पाकिस्तान पर नहीं रहा चीन को भरोसा! CPEC के लिए अब खुद करेगा बलूचों से बात

पाकिस्तान पर नहीं रहा चीन को भरोसा! CPEC के लिए अब खुद करेगा बलूचों से बात
पाकिस्तान पर नहीं रहा चीन को भरोसा! CPEC के लिए अब खुद करेगा बलूचों से बात
पाकिस्तान पर नहीं रहा चीन को भरोसा! CPEC के लिए अब खुद करेगा बलूचों से बात

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China-Pakistan Economic Corridor – CPEC) एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों में है। लगभग 62 अरब डॉलर की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर चीन ने अब पाकिस्तान की बजाय सीधे बलूच नेताओं से बातचीत करने का निर्णय लिया है। इस कदम से स्पष्ट होता है कि चीन अब पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहता।

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CPEC: चीन की रणनीति में बड़ा बदलाव

CPEC के तहत चीन ने पाकिस्तान में सड़क, रेलवे, ऊर्जा और बंदरगाहों के विकास में भारी निवेश किया है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ना है, जिससे चीन को मध्य पूर्व और अफ्रीका तक सीधी पहुंच मिल सके। हालांकि, बलूचिस्तान में बढ़ती असुरक्षा और स्थानीय विरोध के कारण परियोजना की प्रगति बाधित हो रही है।

बलूचिस्तान में सक्रिय बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और अन्य समूहों ने CPEC परियोजनाओं पर कई हमले किए हैं, जिनमें चीनी नागरिकों की जान भी गई है। इस स्थिति से चिंतित होकर चीन ने अब सीधे बलूच नेताओं से संपर्क साधने का निर्णय लिया है, ताकि परियोजना की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल

चीन का यह कदम पाकिस्तान की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाता है। अब तक पाकिस्तान CPEC की सुरक्षा का जिम्मा उठाता रहा है, लेकिन बलूचिस्तान में लगातार हो रहे हमलों से चीन का भरोसा डगमगाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह निर्णय पाकिस्तान की संप्रभुता और उसकी आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर सीधा संकेत है कि वह अब पूरी तरह भरोसेमंद नहीं रही।

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बलूचिस्तान: संसाधनों से समृद्ध, विकास से वंचित

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा और संसाधनों से समृद्ध प्रांत है, लेकिन यहां के लोग लंबे समय से विकास और बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। CPEC के तहत ग्वादर बंदरगाह, कोयला आधारित बिजली संयंत्र और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे जैसे बड़े परियोजनाएं शुरू की गईं, लेकिन स्थानीय लोगों को रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं नहीं मिल पाईं।

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इस असंतोष ने बलूच अलगाववादी आंदोलनों को बल दिया है, जो CPEC को अपने संसाधनों की लूट मानते हैं। चीन अब इन नेताओं से सीधे बातचीत कर उन्हें परियोजना में शामिल करने की कोशिश कर रहा है, ताकि स्थानीय समर्थन हासिल किया जा सके।

चीन की रणनीति: सुरक्षा से विकास तक

चीन का बलूच नेताओं से सीधा संवाद केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है। वह बलूचिस्तान के खनिज संसाधनों, विशेषकर रेयर अर्थ मेटल्स, तक पहुंच बनाना चाहता है। इसके अलावा, चीन की योजना है कि वह बलूचिस्तान में Renewable Energy परियोजनाओं में भी निवेश करे, जिससे स्थानीय विकास को बढ़ावा मिल सके।

चीन की यह रणनीति उसके बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत अन्य देशों में अपनाई गई रणनीतियों से मेल खाती है, जहां वह स्थानीय समूहों के साथ मिलकर परियोजनाओं को आगे बढ़ाता है।

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पाकिस्तान-चीन संबंधों पर असर

चीन का यह नया रुख पाकिस्तान-चीन संबंधों पर भी असर डाल सकता है। अब तक दोनों देशों के संबंध “आयरन ब्रदर” के रूप में जाने जाते थे, लेकिन चीन का पाकिस्तान की सरकार और सेना को दरकिनार कर बलूच नेताओं से सीधा संवाद करना इस रिश्ते में दरार का संकेत है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में सुरक्षा और विकास की स्थिति में सुधार नहीं किया, तो चीन की CPEC में रुचि कम हो सकती है, जिससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और बिगड़ सकती है।

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By Rohit Kumar

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