
चारधाम यात्रा 2025 इस बार आस्था के साथ एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है। उत्तराखंड पुलिस की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में साफ किया गया है कि इस बार की Chardham Yatra न सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए कठिन होगी, बल्कि संभावित हादसों और प्राकृतिक आपदाओं के चलते बेहद संवेदनशील भी बन चुकी है। रिपोर्ट में चिन्हित लैंडस्लाइड जोन, डेंजर ज़ोन, और एक्सीडेंट प्रोन एरिया सरकार की तैयारियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
30 अप्रैल से शुरू हो रही है यात्रा, अब तक 19 लाख श्रद्धालु करवा चुके हैं रजिस्ट्रेशन
चारधाम यात्रा 2025 की शुरुआत 30 अप्रैल से हो रही है और अब तक 19 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। यह संख्या पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है, लेकिन इसी के साथ इस बार जोखिम भी पहले से कहीं ज़्यादा बड़ा हो गया है। लाखों श्रद्धालुओं के पहुंचने से यातायात दबाव और दुर्घटनाओं की आशंका और भी बढ़ जाती है।
60 से ज्यादा लैंडस्लाइड ज़ोन, 120 एक्सीडेंट प्रोन इलाके, खतरे की घंटी
उत्तराखंड पुलिस द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, इस बार यात्रा मार्ग पर लैंडस्लाइड ज़ोन की संख्या 35 से बढ़कर 60 हो चुकी है, जबकि एक्सीडेंट संभावित क्षेत्रों की संख्या 80 से बढ़कर 120 तक पहुंच गई है। इसका मतलब है कि हर कुछ किलोमीटर पर एक नई चुनौती श्रद्धालुओं की राह में मौजूद रहेगी। ऐसे में Chardham Route अब और अधिक संवेदनशील बन चुका है, जिससे प्रशासन के लिए सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना और भी कठिन हो गया है।
पुलिस ने सरकार को भेजी विस्तृत रिपोर्ट, JCB तैनात करने की मांग
उत्तराखंड पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में इन डेंजर ज़ोन और एक्सीडेंट स्पॉट्स पर तत्काल सुधारात्मक कार्य करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से मांग की गई है कि इन इलाकों में दोनों तरफ जेसीबी वाहन तैनात किए जाएं ताकि किसी भी आपात स्थिति में मलबा तुरंत हटाया जा सके और रास्ता जल्दी खोला जा सके।
भूगर्भ वैज्ञानिकों की चेतावनी, भूस्खलन की घटनाओं में बड़ा इज़ाफा
भूगर्भ वैज्ञानिकों ने भी इस बार की चारधाम यात्रा को लेकर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों में भूस्खलन की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं – अत्यधिक मानवीय हस्तक्षेप, सड़क चौड़ीकरण, और मौसमी बदलाव। विशेषज्ञों के अनुसार, इन सभी कारणों से पहाड़ी इलाकों में जमीन का ढीला होना और sliding tendency बढ़ती जा रही है।
प्रशासन का दावा, लेकिन असली परीक्षा यात्रा के दौरान
उत्तराखंड प्रशासन का कहना है कि उन्होंने इस बार की यात्रा के लिए पुख्ता इंतज़ाम किए हैं। लेकिन जमीनी हकीकत पुलिस की रिपोर्ट से कुछ और ही बयां कर रही है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु जब इन जोखिम भरे रास्तों से गुजरेंगे, तब असली परीक्षा प्रशासन की तैयारियों की होगी।
तकनीकी और प्राकृतिक दोनों मोर्चों पर चुनौती
चारधाम यात्रा इस बार सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि तकनीकी और पर्यावरणीय दोनों स्तरों पर एक बड़ी चुनौती बन गई है। जहां एक तरफ तकनीकी तैयारी, सड़क सुरक्षा, और यातायात नियंत्रण जैसे मुद्दे सामने हैं, वहीं दूसरी ओर climate change और मानवजनित गतिविधियां यात्रा को और अधिक खतरनाक बना रही हैं।
श्रद्धालुओं से सतर्कता की अपील, न करें लापरवाही
सरकार और प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि वे यात्रा पर निकलने से पहले मौसम की जानकारी, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, और रूट की स्थितियों के बारे में पूरी जानकारी लेकर ही यात्रा करें। किसी भी प्रकार की लापरवाही न केवल उनके लिए, बल्कि अन्य श्रद्धालुओं के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है।
आस्था की परीक्षा या जोखिम भरी चुनौती?
Chardham Yatra 2025 इस बार आस्था और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकती है। जहां एक ओर श्रद्धालु भगवान के दर्शनों के लिए उमड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खतरों की सूची लंबी होती जा रही है। प्रशासन को चाहिए कि वह रिपोर्ट में बताए गए खतरों को गंभीरता से ले और यात्रा शुरू होने से पहले सभी जरूरी कदम उठाए जाएं।