
सहारनपुर (Saharanpur) में डीएम मनीष बंसल ने प्राइवेट स्कूलों द्वारा की जा रही मनमानी पर सख्त रुख अपनाया है। पिछले कुछ वर्षों से लगातार मिल रही शिकायतों के बाद अब जिला प्रशासन ने कड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। शिकायतें थीं कि स्कूलों में फीस (Fees) में अनावश्यक वृद्धि, स्पेशल यूनिफॉर्म (Special Uniform) और एक ही दुकान से किताबें (Books) खरीदने का दबाव डाला जा रहा है। अभिभावकों की इस पीड़ा पर डीएम ने त्वरित एक्शन लेते हुए संबंधित स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए हैं।
शिकायतों की पुष्टि और प्रशासन की प्रतिक्रिया
डीएम मनीष बंसल ने खुद इस विषय पर मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि अब तक करीब 11 शिकायतें उन्हें प्राप्त हो चुकी हैं। इनमें से एक प्रमुख शिकायत यह थी कि कुछ स्कूलों ने अपनी किताबों को इस तरह डिजाइन कराया है कि वे केवल एक ही दुकान पर उपलब्ध हैं। इसी तरह कुछ स्कूल यूनिफॉर्म पर स्कूल का नाम छपवाकर उसे विशेष बना रहे हैं, जिससे अभिभावकों को मजबूरन उन्हीं गिनी-चुनी दुकानों से खरीदारी करनी पड़ती है।
स्पेशल ड्रेस और फीस वृद्धि बनी समस्या
शहर के कई प्राइवेट स्कूल अभिभावकों पर यह दबाव डालते हैं कि वे केवल एक निश्चित दुकान से ही यूनिफॉर्म और किताबें खरीदें। इतना ही नहीं, कुछ स्कूलों में हर साल मनमाने तरीके से फीस बढ़ा दी जाती है, जिससे मध्यमवर्गीय और निम्नवर्गीय परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। डीएम को इन समस्याओं की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने तुरंत संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की और जांच के आदेश दिए।
स्कूल प्रबंधकों की बैठक और नोटिस जारी
डीएम ने बताया कि जिले के सभी सीबीएसई (CBSE) और आईसीएसई (ICSE) स्कूलों के प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों की एक बैठक बुलाई गई है। बैठक में स्कूलों की कार्यप्रणाली और अभिभावकों की शिकायतों पर विस्तार से चर्चा की गई। इसके बाद स्कूलों को निर्देश दिया गया कि वे फीस स्ट्रक्चर का पूरा ब्यौरा प्रशासन को उपलब्ध कराएं। जो स्कूल यह जानकारी नहीं देंगे, उन्हें नोटिस जारी किया जाएगा और जवाब संतोषजनक न होने की स्थिति में उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय अधिनियम 2018 का पालन अनिवार्य
डीएम बंसल ने स्पष्ट किया कि सभी स्कूलों को उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय अधिनियम 2018 का कड़ाई से पालन करना होगा। इस कानून के अनुसार, कोई भी स्कूल अभिभावकों पर किताबें और ड्रेस खरीदने के लिए एक विशेष दुकान को अनिवार्य नहीं बना सकता। इस प्रकार की जबरदस्ती को उत्पीड़न की श्रेणी में माना जाएगा और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
जुर्माना और मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया
डीएम ने चेतावनी दी कि यदि कोई स्कूल पहली बार नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। दूसरी बार उल्लंघन पर यह जुर्माना 5 लाख रुपये तक हो सकता है। वहीं अगर कोई स्कूल तीसरी बार नियमों का उल्लंघन करता पाया गया तो उसकी मान्यता रद्द (Recognition Cancelled) कर दी जाएगी। यह निर्णय स्कूलों को मनमानी से रोकने के लिए एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
अभिभावकों को मिला राहत का भरोसा
इस कार्रवाई के बाद अभिभावकों में उम्मीद की एक नई किरण जगी है। वर्षों से वे जिन समस्याओं से जूझ रहे थे, उन पर प्रशासन की ओर से पहली बार इतनी सख्ती से कदम उठाया गया है। सहारनपुर के अभिभावक अब उम्मीद कर रहे हैं कि स्कूलों की यह मनमानी जल्द खत्म होगी और उन्हें आर्थिक व मानसिक राहत मिलेगी।
शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की ओर एक कदम
सहारनपुर प्रशासन का यह फैसला ना सिर्फ अभिभावकों के हित में है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। जब स्कूलों को यह एहसास होगा कि उनके हर कदम पर प्रशासन की नजर है, तो वे भी नीतिगत सुधार करने को मजबूर होंगे।