
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के बाद पशुपालन को आमदनी का प्रमुख स्रोत माना जाता है। खासतौर पर गौ पालन किसानों के बीच सबसे लोकप्रिय व्यवसायों में से एक है। गाय से दूध के साथ-साथ गोबर भी प्राप्त होता है, जो जैविक खाद के रूप में खेतों में उपयोग किया जाता है, जिससे खेती की लागत में कमी आती है। इसी कारण, गौ पालन की ओर किसानों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है।
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अगर आप अधिक दूध देने वाली देसी गायों की नस्लें तलाश रहे हैं, तो यहां हम आपको भारत की 5 प्रमुख दूध उत्पादन में श्रेष्ठ देसी गायों की जानकारी दे रहे हैं। ये गायें अन्य नस्लों की तुलना में ज्यादा दूध देने के लिए जानी जाती हैं।
अगर आप गौ पालन करना चाहते हैं और अधिक दूध देने वाली देसी गायों की तलाश में हैं, तो ऊपर बताई गई नस्लें आपके लिए सबसे उपयुक्त हो सकती हैं। ये नस्लें कम लागत में अधिक दूध देती हैं और किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक होती हैं। गौ पालन से होने वाली आय डेयरी बिजनेस के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है।
सिरोही गाय: अधिक दूध देने वाली उन्नत नस्ल
सिरोही गाय की पहचान इसकी औसतन 120 सेमी ऊंचाई और सफेद या भूरा-सफेद रंग से की जाती है। इस नस्ल की खासियत यह है कि यह एक ब्यांत में करीब 1600 लीटर तक दूध देती है।
- प्रतिदिन दूध उत्पादन: 10 से 12 लीटर
- दूध में फैट की मात्रा: 4.64 प्रतिशत
सिरोही गाय किसानों के लिए किफायती होती है, क्योंकि यह कम लागत में अधिक दूध उत्पादन की क्षमता रखती है।
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मेवाती गाय: दूध उत्पादन में भरोसेमंद नस्ल
मेवाती नस्ल की गाय सफेद रंग की होती है, जिसकी औसत ऊंचाई 125 सेमी होती है। इस गाय के थन विकसित होते हैं, जिससे यह लगातार अच्छा दूध उत्पादन कर सकती है।
- प्रतिदिन दूध उत्पादन: 5 से 7 लीटर
- एक ब्यांत में औसतन दूध उत्पादन: 900 से 1000 लीटर
यह नस्ल छोटे और मध्यम किसानों के लिए उपयुक्त मानी जाती है, क्योंकि इसकी देखभाल में ज्यादा खर्च नहीं आता।
थारपारकर गाय: भारत की सर्वश्रेष्ठ दुधारू नस्ल
थारपारकर नस्ल का नाम इसके उत्पत्ति स्थल थार रेगिस्तान के नाम पर रखा गया है। यह भारत की बेहतरीन दुधारू नस्लों में गिनी जाती है।
- प्रतिदिन दूध उत्पादन: 12 से 16 लीटर
- एक ब्यांत में औसतन दूध उत्पादन: 1700 लीटर
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अनुसार, यह गाय गर्मी सहन करने में सक्षम होती है और कम संसाधनों में भी अच्छा दूध उत्पादन करती है।
राठी गाय: राजस्थान की कामधेनु
राठी नस्ल की गाय को राजस्थान की कामधेनु भी कहा जाता है। इसकी खासियत यह है कि यह किसी भी जलवायु में खुद को ढाल सकती है।
- प्रतिदिन दूध उत्पादन: 7 से 12 लीटर (अच्छी देखभाल में 18 लीटर तक भी दे सकती है)
यह नस्ल छोटे किसानों के लिए आदर्श मानी जाती है, क्योंकि यह कम देखभाल में भी बेहतर दूध उत्पादन कर सकती है।
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लाल कंधारी गाय: छोटे किसानों के लिए लाभकारी
लाल कंधारी नस्ल को चौथी सदी में कंधार के राजाओं द्वारा विकसित किया गया था। यह खासकर छोटे किसानों के लिए बेहद फायदेमंद होती है, क्योंकि इसे कम चारे में भी पाला जा सकता है।
- प्रतिदिन दूध उत्पादन: 4 से 6 लीटर
इसके दूध की गुणवत्ता बेहतर होती है और इसका पालन-पोषण कम खर्चीला होता है।