
भारत में शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है, जिसमें दो व्यक्ति जीवनभर साथ रहने का वचन लेते हैं। इस सामाजिक और धार्मिक बंधन को कानूनी मान्यता देने के लिए विवाह का पंजीकरण और मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना बेहद जरूरी है। लेकिन कई बार शादी के तुरंत बाद लोग रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाते और सवाल उठता है कि क्या शादी के कई साल बाद भी मैरिज सर्टिफिकेट बनवाया जा सकता है? खासतौर पर जब शादी को 10 साल या उससे अधिक हो गए हों।
लेट मैरिज रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
भारत में मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने की कोई सख्त समय सीमा नहीं है। शादी के 10 साल बाद भी आप मैरिज सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर सकते हैं। हालांकि, लेट रजिस्ट्रेशन के मामले में कुछ अतिरिक्त प्रक्रियाओं और दस्तावेजों की आवश्यकता होती है।
अगर आप शादी के 30 दिनों के भीतर विवाह पंजीकरण नहीं कराते हैं तो बाद में रजिस्ट्रेशन कराते समय लेट फीस देनी पड़ती है। यदि विवाह के 5 साल से अधिक समय बीत चुका है, तो जिला रजिस्ट्रार से विशेष अनुमति लेनी जरूरी होती है।
लेट रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया हर राज्य के नियमों और विवाह के तहत आने वाले अधिनियम पर निर्भर करती है। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 उन लोगों के लिए है जो हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख धर्म को मानते हैं। जबकि विशेष विवाह अधिनियम 1954 इंटरफेथ या इंटरकास्ट विवाह के लिए लागू होता है।
आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज
शादी के 10 साल बाद मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको कुछ जरूरी दस्तावेज तैयार रखने होंगे। आवेदन पत्र, पति-पत्नी का ID प्रूफ, निवास प्रमाण-पत्र, आयु प्रमाण-पत्र, शादी का निमंत्रण पत्र और विवाह की तस्वीरें जरूरी होती हैं।
इसके अलावा शादी में शामिल गवाहों के पहचान पत्र भी देने होते हैं। रजिस्ट्रेशन में देरी का कारण और विवाह की वैधता की पुष्टि करने के लिए एक एफिडेविट भी लगाना होता है।
रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
सबसे पहले आपको उस क्षेत्र के विवाह रजिस्ट्रार कार्यालय में संपर्क करना होगा जहाँ आपकी शादी हुई थी या जहाँ आप वर्तमान में रह रहे हैं। आवेदन पत्र भरकर आवश्यक दस्तावेजों के साथ जमा करना होता है और निर्धारित फीस का भुगतान करना होता है।
दस्तावेजों के वेरिफिकेशन के बाद रजिस्ट्रार ऑफिस गवाहों का इंटरव्यू भी ले सकता है। कभी-कभी एडिशनल एफिडेविट भी मांगा जा सकता है। सभी औपचारिकताओं के पूरे होने पर कुछ दिनों या हफ्तों में मैरिज सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।
विवाह प्रमाण-पत्र के फायदे
मैरिज सर्टिफिकेट केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह कई महत्वपूर्ण कार्यों में भी मदद करता है। शादी के बाद अगर महिलाएं अपना सरनेम बदलती हैं तो इसके लिए मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है।
यह दस्तावेज प्रॉपर्टी के अधिकार, पैतृक संपत्ति में दावे और वित्तीय लाभों को पाने के लिए कानूनी आधार प्रदान करता है। बीमा पॉलिसी, बैंकिंग सर्विसेज में नॉमिनी बनाने, सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स, पेंशन और रिटायरमेंट फंड के लिए भी विवाह प्रमाण-पत्र अनिवार्य होता है।
इतना ही नहीं, तलाक, एलिमनी और बच्चे की कस्टडी से जुड़े मामलों में भी यह एक महत्वपूर्ण प्रमाण होता है। इसलिए शादी के कई साल बाद भी विवाह पंजीकरण कराना एक समझदारी भरा कदम है।
शादी के 10 साल बाद भी मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना क्यों है जरूरी?
शादी चाहे आज से 10 साल पहले हुई हो या और पहले, कानूनी प्रक्रिया को पूरा करना हमेशा फायदेमंद रहता है। भविष्य में किसी भी कानूनी, वित्तीय या पारिवारिक दावों में मैरिज सर्टिफिकेट की भूमिका बेहद अहम होती है। ऐसे में देरी होने पर भी बिना हिचक रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिए।
भारत सरकार ने विवाह पंजीकरण को सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध कराए हैं। अब आप घर बैठे भी आवेदन कर सकते हैं और अपनी शादी को कानूनी मान्यता दिलवा सकते हैं।