अवैध कब्जा हटाना हुआ आसान! अब Government Laws से मिनटों में खाली होगी जमीन – जानें पूरा नियम

अवैध कब्जा हटाना हुआ आसान! अब Government Laws से मिनटों में खाली होगी जमीन – जानें पूरा नियम
अवैध कब्जा हटाना हुआ आसान! अब Government Laws से मिनटों में खाली होगी जमीन – जानें पूरा नियम
अवैध कब्जा हटाना हुआ आसान! अब Government Laws से मिनटों में खाली होगी जमीन – जानें पूरा नियम

भारत में भूमि पर अवैध कब्जा एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिससे हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं। जमीन की बढ़ती कीमतों और भूमि संबंधी कानूनों की अपर्याप्त जानकारी के कारण यह समस्या और भी विकट हो गई है। अवैध कब्जा (Illegal Possession) का अर्थ है किसी संपत्ति पर कानूनी मालिक की सहमति के बिना कब्जा करना। भारत में यह समस्या विशेष रूप से उन क्षेत्रों में अधिक है जहां संपत्ति की कीमतें आसमान छू रही हैं।

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अवैध कब्जा क्या है?

अवैध कब्जा तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर बिना मालिक की अनुमति के कब्जा कर लेता है। इसका मतलब यह है कि यदि कोई व्यक्ति आपकी जमीन या इमारत पर बिना आपकी सहमति के रहता है या उसका उपयोग करता है, तो वह अवैध कब्जा कर रहा है। यह समस्या मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में देखी जाती है, जहां जमीन की मांग अधिक और आपूर्ति सीमित है।

अवैध कब्जे के मुख्य कारण

अवैध कब्जे के पीछे कई कारण होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • संपत्ति की ऊंची कीमतें: बढ़ती जमीन की कीमतों के कारण लोग सस्ती या खाली पड़ी जमीनों पर अवैध कब्जा कर लेते हैं।
  • भू-संपत्ति कानूनों की जानकारी की कमी: कई लोग भूमि संबंधी कानूनी प्रक्रियाओं से अनभिज्ञ होते हैं, जिससे धोखाधड़ी और अवैध कब्जे के मामले बढ़ते हैं।
  • लापरवाही या अनुपस्थित मालिक: कई बार संपत्ति के मालिक लंबे समय तक अपनी जमीन की निगरानी नहीं करते, जिससे उस पर अवैध कब्जा हो जाता है।

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प्रतिकूल कब्जा (Adverse Possession) क्या है?

प्रतिकूल कब्जा एक कानूनी सिद्धांत है जिसके तहत कोई व्यक्ति किसी संपत्ति का कानूनी मालिक बन सकता है, यदि वह उस संपत्ति पर लगातार 12 वर्षों तक बिना किसी रुकावट के कब्जा रखता है और मालिक इस दौरान कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करता है। प्रतिकूल कब्जे के लिए कुछ शर्तें होती हैं:

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  • कब्जा वास्तविक होना चाहिए: कब्जाधारी को संपत्ति पर वास्तव में नियंत्रण रखना चाहिए।
  • कब्जा खुला और दृश्यमान होना चाहिए: संपत्ति पर कब्जा ऐसा होना चाहिए कि मालिक को इसके बारे में पता चल सके।
  • कब्जा लगातार होना चाहिए: बिना किसी रुकावट के 12 वर्षों तक कब्जा जारी रहना चाहिए।
  • कब्जा मालिक के विरोध में होना चाहिए: कब्जाधारी को मालिक के अधिकार को चुनौती देनी चाहिए।

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अवैध कब्जे के खिलाफ कानूनी प्रावधान

  • भारत में अवैध कब्जे के खिलाफ कई कानूनी प्रावधान हैं, जो संपत्ति के मालिकों को अपनी संपत्ति को बचाने में सहायता करते हैं। इनमें शामिल हैं:

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code)

  • भारतीय दंड संहिता की धारा 441 संपत्ति पर अतिक्रमण से संबंधित है। इसके तहत, यदि कोई व्यक्ति अनधिकृत रूप से किसी संपत्ति में प्रवेश करता है या वहां रहता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है।

दीवानी प्रक्रिया संहिता (Code of Civil Procedure)

  • संपत्ति के मालिक दीवानी अदालत में मुकदमा दायर करके अपनी संपत्ति से अवैध कब्जा हटवा सकते हैं।

विशिष्ट राहत अधिनियम (Specific Relief Act)

  • विशिष्ट राहत अधिनियम की धारा 5 और 6 संपत्ति के मालिकों को अपनी संपत्ति पर कब्जा वापस पाने के लिए कानूनी उपाय प्रदान करती है।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले (Supreme Court Judgements)

भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने अवैध कब्जे से संबंधित कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं:

  • लिमिटेशन एक्ट, 1963: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति 12 साल से अधिक समय तक किसी निजी संपत्ति पर अवैध कब्जा करता है और मालिक ने इस दौरान कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की है, तो कब्जाधारी को संपत्ति का कानूनी अधिकार मिल सकता है।
  • सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा: सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे को किसी भी परिस्थिति में कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती है।

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अवैध कब्जे से अपनी संपत्ति को कैसे बचाएं?

अवैध कब्जे से अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • नियमित निगरानी: अपनी संपत्ति की नियमित रूप से जांच करें ताकि किसी भी अवैध गतिविधि का तुरंत पता चल सके।
  • किरायेदारी समझौता: यदि आप अपनी संपत्ति किराए पर दे रहे हैं, तो एक स्पष्ट और कानूनी रूप से मान्य किरायेदारी समझौता बनाएं।
  • कानूनी सलाह लें: यदि आपको अवैध कब्जे का संदेह है, तो तुरंत कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लें।
  • समय पर कार्रवाई करें: अवैध कब्जे की स्थिति में तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करें और दीवानी अदालत में मुकदमा दायर करें।
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By Rohit Kumar

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