेन (Bullet Train) प्रोजेक्ट को लेकर बिहार में बड़े स्तर पर तैयारी शुरू हो चुकी है। पटना जिले के 58 गांवों से होकर गुजरने वाली इस हाईस्पीड ट्रेन के लिए जमीन अधिग्रहण (Land Acquisition) की प्रक्रिया तेजी से शुरू कर दी गई है। इसके तहत रेलवे कुल 128.63 हेक्टेयर रैयती जमीन का अधिग्रहण करेगा। इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के चलते इन गांवों की जमीन की कीमतों में पांच गुना तक की वृद्धि दर्ज की गई है।

फुलवारीशरीफ अंचल के सीओ द्वारा राजस्व कर्मचारियों को सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके आधार पर अब सभी चिन्हित गांवों में रैयत सर्वे का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। इस सर्वे में यह भी जानकारी ली जा रही है कि जमीन किसके नाम पर है और उसका सही उपयोग किस उद्देश्य से हो रहा है।

जमीन की कीमतों में पांच गुना उछाल

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जैसे ही इस बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की खबर सार्वजनिक हुई और जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई, वैसे ही प्रभावित गांवों में जमीन की कीमतें आसमान छूने लगीं। जिन इलाकों में पहले सामान्य दर पर खरीद-बिक्री हो रही थी, अब वहां जमीन के दाम पांच गुना तक बढ़ गए हैं। इसके पीछे कारण है कि सरकार ने मुआवजे के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में सर्किल रेट से चार गुना और शहरी क्षेत्रों में दो गुना तक राशि देने की घोषणा की है।

रेलवे द्वारा अधिग्रहण की प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ शुरू की गई है और जमीन मालिकों को नोटिस जारी कर सभी ज़रूरी कागजात जमा करने के लिए कहा गया है। इससे स्थानीय रैयतों में उत्सुकता और आर्थिक उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं।

एलिवेटेड ट्रैक के नीचे बनेगी सड़क, नहीं होगी आवाजाही में परेशानी

बुलेट ट्रेन के लिए रेलवे एक एलिवेटेड ट्रैक (Elevated Track) का निर्माण करेगा। रेलवे सूत्रों के अनुसार, इस ट्रैक के नीचे सड़क बनाकर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्थानीय लोगों की आवाजाही में कोई बाधा न आए। जिन गांवों से होकर यह ट्रैक गुजरेगा, वहां सड़क की सुविधा भी दी जाएगी, जिससे स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूती मिलेगी।

इस एलिवेटेड ट्रैक के कारण न केवल जमीन की खपत कम होगी बल्कि ट्रेन की स्पीड भी बेहतरीन रहेगी। यह पूरी योजना इस प्रकार से तैयार की जा रही है कि स्थानीय निवासियों को न्यूनतम असुविधा हो और साथ ही क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके।

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पटना समेत पांच जिलों में 260 किलोमीटर लंबा ट्रैक

बुलेट ट्रेन के लिए जो हाईस्पीड कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है, वह वाराणसी-पटना-हावड़ा हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (Varanasi-Patna-Howrah High Speed Rail Corridor) का हिस्सा होगा। इस कॉरिडोर में बिहार के पांच प्रमुख जिलों — पटना, बक्सर, आरा, जहानाबाद और गया — में लगभग 260 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड ट्रैक तैयार किया जाएगा।

यह ट्रेन अधिकतम 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी, जिससे यात्रियों को बेहद कम समय में एक शहर से दूसरे शहर तक यात्रा की सुविधा मिलेगी। फिलहाल इस प्रोजेक्ट के लिए एजेंसी का चयन नहीं हुआ है, लेकिन यह कार्य दो चरणों में पूरा किया जाएगा।

एजेंसी का चयन और DPR की तैयारी

इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की जिम्मेवारी नेशनल हाईस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) को दी गई है। यही संस्था इस प्रोजेक्ट की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Detailed Project Report – DPR) तैयार करेगी। पहले चरण में पटना से गया तक का ट्रैक बनाया जाएगा और दूसरे चरण में यह दिल्ली से वाराणसी तक विस्तारित होगा।

इस प्रोजेक्ट में बुलेट ट्रेन की रफ्तार के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास को भी ध्यान में रखा गया है। ग्रामीण इलाकों में बेहतर सड़क, आवागमन और रोजगार के अवसर इस योजना के साथ जुड़े हुए हैं। इसके अलावा, यह प्रोजेक्ट न केवल यातायात के क्षेत्र में बदलाव लाएगा, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी बिहार को एक नई दिशा देगा।

भविष्य की पटरी पर दौड़ते सपने

बिहार में बुलेट ट्रेन का सपना अब जमीन पर उतरने लगा है। यह प्रोजेक्ट न केवल परिवहन के क्षेत्र में क्रांति लाएगा, बल्कि पटना और अन्य जिलों के लोगों को रोजगार, व्यापार और आधुनिक जीवनशैली की नई राह दिखाएगा। बुलेट ट्रेन के ट्रैक के साथ-साथ यहां के लोगों की उम्मीदें भी पंख फैला रही हैं। जमीन के दामों में उछाल और अधिग्रहण प्रक्रिया की पारदर्शिता इस बात का संकेत है कि बिहार अब तेजी से बदलते भारत का हिस्सा बनने के लिए तैयार है।

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