
Free Bijli योजना के तहत केंद्र सरकार देशभर में सोलर एनर्जी-Renewable Energy को बढ़ावा देने के लिए व्यापक अभियान चला रही है। ‘पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना’ के अंतर्गत आम नागरिकों को उनके मकानों की छतों पर सोलर एनर्जी सिस्टम लगाने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। एक जिले में इस योजना के तहत 1 लाख घरों की छतों पर सोलर प्लांट लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हालांकि, अभी तक केवल 2300 घरों में ही यह सिस्टम स्थापित हो पाया है, जो योजना की धीमी रफ्तार को दर्शाता है।
योजना की धीमी गति के पीछे क्या हैं वजहें?
योजना की धीमी प्रगति के पीछे मुख्य कारण लोगों में जागरूकता की कमी, प्रक्रिया को लेकर भ्रम, और शुरुआती लागत जैसी चुनौतियां हैं। अधिकतर लोग या तो योजना के लाभों से अनजान हैं या फिर उन्हें सोलर सिस्टम इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया में कठिनाई महसूस होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने अब सरकारी तंत्र को इस अभियान से जोड़ने का फैसला किया है।
अधिकारी और शिक्षक बनेंगे प्रेरणा स्रोत
प्रशासन ने निर्णय लिया है कि सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और शिक्षक योजना को अपनाकर दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। जिले में ऐसे करीब 12,000 सरकारी कर्मचारी हैं, जिनके पास खुद का घर है और वे सोलर एनर्जी सिस्टम लगाने के लिए पात्र हैं। मुख्य विकास अधिकारी नूपुर गोयल ने सभी विभागों को निर्देश जारी कर अधीनस्थों को योजना से जोड़ने की बात कही है।
समाज में जागरूकता बढ़ाने की है रणनीति
सरकार का मानना है कि जब समाज का जिम्मेदार और जागरूक वर्ग, जैसे शिक्षक और अधिकारी, सौर ऊर्जा-Renewable Energy की तरफ कदम बढ़ाएंगे, तो आम नागरिक भी इससे प्रेरित होंगे। इससे न केवल सौर क्रांति को गति मिलेगी, बल्कि योजना के निर्धारित लक्ष्यों को भी समय पर पूरा किया जा सकेगा।
केंद्र और राज्य सरकार दे रही हैं सब्सिडी
इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि सोलर सिस्टम लगाने पर लाभार्थी को सरकार से सीधी सब्सिडी मिलती है। यह राशि सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है। सब्सिडी की राशि सोलर प्लांट की क्षमता के अनुसार तय की गई है, जो 1 किलोवाट से लेकर 3 किलोवाट या उससे अधिक तक के सिस्टम पर दी जा रही है। अधिकतम सब्सिडी ₹1.80 लाख तक मिल सकती है।
कैसे काम करता है सोलर एनर्जी सिस्टम?
एक बार जब सोलर एनर्जी सिस्टम छत पर स्थापित हो जाता है, तो यह दिन के समय सूर्य की रोशनी से बिजली उत्पन्न करता है। इस बिजली का इस्तेमाल सीधे घर की जरूरतों को पूरा करने में किया जाता है। यदि उस समय बिजली की खपत कम होती है, तो अतिरिक्त बिजली ग्रिड को वापस भेज दी जाती है। इसका डिजिटल मीटर रिकॉर्ड रखता है और महीने के अंत में जितनी बिजली सरकार से ली गई और जितनी वापस भेजी गई, उसके आधार पर बिल तैयार होता है। इससे उपभोक्ताओं के बिजली बिल में भारी कटौती देखी जा रही है।
ग्रुप-3 कर्मचारी बन सकते हैं रोल मॉडल
सीडीओ द्वारा जारी निर्देशों में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि जैसे प्रमुख विभागों को शामिल किया गया है। इन विभागों में बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारी हैं जो न केवल अपने घरों में सोलर प्लांट लगाकर व्यक्तिगत बचत कर सकते हैं, बल्कि अपने सहकर्मियों और आम लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर सकते हैं। स्कूलों में शिक्षक इसे अपनाकर बच्चों को सौर ऊर्जा के महत्व से अवगत करा सकते हैं, जिससे सामाजिक जागरूकता का भी विस्तार होगा।
यूपीनेडा कर रही है सशक्त प्रयास
इस योजना के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (UPNEDA) की भूमिका अहम है। परियोजना अधिकारी प्रमोद शर्मा के अनुसार सभी विभागों में नियमित बैठकें आयोजित की जा रही हैं, जिनमें योजना की जानकारी दी जा रही है। यूपीनेडा यह सुनिश्चित कर रहा है कि लाभार्थियों को विश्वसनीय कंपनियों, इंस्टॉलेशन प्रक्रिया, दस्तावेजों की जानकारी और सब्सिडी आवेदन की पूरी जानकारी मिल सके।
योजना के अन्य लाभ भी हैं प्रभावशाली
इस योजना के तहत सिर्फ सब्सिडी ही नहीं, बल्कि कई अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। एक बार सोलर सिस्टम लगने के बाद 20 से 25 साल तक बिजली पर भारी बचत होती है। यह बिजली पूरी तरह प्रदूषण मुक्त होती है, जिससे पर्यावरण की रक्षा होती है। इसके अलावा, आधुनिक सोलर सिस्टम का मेंटेनेंस बहुत कम होता है। साथ ही, बिजली कटौती की स्थिति में भी यह सिस्टम लगातार बिजली प्रदान करता है, जिससे इनवर्टर और जनरेटर पर निर्भरता कम हो जाती है।