
गेहूं की कटाई के बाद अगर कोई किसान फसल अवशेष यानी Crop Residues को जलाने की कोशिश करता है, तो अब उसे भारी जुर्माने का सामना करना पड़ेगा। हरियाणा सरकार ने इस पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। खासकर करनाल जिले में कृषि विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि इस बार फसल अवशेष जलाने पर किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। दोषी पाए जाने पर किसानों से ₹30,000 तक का जुर्माना वसूला जाएगा।
करनाल जिले में बनाए गए हैं विशेष निगरानी दल
फसल अवशेष में आग लगाने की घटनाओं पर नियंत्रण रखने के लिए करनाल कृषि विभाग ने 70 विशेष निगरानी टीमों का गठन किया है। ये टीमें गांव-गांव जाकर न सिर्फ निगरानी करेंगी, बल्कि किसानों को फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक भी करेंगी। इसके अलावा, ये टीमें किसी भी आगजनी की सूचना पर तुरंत कार्रवाई भी करेंगी ताकि समय रहते नुकसान को रोका जा सके।
‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की स्थिति
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. वजीर सिंह के अनुसार, करनाल जिले में अब तक ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ (Meri Fasal Mera Byora) पोर्टल पर किसानों द्वारा कुल 4 लाख 5 हजार एकड़ भूमि में गेहूं की खेती के लिए रजिस्ट्रेशन किया गया है। यह आंकड़ा यह दिखाता है कि जिले में गेहूं उत्पादन का दायरा काफी बड़ा है और उसी अनुपात में फसल अवशेष भी अधिक मात्रा में उत्पन्न होगा।
फसल अवशेष जलाने से होता है पर्यावरण और भूमि को नुकसान
सरकार के अनुसार, फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है। इससे हवा में धुआं फैलता है, जो न केवल लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि भूमि की उर्वरता भी घट जाती है। आग लगने से जान-माल के नुकसान का भी खतरा बना रहता है। इसके अलावा, धुएं के कारण सड़क दुर्घटनाएं होने की संभावना भी बढ़ जाती है, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा प्रभावित होती है।
जुर्माने की राशि और कार्रवाई की प्रक्रिया
राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट कर दिया गया है कि फसल अवशेष जलाने वालों पर अधिकतम ₹30,000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा। यह राशि आग की गंभीरता और क्षेत्रफल के आधार पर तय की जाएगी। किसी भी किसान द्वारा आगजनी की पुष्टि होते ही संबंधित अधिकारी उसकी रिपोर्ट तैयार करेंगे और फिर नियमानुसार चालान काटा जाएगा।
किसानों को दी जा रही है सलाह और सहयोग का अनुरोध
कृषि विभाग की ओर से किसानों से यह अपील की जा रही है कि वे इस अभियान में सरकार का सहयोग करें। किसानों को बताया जा रहा है कि फसल अवशेषों को जलाना उनकी खुद की भूमि और भविष्य की फसल के लिए नुकसानदायक है। सरकार इस विषय में वैकल्पिक उपायों को भी बढ़ावा दे रही है, जैसे कि अवशेष प्रबंधन उपकरण (Crop Residue Management Tools) का उपयोग।
रोक के बावजूद आग लगाने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई
भले ही सरकार बार-बार किसानों को आग न लगाने की सलाह दे रही है, लेकिन यदि इसके बावजूद कोई किसान फसल अवशेष जलाते हुए पाया जाता है, तो उसे कानून का सामना करना पड़ेगा। इस बार सरकार की नीति स्पष्ट है — शून्य सहिष्णुता (Zero Tolerance)।
सरकार के अन्य प्रयास और योजनाएं
राज्य सरकार की योजना है कि भविष्य में ऐसे उपकरण और तकनीक उपलब्ध कराए जाएं, जिससे किसान बिना जलाए फसल अवशेषों का प्रबंधन कर सकें। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध कराने की योजना पर भी काम कर रही हैं। साथ ही रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy आधारित समाधान भी तलाशे जा रहे हैं, ताकि अवशेषों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सके