UP की गौशालाएं होंगी आत्मनिर्भर! आश्रय कर्मचारियों को मिलेगी खास ट्रेनिंग, जानिए योजना की पूरी डिटेल

सरकार की नई योजना से 7,700 गौशालाएं होंगी आत्मनिर्भर, जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा, किसानों को मिलेगी सब्सिडी और मवेशियों का होगा बेहतर पोषण! जानिए कैसे ये पहल बदल देगी खेती का भविष्य

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Written byRohit Kumar

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UP की गौशालाएं होंगी आत्मनिर्भर! आश्रय कर्मचारियों को मिलेगी खास ट्रेनिंग, जानिए योजना की पूरी डिटेल
UP की गौशालाएं होंगी आत्मनिर्भर! आश्रय कर्मचारियों को मिलेगी खास ट्रेनिंग, जानिए योजना की पूरी डिटेल

उत्तर प्रदेश सरकार गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक व्यापक रणनीति पर काम कर रही है। सरकार गाय के गोबर और गौमूत्र के उपयोग से पर्यावरण अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। इस योजना के तहत गौशालाओं को टिकाऊ खेती में सहायक बनाया जाएगा, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा। इस उद्देश्य से गौशालाओं के कर्मचारियों को विशेष ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

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उत्तर प्रदेश सरकार गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। यह योजना न केवल गौशालाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद करेगी, बल्कि पर्यावरणीय रूप से स्थायी खेती को भी बढ़ावा देगी। इससे किसानों को जैविक खेती की ओर प्रेरित किया जाएगा, जिससे उनके आर्थिक और स्वास्थ्य लाभ में वृद्धि होगी।

गौशालाओं से टिकाऊ खेती को मिलेगा बढ़ावा

पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, कृषि विभाग और अन्य हितधारकों से परामर्श किया जा रहा है। सभी गौशालाओं में वर्मीकम्पोस्ट तैयार किया जाएगा, जिसे किसानों को बेचा जाएगा। इससे प्राकृतिक कृषि (Natural Farming) को बढ़ावा मिलेगा। सरकार नाबार्ड (NABARD) जैसी संस्थाओं के सहयोग से इस योजना को लागू करने में जुटी है।

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गौशालाओं के कर्मचारियों को मिलेगी ट्रेनिंग

पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, गाय के गोबर और मूत्र का इस्तेमाल पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों में किया जाएगा। इसके साथ ही, किसानों और गौशाला कर्मचारियों को मवेशियों के पोषण, चारा उत्पादन और संरक्षण पर भी प्रशिक्षित किया जाएगा। सरकार ने स्वास्थ्य, जल और भूमि संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इस पद्धति में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाएगा।

जैविक खेती में बढ़ेगा गौशालाओं का योगदान

सरकारी अधिकारियों ने कहा कि गाय का गोबर और गौमूत्र जैविक उर्वरक और कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। यह किसानों के लिए दोहरे लाभ का सौदा साबित होगा—एक तरफ उनके परिवारों को पौष्टिक दूध मिलेगा और दूसरी तरफ जैविक इनपुट के जरिए मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी।

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उत्तर प्रदेश में 7,700 से अधिक गौशालाएं

राज्य में वर्तमान में 7,700 से अधिक गौशालाएं हैं, जिनमें 12.5 लाख से अधिक आवारा मवेशी हैं। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1.62 लाख आवारा मवेशियों को आश्रय प्रदान किया गया है, और इससे 1 लाख किसानों को लाभ मिल रहा है। सरकार किसानों को 1,500 रुपये प्रति पशु की सहायता प्रदान कर रही है।

सरकार ने गौशालाओं की सुरक्षा और विकास के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जो पहले के 1,001 करोड़ रुपये से अधिक है। इसके अतिरिक्त, 543 नई गौशालाओं को मंजूरी दी गई है। हर बड़ी गौशाला को 1.60 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता दी जा रही है।

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मवेशी पालन को मिलेगा बढ़ावा

राज्य सरकार नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के तहत देशी नस्लों को बढ़ावा दे रही है। सरकार बैंक लोन पर 50% सब्सिडी प्रदान कर रही है। अमृत धारा योजना के तहत 10 लाख रुपये तक के लोन पर सब्सिडी दी जा रही है, जबकि 3 लाख रुपये से कम के लोन के लिए किसी गारंटर की आवश्यकता नहीं होगी।

गंगा बेल्ट में जैविक खेती को बढ़ावा

उत्तर प्रदेश सरकार गंगा नदी और बुंदेलखंड क्षेत्र में जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। इस पहल का उद्देश्य स्थानीय जल संसाधनों को टिकाऊ खेती मॉडल में एकीकृत करना है। कोविड महामारी के बाद जैविक और प्राकृतिक कृषि उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है, जिससे किसानों को नए व्यावसायिक अवसर मिल रहे हैं।

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