
देश की आम जनता को राहत देते हुए अब सरकार ने बुखार और दर्द में इस्तेमाल होने वाली आम दवाओं को ओवर-द-काउंटर (Over the Counter) श्रेणी में शामिल करने की मंजूरी दे दी है। इसका अर्थ है कि अब पेरासिटामोल (Paracetamol) और आइब्यूप्रोफेन (Ibuprofen) जैसी सामान्य दवाएं डॉक्टर की पर्ची के बिना भी खरीदी जा सकेंगी। इन दवाओं को अब हर जनरल स्टोर, किराना दुकान और मेडिकल आउटलेट पर उपलब्ध कराया जाएगा।
यह निर्णय ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (Drugs Technical Advisory Board) की सिफारिशों पर आधारित रिपोर्ट के बाद लिया गया है, जिसे हाल ही में केंद्र सरकार को सौंपा गया था। इसका उद्देश्य न केवल प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ बनाना है, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में दवा पहुंच को भी सरल बनाना है।
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा को मिलेगा बल
इस नए फैसले से खास तौर पर उन क्षेत्रों को लाभ मिलेगा जहां डॉक्टर की उपलब्धता सीमित है और मेडिकल स्टोर्स कम हैं। ग्रामीण इलाकों में अक्सर मामूली बुखार या दर्द की स्थिति में लोगों को प्राथमिक चिकित्सा सेवाएं नहीं मिल पातीं। अब जनरल स्टोर्स पर ये दवाएं उपलब्ध होने से आम लोग अपने स्तर पर तात्कालिक इलाज कर सकेंगे।
सरकार का कहना है कि इस कदम से हेल्थकेयर सेक्टर पर बोझ कम होगा और डॉक्टरों पर मामूली मामलों के इलाज का दबाव घटेगा। साथ ही, आम जनता में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और समय रहते लक्षणों का इलाज किया जा सकेगा।
किन दवाओं को मिली ओवर-द-काउंटर मंजूरी
इस फैसले के अंतर्गत जिन दवाओं को OTC यानी Over-the-Counter कैटेगरी में रखा गया है, उनमें प्रमुख रूप से बुखार के लिए पेरासिटामोल (Paracetamol) और दर्द निवारण के लिए आइब्यूप्रोफेन (Ibuprofen) शामिल हैं। इसके अलावा कुछ और सामान्य दवाएं, जो गाइडलाइंस के अनुरूप सुरक्षित मानी जाती हैं, उन्हें भी इस सूची में शामिल किया गया है।
ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड द्वारा इन दवाओं की सुरक्षा, प्रभावशीलता और दुष्प्रभावों का विस्तृत अध्ययन करने के बाद ही सरकार को रिपोर्ट सौंपी गई थी। यह पूरी प्रक्रिया चिकित्सा विशेषज्ञों और दवा नियंत्रकों की निगरानी में संपन्न हुई है।
आम लोगों की जेब पर पड़ेगा कम असर
पिछले कुछ वर्षों में हेल्थकेयर खर्च में भारी वृद्धि देखी गई है। खासकर कोरोना महामारी के बाद से आम जनता को मामूली बीमारियों के इलाज पर भी हजारों रुपये खर्च करने पड़े हैं। अब जब ये दवाएं किराना और जनरल स्टोर्स पर भी उपलब्ध होंगी, तो न केवल समय की बचत होगी बल्कि चिकित्सा खर्च में भी कमी आएगी।
एक अनुमान के अनुसार, इस फैसले से हर साल लाखों लोगों को तात्कालिक राहत मिलेगी और उन्हें बार-बार डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यह कदम हेल्थकेयर सेक्टर को आम जनता की पहुंच के भीतर लाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
सरकार का उद्देश्य है स्वास्थ्य सुविधाओं का विकेंद्रीकरण
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय ‘स्वस्थ भारत’ अभियान की दिशा में एक और बड़ा कदम है। इसके तहत सरकार का उद्देश्य है कि आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं हर नागरिक को बिना किसी भौगोलिक बाधा के उपलब्ध कराई जा सकें।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “यह फैसला लंबे शोध और चर्चा के बाद लिया गया है। दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए भी विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, और जनरल स्टोर मालिकों को इन दवाओं की बिक्री के संबंध में प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।”
दवाओं की गुणवत्ता और निगरानी पर भी रहेगा विशेष जोर
इस कदम के साथ सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि दवाओं की गुणवत्ता से कोई समझौता न हो। इसके लिए हर राज्य में ड्रग कंट्रोल ऑफिस को अधिक निगरानी और निरीक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। यदि कोई दुकानदार एक्सपायर्ड या नकली दवाएं बेचते हुए पकड़ा गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही, सभी जनरल स्टोर मालिकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि दवाएं सीलबंद पैक में और सही तापमान पर रखी जाएं।
डिजिटल हेल्थकेयर और जागरूकता अभियान की शुरुआत
सरकार ने यह भी कहा है कि जल्द ही डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक व्यापक हेल्थ अवेयरनेस अभियान शुरू किया जाएगा, जिसमें बताया जाएगा कि किन लक्षणों में कौन सी दवा सुरक्षित है और कब डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है।
इससे न केवल दवाओं के सही उपयोग को बढ़ावा मिलेगा बल्कि खुद से दवा लेने (सेल्फ मेडिकेशन) की प्रवृत्ति में भी संतुलन बना रहेगा।