
दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशियों के खिलाफ पुलिस ने शिकंजा कसना तेज़ कर दिया है। चुनाव से पहले शुरू हुआ यह अभियान अब और तेज हो गया है, क्योंकि दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के निर्देश पर इसे और आक्रामक रूप दिया गया है। दिल्ली पुलिस झुग्गियों और संदिग्ध इलाकों में पहुंचकर विशेष वेरिफिकेशन ड्राइव चला रही है, जिसमें लोगों से खास जानकारी मांगी जा रही है।
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दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के खिलाफ पुलिस का शिकंजा कस चुका है। वेरिफिकेशन ड्राइव के जरिए संदिग्ध लोगों की पहचान कर उन्हें कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा। बैंक और सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी मांगने से पुलिस को इस प्रक्रिया में और मदद मिलेगी। हालांकि, इस अभियान से कई लोगों में डर का माहौल है, लेकिन सरकार का दावा है कि यह कार्रवाई सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए की जा रही है।
दिल्ली पुलिस कर रही है गहन जांच, 5 सवालों पर टिकी कार्रवाई
दिल्ली पुलिस अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए उनके घरों तक पहुंच रही है और वहां रहने वालों से कुछ खास सवाल पूछ रही है। इन सवालों में नाम, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड नंबर और वोटर आईडी जैसी बेसिक जानकारी शामिल है। हालांकि, इस बार पुलिस ने दो नई डिटेल्स भी मांगी हैं, जिनसे लोग हिचकिचा रहे हैं – बैंक अकाउंट की जानकारी और सोशल मीडिया अकाउंट की डिटेल्स।
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किन इलाकों में चल रहा है वेरिफिकेशन ड्राइव?
पुलिस उन इलाकों में यह अभियान चला रही है जहां पहले भी अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों की मौजूदगी दर्ज की गई है। खासतौर पर दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों, झुग्गी बस्तियों और मजदूर कॉलोनियों में यह अभियान तेज किया गया है।
क्यों मांगी जा रही हैं बैंक और सोशल मीडिया डिटेल्स?
दिल्ली पुलिस ने इस बार बैंक अकाउंट डिटेल और सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी भी मांगनी शुरू कर दी है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि अवैध रूप से रह रहे लोग फर्जी वोटर आईडी, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज बनवा लेते हैं।
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- बैंक अकाउंट से होगी पैसों की ट्रेल की जांच
- पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इन अकाउंट्स से कोई संदिग्ध ट्रांजैक्शन हो रहा है।
- कहीं पैसा बांग्लादेश या म्यांमार तो नहीं भेजा गया या वहां से आया तो नहीं है।
- यदि कोई संदिग्ध ट्रांजैक्शन मिलता है, तो संबंधित व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
- सोशल मीडिया से होगी नेटवर्किंग की पहचान
- अवैध रूप से रह रहे लोग किन लोगों के संपर्क में हैं, इसका पता लगाया जा सकेगा।
- क्या उनका कनेक्शन म्यांमार या बांग्लादेश के सोशल मीडिया प्रोफाइल्स से है?
- अगर कोई संदिग्ध गतिविधि मिलती है, तो इससे उनकी पहचान को सत्यापित किया जा सकेगा।
पुलिस के अभियान से बढ़ी चिंता
दिल्ली पुलिस के इस सख्त अभियान से कई झुग्गी बस्तियों और प्रवासी समुदायों में डर का माहौल बना हुआ है। कई लोग अपने घरों से बाहर निकलने से बच रहे हैं, वहीं कुछ लोगों ने इलाके ही बदल दिए हैं।
हालांकि, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह ड्राइव किसी धर्म या जाति के खिलाफ नहीं बल्कि अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान करने के लिए चलाया जा रहा है। दिल्ली में कानून व्यवस्था बनाए रखने और चुनावी प्रक्रिया को सुरक्षित बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
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बीजेपी सरकार के आने के बाद तेज़ हुआ अभियान
भाजपा (BJP) सरकार के सत्ता में आने के बाद इस तरह की कार्रवाइयां तेज़ कर दी गई हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था कि अवैध घुसपैठियों को दिल्ली में रहने नहीं दिया जाएगा। इस वेरिफिकेशन ड्राइव के तहत जल्द ही और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।
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आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
- डिजिटल वेरिफिकेशन को बढ़ावा दिया जा सकता है – बायोमेट्रिक डेटा और डिजिटल दस्तावेजों की मदद से अवैध प्रवासियों की पहचान की जाएगी।
- अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई हो सकती है – झुग्गियों और अनधिकृत कॉलोनियों में रह रहे लोगों पर खास नजर रखी जाएगी।
- डिपोर्टेशन (देश से बाहर भेजने) की प्रक्रिया तेज़ होगी – यदि कोई अवैध रूप से रह रहा पाया जाता है तो उसे जल्द ही डिपोर्ट किया जा सकता है।
- राशन कार्ड और सरकारी योजनाओं का ऑडिट होगा – यह देखा जाएगा कि कहीं कोई अवैध प्रवासी सरकारी सुविधाओं का गलत लाभ तो नहीं उठा रहा।