
डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से उनके कई फैसले दुनियाभर में सुर्खियों का हिस्सा बनते रहे हैं। अब ट्रंप प्रशासन एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद का कारण बन सकता है। अमेरिका (USA) में कुछ देशों के नागरिकों की एंट्री पर बैन लगाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। इस योजना के तहत एक मेमो सामने आया है, जिसमें 41 देशों के नाम शामिल हैं।
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यह प्रस्ताव अमेरिकी वीजा (US Visa) नीति में व्यापक बदलाव की ओर इशारा करता है, जिससे कई देशों के नागरिकों पर अमेरिका में प्रवेश के लिए पाबंदियां लग सकती हैं। यह प्रतिबंध सुरक्षा कारणों और दस्तावेजी प्रक्रियाओं की कमी के आधार पर लगाए जा सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित यह नई वीजा नीति अमेरिका की वैश्विक छवि को प्रभावित कर सकती है। यह न केवल उन देशों के नागरिकों पर असर डालेगी जो अमेरिका आने की योजना बना रहे थे, बल्कि अमेरिका में पहले से रह रहे प्रवासियों के लिए भी चिंता का विषय बन सकती है। यह देखना अब दिलचस्प होगा कि यह नीति लागू होती है या फिर अमेरिकी न्यायपालिका एक बार फिर इसमें हस्तक्षेप करती है।
41 देशों की सूची: तीन समूहों में बांटा गया प्रस्ताव
खबरों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन द्वारा तैयार किए गए इस मेमो में शामिल 41 देशों को तीन अलग-अलग समूहों में बांटा गया है।
पहले समूह में 10 देशों को रखा गया है, जिनके नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति पूरी तरह से निलंबित कर दी जाएगी। इसमें अफगानिस्तान (Afghanistan), ईरान (Iran), सीरिया (Syria), क्यूबा (Cuba), और उत्तर कोरिया (North Korea) जैसे देश शामिल हैं। इन देशों के नागरिकों को वीजा जारी करने की प्रक्रिया पूरी तरह से रोकी जा सकती है।
दूसरे समूह के देशों पर आंशिक प्रतिबंध की संभावना
दूसरे समूह में 5 देशों को रखा गया है, जिन पर आंशिक रूप से वीजा निलंबन लागू किया जाएगा। इनमें इरीट्रिया (Eritrea), हैती (Haiti), लाओस (Laos), म्यांमार (Myanmar), और दक्षिण सूडान (South Sudan) शामिल हैं। इन देशों के कुछ श्रेणियों के नागरिकों को ही अमेरिका का वीजा मिल सकेगा, जबकि बाकी पर रोक लगाई जा सकती है।
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तीसरे समूह में पाकिस्तान और भूटान सहित 26 देश शामिल
तीसरे समूह को ‘ऑरेंज लिस्ट’ (Orange List) कहा जा रहा है, जिसमें 26 देशों के नाम शामिल हैं। इस सूची में पाकिस्तान (Pakistan), रूस (Russia), भूटान (Bhutan), बेलारूस (Belarus), म्यांमार, हैती, लाओस, एरिट्रिया, सिएरा लियोन, दक्षिण सूडान और तुर्कमेनिस्तान (Turkmenistan) जैसे देशों के नाम हैं।
इन देशों पर भी आंशिक प्रतिबंध लगाए जाने की योजना है, जिसके अंतर्गत अमेरिका में वीजा प्रक्रिया को और अधिक सख्त बनाया जाएगा।
रेड लिस्ट के 10 देश: अमेरिका में प्रवेश पर पूरी तरह से पाबंदी
ट्रंप प्रशासन द्वारा तैयार की गई ‘रेड लिस्ट’ (Red List) में 10 देशों को रखा गया है, जिनके नागरिकों की अमेरिका में एंट्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई है। इस सूची में अफगानिस्तान और भूटान जैसे भारत के पड़ोसी देश भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त क्यूबा, ईरान, लीबिया (Libya), उत्तर कोरिया, सोमालिया (Somalia), सूडान (Sudan), सीरिया, वेनेजुएला (Venezuela) और यमन (Yemen) को भी इस सूची में रखा गया है।
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येलो लिस्ट: 22 देशों को चेतावनी, सुधार के लिए समय
इसके अलावा 22 देशों को येलो लिस्ट (Yellow List) में रखा गया है। इस सूची में शामिल देशों को चेतावनी दी गई है कि वे अपनी प्रशासनिक और सुरक्षा प्रक्रियाओं को सुधारें ताकि वे संभावित प्रतिबंधों से बच सकें।
इस लिस्ट में अंगोला (Angola), एंटीगुआ और बारबुडा (Antigua and Barbuda), कंबोडिया (Cambodia), कैमरून (Cameroon), चाड (Chad), कांगो (Congo), माली (Mali), लाइबेरिया (Liberia), वानुआतू (Vanuatu), जिम्बाब्वे (Zimbabwe) जैसे देशों के नाम शामिल हैं।
ट्रंप प्रशासन का मकसद क्या है?
इस नीति का उद्देश्य अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना बताया जा रहा है। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि कुछ देश पर्याप्त स्तर पर अपने नागरिकों की पहचान और पृष्ठभूमि की जांच नहीं करते हैं, जिससे अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
ट्रंप का यह फैसला उस नीति का ही विस्तार है, जिसे उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान “मुस्लिम बैन” के नाम से शुरू किया था। हालांकि तब उसे अमेरिकी अदालतों द्वारा आंशिक रूप से रोक दिया गया था।
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अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और आलोचना
इस नई नीति को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाएं शुरू हो गई हैं। कई देशों ने इसे भेदभावपूर्ण और नस्लीय आधार पर बनाई गई नीति बताया है। इसके साथ ही मानवाधिकार संगठनों ने भी इस कदम को ‘प्रवासी विरोधी’ करार देते हुए इसकी आलोचना की है।
हालांकि ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह फैसला अमेरिका की सुरक्षा के लिए आवश्यक है और इसमें किसी धर्म या नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं किया गया है।