Eid Holidays in UP: यूपी में ईद की छुट्टी कब मिलेगी? 31 मार्च या 1 अप्रैल? जानें स्कूल और ऑफिस कब रहेंगे बंद

उत्तर प्रदेश में Eid Holiday को लेकर जबरदस्त कन्फ्यूजन! सरकारी कैलेंडर में छुट्टी 31 मार्च, लेकिन 1 अप्रैल भी छुट्टी? क्या स्कूल-कॉलेज और बैंक दोनों दिन रहेंगे बंद? जिलाधिकारी बदल सकते हैं तारीख! मेरठ में पासपोर्ट जब्ती की चेतावनी से मचा बवाल! जानिए यूपी में ईद की छुट्टी की पूरी सच्चाई, सिर्फ यहीं

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Written byRohit Kumar

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Eid Holidays in UP: यूपी में ईद की छुट्टी कब मिलेगी? 31 मार्च या 1 अप्रैल? जानें स्कूल और ऑफिस कब रहेंगे बंद
Eid Holidays in UP: यूपी में ईद की छुट्टी कब मिलेगी? 31 मार्च या 1 अप्रैल? जानें स्कूल और ऑफिस कब रहेंगे बंद

उत्तर प्रदेश में ईद की छुट्टी (Eid Holiday in UP) को लेकर लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कोई 31 मार्च को अवकाश बता रहा है तो कोई 1 अप्रैल का दावा कर रहा है। ऐसे में स्कूलों, सरकारी कार्यालयों और बैंकों में कामकाज को लेकर लोगों के मन में असमंजस है। आइए जानते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार के आधिकारिक कैलेंडर के अनुसार ईद की छुट्टी कब है और प्रशासन की ओर से क्या दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

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ईद की छुट्टी (Eid Holiday in Uttar Pradesh) को लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट है कि 31 मार्च को सार्वजनिक अवकाश है और 1 अप्रैल को निर्बंधित अवकाश। लेकिन अंतिम निर्णय चंद्र दर्शन पर निर्भर करेगा और जिला प्रशासन को यह अधिकार है कि वह अंतिम तिथि निर्धारित करे। ऐसे में लोगों को सलाह दी जाती है कि वे स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों और सूचनाओं पर नजर रखें।

यूपी सरकार के कैलेंडर में क्या कहा गया है?

उत्तर प्रदेश शासन, सामान्य अनुभाग द्वारा जारी पत्र संख्या 870/तीन-2024-39 (2) 2016, दिनांक 17 दिसंबर 2024 के तहत 2025 के लिए जो सरकारी कैलेंडर प्रकाशित किया गया है, उसमें ईद उल फितर (Eid-ul-Fitr 2025) की छुट्टी 31 मार्च 2025, सोमवार (चैत्र 10, 1947) को घोषित की गई है। इसके अलावा 1 अप्रैल 2025, मंगलवार (चैत्र 11, 1947) को भी एक निर्बंधित अवकाश निर्धारित किया गया है।

इस नोट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि चूंकि ईद का पर्व चंद्र दर्शन पर आधारित होता है, इसलिए इसकी तिथि में बदलाव की संभावना बनी रहती है। इसी कारण से जिलाधिकारी को अधिकृत किया गया है कि वे स्थानीय चंद्र दर्शन के आधार पर अवकाश की तिथि को पुनः निर्दिष्ट कर सकते हैं।

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हालांकि ऐसा करते समय जिला प्रशासन को यह ध्यान रखना होगा कि अगर अवकाश की तिथि में बदलाव किया जाता है, तो बैंक प्रबंधन (Bank Management) यह सुनिश्चित करे कि उसी दिन बैंकों में भी अवकाश रखा जाए।

स्कूल और सरकारी संस्थानों में छुट्टी

राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार 31 मार्च को ईद की मुख्य सार्वजनिक छुट्टी घोषित की गई है। इस दिन राज्य के सभी सरकारी कार्यालय, शैक्षिक संस्थान (Schools, Government Institutions) और अधिकतर बैंक बंद रहेंगे।

1 अप्रैल को निर्बंधित अवकाश की श्रेणी में रखा गया है, यानी यह वैकल्पिक छुट्टी मानी जाती है, जिसे कर्मचारी अपनी सुविधा अनुसार ले सकते हैं। हालांकि, यदि चंद्र दर्शन 30 मार्च की रात को होता है और ईद 31 मार्च को नहीं बल्कि 1 अप्रैल को मनाई जाती है, तो उस स्थिति में जिलाधिकारी की ओर से तिथि में बदलाव संभव है।

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चंद्र दर्शन की भूमिका अहम

ईद उल फितर (Eid-ul-Fitr) इस्लामी पंचांग के अनुसार शव्वाल माह के पहले दिन मनाई जाती है, जो चांद दिखने पर तय होती है। अगर 30 मार्च की रात चांद दिखता है तो ईद 31 मार्च को मनाई जाएगी। यदि चांद नहीं दिखता है, तो ईद 1 अप्रैल को होगी। इसलिए उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में ईद की तिथि को लेकर असमंजस बना हुआ है।

प्रशासन ने दिए अलर्ट रहने के निर्देश

ईद के मौके पर प्रदेश भर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन और पुलिस विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है। संवेदनशील इलाकों में PAC, RAF और स्थानीय पुलिस बलों की तैनाती कर दी गई है। खासकर ऐसे क्षेत्र जहां पहले तनाव की स्थिति रही है, वहां विशेष सतर्कता बरती जा रही है।

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बाजारों, ईदगाहों और मस्जिदों के आसपास सुरक्षा उपाय कड़े किए गए हैं। प्रशासन की ओर से साफ निर्देश हैं कि सड़क पर नमाज (Namaz on Road) अदा न की जाए। कई जिलों में इसके लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है।

मेरठ में पासपोर्ट ज़ब्ती की चेतावनी पर विवाद

मेरठ पुलिस के एक बयान ने विवाद को जन्म दे दिया है। पुलिस ने कहा कि यदि कोई सड़क पर नमाज अदा करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है और पासपोर्ट ज़ब्त करने की भी चेतावनी दी गई है।

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इस पर समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ईद की नमाज मस्जिद नहीं बल्कि ईदगाह में होती है और अगर भीड़ अधिक हुई तो सड़क पर भी नमाज पढ़ी जाएगी। उन्होंने पुलिस की चेतावनी की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात बताया।

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