हाईकोर्ट का अहम फैसला, पिता को पेंशन मिलने पर भी बच्चों को मिल सकती है अनुकंपा नियुक्ति

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पेंशन प्राप्त परिवारों के अनुकंपा नियुक्ति के अधिकार को सुरक्षित करते हुए कहा कि पेंशन मिलने का आधार इस अधिकार को समाप्त नहीं कर सकता।

Photo of author

Written byRohit Kumar

verified_75

Published on

हाईकोर्ट का अहम फैसला, पिता को पेंशन मिलने पर भी बच्चों को मिल सकती है अनुकंपा नियुक्ति
हाईकोर्ट का अहम फैसला, पिता को पेंशन मिलने पर भी बच्चों को मिल सकती है अनुकंपा नियुक्ति

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में स्पष्ट किया है कि अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate Appointment) का अधिकार पिता के पेंशन (Pension) प्राप्त करने से समाप्त नहीं होता। यह फैसला न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने फरहा नसीम की याचिका पर सुनाया। फरहा ने अपनी मां की मृत्यु के बाद मुरादाबाद के बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) द्वारा अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को खारिज किए जाने को चुनौती दी थी। अदालत के इस निर्णय ने अनुकंपा नियुक्ति के अधिकारों को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए हैं।

अदालत के फैसले का महत्व

अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य ऐसे परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जो सरकारी कर्मचारी की आकस्मिक मृत्यु के कारण संकट का सामना कर रहे हैं। हालांकि, मुरादाबाद के BSA ने फरहा नसीम का आवेदन यह कहकर खारिज कर दिया था कि उनके पिता को पेंशन मिल रही है, इसलिए परिवार को आर्थिक संकट नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस तर्क को नकारते हुए कहा कि पेंशन का प्राप्त होना अनुकंपा नियुक्ति के अधिकार को खत्म नहीं कर सकता।

फरहा नसीम का पक्ष और कानूनी तर्क

Earthnewj से अब व्हाट्सप्प पर जुड़ें, क्लिक करें

फरहा नसीम ने अपनी याचिका में दलील दी कि उनके पिता को पेंशन मिलने के बावजूद, परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि अनुकंपा नियुक्ति की आवश्यकता को नकारा जा सके। वकील ने वंशिका निगम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले का हवाला देते हुए बताया कि पेंशन मिलने के बावजूद अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार नियमों के अनुसार मान्य है।

इसके अतिरिक्त, फरहा ने यह भी तर्क दिया कि उनकी विवाहित बहनों के अपने परिवार हैं, और वह अपने माता-पिता की सहायता के लिए यह नियुक्ति चाहती हैं। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि परिवार के आर्थिक संकट का मूल्यांकन केवल पेंशन के आधार पर नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया का निर्णय

अदालत ने मामले के सभी तथ्यों और तर्कों का गहन निरीक्षण किया। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य परिवार को स्थायी आर्थिक सहायता प्रदान करना है और इसे पेंशन प्राप्त करने जैसे तर्कों से सीमित नहीं किया जा सकता। उन्होंने मुरादाबाद BSA के आदेश को निरस्त कर दिया और निर्देश दिया कि छह सप्ताह के भीतर मामले पर पुनर्विचार कर नया निर्णय लिया जाए।

अदालत के फैसले के प्रभाव

इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए केवल पेंशन का आधार पर्याप्त नहीं है। यह उन परिवारों के लिए राहत का विषय है, जो सरकारी कर्मचारी की आकस्मिक मृत्यु के बाद स्थायी आर्थिक सहायता की तलाश में होते हैं। इस फैसले ने यह भी सुनिश्चित किया कि अनुकंपा नियुक्ति के अधिकार को संकीर्ण आधारों पर खारिज नहीं किया जा सकता।

Also Read5-gw-grid-connected-solar-power-project-to-be-set-up-in-maharashtra

महाराष्ट्र में 5 GW ग्रिड-कनेक्टेड सोलर पावर प्रोजेक्ट की तैयारी, सभी डिटेल्स देखे

FAQs: अनुकंपा नियुक्ति के बारे में सामान्य प्रश्न

1. अनुकंपा नियुक्ति क्या है?
अनुकंपा नियुक्ति एक सरकारी नीति है, जिसके तहत सरकारी कर्मचारी की आकस्मिक मृत्यु या स्थायी अशक्तता के बाद उनके परिवार के सदस्य को नौकरी प्रदान की जाती है ताकि परिवार को आर्थिक सहायता मिल सके।

2. क्या पेंशन मिलने पर अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार समाप्त हो जाता है?
नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनुसार, पेंशन प्राप्त करने से अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार समाप्त नहीं होता। इसका उद्देश्य परिवार की आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना है।

3. अनुकंपा नियुक्ति के लिए कौन आवेदन कर सकता है?
आमतौर पर, सरकारी कर्मचारी के पति/पत्नी, बच्चे या अन्य आश्रित व्यक्ति इसके पात्र होते हैं। हालांकि, यह नियम अलग-अलग राज्यों और विभागों में भिन्न हो सकते हैं।

4. अगर आवेदन खारिज हो जाए तो क्या करें?
आवेदन खारिज होने की स्थिति में संबंधित अधिकारी के निर्णय को अदालत में चुनौती दी जा सकती है, जैसा कि फरहा नसीम के मामले में किया गया।

5. क्या विवाहित बेटी अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र है?
यह स्थिति संबंधित राज्य और विभाग के नियमों पर निर्भर करती है। हालांकि, हाल के फैसलों में विवाहित बेटियों के अधिकारों को भी मान्यता दी गई है।

Also ReadSahara India Refund: सहारा की स्कीम में फंसा पैसा जल्द मिलेगा 15% सालाना ब्याज के साथ, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

Sahara India Refund: सहारा की स्कीम में फंसा पैसा जल्द मिलेगा 15% सालाना ब्याज के साथ, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

You might also like

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें