
केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की लंबित मांगों को लेकर कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉयीज एंड वर्कर्स ने एक बार फिर आवाज उठाई है। इस संगठन ने अपनी प्रमुख मांगों में कोविड-19 महामारी के दौरान रोके गए महंगाई भत्ते (DA) के बकाया का भुगतान शामिल किया है।
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डीए एरियर का मुद्दा
महंगाई भत्ता (Dearness Allowance – DA) केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। आमतौर पर सरकार हर साल जनवरी और जुलाई में DA में संशोधन करती है। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण केंद्र सरकार ने जनवरी 2020 से जून 2021 तक के लिए महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी पर रोक लगा दी थी।
इस दौरान कर्मचारियों को तीन किस्तों में DA का भुगतान होना था, जो अब तक लंबित है। केंद्र सरकार का तर्क है कि इन 18 महीनों का बकाया भुगतान आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है, लेकिन कर्मचारी संगठन लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।
कंफेडरेशन की प्रमुख मांगें
कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉयीज एंड वर्कर्स ने 7 मार्च 2025 को जारी अपने सर्कुलर में सरकार के सामने निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
- कोविड-19 महामारी के दौरान रोके गए डीए एरियर का शीघ्र भुगतान किया जाए।
- नई पेंशन योजना (New Pension Scheme – NPS) को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme – OPS) को बहाल किया जाए।
- कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की पेंशन से काटी गई राशि को 12 साल में बहाल किया जाए (फिलहाल यह अवधि 15 साल है)।
- कंपेशनेट के आधार पर नौकरी देने पर 5 प्रतिशत की सीमा हटाई जाए।
- सभी पात्र आवेदकों को नियुक्ति दी जाए।
- केंद्र सरकार के सभी विभागों में रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए।
- सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग और प्राइवेटाइजेशन को रोका जाए।
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कर्मचारी संगठन का रुख
कंफेडरेशन के अनुसार, केंद्र सरकार की उदासीनता के कारण कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की जायज मांगें अब तक पूरी नहीं हो सकी हैं। संगठन ने बताया कि वे अपनी मांगों के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं और भविष्य में भी यह संघर्ष जारी रहेगा।
कंफेडरेशन ने अपने सर्कुलर में सभी यूनियन नेताओं को निर्देश दिया है कि वे 10-11 मार्च को गेट मीटिंग आयोजित कर कर्मचारियों को जागरूक करें, ताकि वे भविष्य के आंदोलनों के लिए तैयार हो सकें।
सरकार का रुख
हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि डीए के बकाया भुगतान को लेकर आर्थिक रूप से व्यावहारिक निर्णय लिया गया है, और ऐसे में डीए बकाया देने में असमर्थता जताई गई है। सरकार का मानना है कि महामारी के दौरान आर्थिक स्थिति को संतुलित करने के लिए यह निर्णय आवश्यक था।
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आगे की संभावनाएं
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे अपने आंदोलन को तेज करेंगे। इससे आने वाले समय में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के हितों को लेकर बड़ा आंदोलन खड़ा हो सकता है।