बैंक हुआ कंगाल, लोगों के फंसे करोड़ों रुपये! सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर आम जनता

Nepanagar Nagarik Sahakari Bank में करोड़ों का घोटाला, FD और सेविंग अकाउंट वाले हुए बर्बाद। बुजुर्ग, बीमार और जरूरतमंद अब भुखमरी की कगार पर क्या आपका पैसा भी फंसा है? जानिए पूरा सच और कार्रवाई की अपडेट!

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Written byRohit Kumar

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बैंक हुआ कंगाल, लोगों के फंसे करोड़ों रुपये! सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर आम जनता
बैंक हुआ कंगाल, लोगों के फंसे करोड़ों रुपये! सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर आम जनता

Bank News: मध्यप्रदेश (एमपी) के सहकारी बैंकों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। कई बैंक अब कंगाली की कगार पर पहुंच गए हैं, जिससे आम लोगों की वर्षों की मेहनत की कमाई खतरे में पड़ गई है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है बुरहानपुर जिले के नेपानगर (Nepanagar) से, जहां नागरिक सहकारी बैंक (Nagarik Sahakari Bank) में करोड़ों रुपए का गबन सामने आया है। यहां करीब 8.85 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है, जिससे न केवल बैंक की वित्तीय स्थिति चरमरा गई है, बल्कि जमाकर्ताओं को उनकी मूल राशि और ब्याज तक नहीं मिल रहा।

वर्षों की पूंजी डूबने से हताश हुए जमाकर्ता, इलाज तक के पैसे नहीं

Nepanagar Nagarik Sahakari Bank में गबन के चलते हजारों जमाकर्ता गहरे संकट में हैं। कई लोग ऐसे हैं जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है और उन्होंने अपने रिटायरमेंट के पैसे इस बैंक में जमा किए थे। अब स्थिति ये हो गई है कि उन्हें अपने ही पैसे निकालने के लिए अधिकारियों और बैंक के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कई जमाकर्ता गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं लेकिन आर्थिक तंगी के कारण इलाज नहीं करा पा रहे। कुछ परिवार तो भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं।

दो साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे लोग, अब तक नहीं मिला समाधान

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बैंक में घोटाला सामने आए दो साल हो चुके हैं। इस दौरान जमाकर्ताओं ने जिला प्रशासन, पुलिस और सहकारिता विभाग तक अपनी गुहार लगाई है। लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई है। मंगलवार को बैंक के दर्जनों जमाकर्ता जिला कलेक्टर हर्ष सिंह से मिलने पहुंचे और अपनी जमा राशि वापस दिलवाने की मांग की। कलेक्टर ने मामले में 6 मई तक उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

घोटाले की जड़ में बैंक कर्मचारी, कई गिरफ्तार, कुछ अब भी फरार

जांच में यह साफ हुआ है कि यह पूरा घोटाला बैंक के ही कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ है। उन्होंने वर्षों से आम जनता द्वारा जमा की गई रकम को हेराफेरी कर गायब कर दिया। पुलिस ने मामले में अब तक कुछ कर्मचारियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, लेकिन कई आरोपी अब भी फरार हैं। संचालक मंडल ने पहले ही शिकायत दर्ज करा दी थी, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई में विलंब के चलते हालात बिगड़ते गए।

बैंक कंगाली की हालत में, न मूलधन मिल रहा, न ब्याज

बैंक की मौजूदा स्थिति इतनी खराब है कि उसके पास जमाकर्ताओं को उनका मूलधन भी लौटाने की क्षमता नहीं बची है। FD धारकों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है क्योंकि उन्हें न केवल उनकी राशि वापस नहीं मिल रही, बल्कि उस पर मिलने वाला ब्याज भी बंद हो गया है। बैंक का संपूर्ण कैश फ्लो रुक चुका है, जिससे यह एक मृत संस्था में तब्दील होता जा रहा है।

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एमपी के अन्य सहकारी बैंक भी संकट में, गहराता जा रहा है विश्वास का संकट

Nepanagar Nagarik Sahakari Bank का यह मामला कोई अकेला उदाहरण नहीं है। मध्यप्रदेश में कई सहकारी बैंक ऐसे हैं जो वित्तीय अनियमितताओं और कुप्रबंधन के कारण संकट में हैं। इससे प्रदेश में सहकारी बैंकिंग प्रणाली पर लोगों का भरोसा कम होता जा रहा है। सरकारी योजनाओं जैसे किसान कल्याण योजना और संबल योजना की राशि भी कई बार समय पर खातों में नहीं पहुंच पाती, जिससे आम नागरिकों को परेशानी होती है।

जनता में आक्रोश, कार्रवाई की मांग तेज

Nepanagar में घोटाले से पीड़ित लोग अब सड़क पर उतर आए हैं। जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक वे अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर समय रहते उन्हें उनकी राशि नहीं मिली तो वे आंदोलन करेंगे। कलेक्टर हर्ष सिंह ने मामले की गंभीरता को समझते हुए कहा है कि 6 मई तक कार्रवाई की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

गबन की इस घटना ने सहकारी बैंकों की विश्वसनीयता पर खड़े किए सवाल

Nepanagar Nagarik Sahakari Bank में 8.85 करोड़ रुपए के इस घोटाले ने सहकारी बैंकों की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब समय आ गया है कि सहकारी बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही और सख्त निगरानी तंत्र को लागू किया जाए, जिससे आम लोगों की गाढ़ी कमाई सुरक्षित रह सके। राज्य सरकार और रिजर्व बैंक को इस दिशा में मिलकर काम करना होगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

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