Government Schemes: सभी सरकारी योजनाएं हो जाएंगी बंद! जानें क्यों? तुरंत

Government Schemes: सभी सरकारी योजनाएं हो जाएंगी बंद! जानें क्यों? तुरंत
Government Schemes: सभी सरकारी योजनाएं हो जाएंगी बंद! जानें क्यों? तुरंत
Government Schemes: सभी सरकारी योजनाएं हो जाएंगी बंद! जानें क्यों? तुरंत

देश में Government Free Scheme को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। हर चुनाव से पहले राजनीतिक दलों द्वारा जनता को आकर्षित करने के लिए मुफ्त योजनाओं (Free Schemes) का ऐलान किया जाता है। चाहे वह महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा हो, किसानों को मुफ्त बिजली, या फिर गरीब परिवारों को फ्री राशन—इन योजनाओं को ‘चुनावी रेवड़ी’ (Freebies) कहा जाता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में इस मुद्दे पर एक अहम याचिका दायर की गई है, जिससे इन योजनाओं के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं।

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Government Free Scheme फिलहाल देश के कई राज्यों में जारी हैं और उनका लाभ लाखों लोगों को मिल रहा है। लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट इन योजनाओं को चुनावी लाभ लेने का जरिया मानते हुए इन्हें ‘रिश्वत’ करार देता है, तो भविष्य में इन पर पाबंदी लग सकती है। इस मुद्दे पर अंतिम फैसला आने तक जनता और राजनीतिक दलों दोनों की नजर सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी है।

क्या कहती है याचिका?

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में मांग की गई है कि चुनाव के समय राजनीतिक दलों द्वारा किए गए मुफ्त सुविधाओं के वादे को चुनावी रिश्वत (Electoral Bribe) माना जाए। याचिकाकर्ता ने यह भी अनुरोध किया है कि चुनाव आयोग (Election Commission) को इस पर रोक लगाने के लिए सख्त निर्देश दिए जाएं। कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है।

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कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर पहले से कई याचिकाएं लंबित हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अनुमति दी है कि वह अन्य लंबित याचिकाओं के साथ इस पर जल्द सुनवाई के लिए अनुरोध कर सकता है। गौरतलब है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और यूयू ललित की पीठ इस मामले में पहले भी सुनवाई कर चुकी है। हाल ही में इस मामले को वर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने उठाया है।

देश में कहां-कहां चल रही हैं फ्री योजनाएं?

देश के कई राज्यों में इस समय Government Free Scheme लागू हैं। उदाहरण के तौर पर:

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  • दिल्ली सरकार द्वारा 200 यूनिट तक फ्री बिजली और महिलाओं को फ्री बस यात्रा।
  • पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा फ्री बिजली और मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं।
  • तमिलनाडु में मुफ्त दोपहर का भोजन, फ्री लैपटॉप और साइकिल वितरण।
  • मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में गरीबों को फ्री राशन और उज्ज्वला योजना के तहत फ्री गैस सिलेंडर।

क्या बंद हो जाएंगी ये योजनाएं?

सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिकाओं और मौजूदा याचिका से यह संकेत मिलते हैं कि भविष्य में ऐसी योजनाओं पर कोई सख्त नियम लागू किया जा सकता है। हालांकि, अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं आया है जिससे ये योजनाएं बंद होंगी या नहीं, यह तय हो सके। लेकिन यदि सुप्रीम कोर्ट चुनावों में फ्रीबीज को ‘रिश्वत’ की श्रेणी में रखता है, तो यह राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्र को प्रभावित कर सकता है।

राजनीतिक दलों की रणनीति और जनहित

राजनीतिक दल इन योजनाओं को जनहित में उठाया गया कदम बताते हैं। उनका तर्क है कि गरीब और मध्यम वर्ग को सीधी सहायता देने से सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता को बढ़ावा मिलता है। वहीं दूसरी ओर, विरोधियों का कहना है कि इन योजनाओं से राजकोष पर भार पड़ता है और यह दीर्घकालिक विकास योजनाओं में बाधा डालती हैं।

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क्या फ्री योजनाएं वाकई लाभकारी हैं?

इस पर अर्थशास्त्रियों और सामाजिक विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। एक पक्ष का मानना है कि ये योजनाएं गरीब तबके के लिए जीवन को बेहतर बनाती हैं और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ती हैं। वहीं दूसरा पक्ष कहता है कि इससे सरकार की वित्तीय स्थिति कमजोर होती है और असली विकास की योजनाएं प्रभावित होती हैं।

चुनाव आयोग की भूमिका

चुनाव आयोग इस मुद्दे को लेकर लगातार सतर्क है। हालांकि अभी तक फ्री योजनाओं को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग की भूमिका और सख्त हो सकती है। आने वाले समय में फ्रीबीज को लेकर चुनावी घोषणाओं पर आयोग नजर रख सकता है।

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By Rohit Kumar

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