
India Today Conclave 2025 में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अग्निवीर योजना की सफलता और उसमें किए जा रहे सुधारों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने योजना को सफल बताते हुए इसे और प्रभावी बनाने के लिए कई सुधारों पर विचार करने की बात कही।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी के वक्तव्यों से स्पष्ट है कि अग्निवीर योजना भारतीय सेना के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इसे और प्रभावी बनाने के लिए सुधारों की आवश्यकता है, जिन पर विचार किया जा रहा है। साथ ही, पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग के मद्देनजर भारत को सतर्क रहने की जरूरत है।
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योजना की सफलता पर सेना प्रमुख का दृष्टिकोण
जनरल द्विवेदी ने कहा कि अग्निवीर योजना को लेकर अलग-अलग राय हो सकती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर मिल रहे फीडबैक से स्पष्ट है कि यह एक सफल मॉडल बनता जा रहा है। उन्होंने इस योजना को एक बेहतरीन पहल बताते हुए कहा कि अग्निवीरों की क्षमता काफी अधिक है और वे तीन से चार साल के भीतर सेना की जरूरतों के अनुसार खुद को ढालने में पूरी तरह सक्षम हैं।
सुधारों की दिशा में उठाए जा रहे कदम
सेना प्रमुख ने बताया कि अग्निवीर योजना को और प्रभावी बनाने के लिए कई स्तरों पर काम चल रहा है। छुट्टियों के प्रावधान को नियमित सैनिकों के समान करने, अग्निवीरों को भी अन्य सैनिकों जैसी सुविधाएं देने और तकनीकी रूप से अधिक कुशल युवाओं की भर्ती को प्राथमिकता देने जैसे कई सुधारों पर विचार किया जा रहा है।
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उम्र सीमा और स्थायी भर्ती प्रतिशत में संभावित बदलाव
अग्निवीरों की उम्र सीमा 21 से बढ़ाकर 23 करने और 25 प्रतिशत के बजाय 50 प्रतिशत सैनिकों को सेना में स्थायी रूप से बनाए रखने के सवाल पर जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह एक सतत प्रक्रिया है और अभी इस पर अंतिम फैसला लेना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2026 तक इस योजना का पूरा आकलन करने के बाद ही कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा।
तकनीकी कौशल और ‘क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन’ की अवधारणा
तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी के दौर में अग्निवीरों की जरूरत और उनकी क्षमता पर जोर देते हुए सेना प्रमुख ने ‘क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन’ की अवधारणा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कोई भी सैनिक जो 10-20 वर्षों से एक ही क्षेत्र में काम कर रहा है, उसके लिए नई स्किल्स सीखना और पुराने कौशलों को छोड़कर खुद को अपडेट करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। वहीं, अग्निवीरों में यह क्षमता अधिक होती है क्योंकि वे कम समय में नई तकनीकों को अपनाने और तेजी से सीखने में सक्षम होते हैं। यही वजह है कि यह योजना भारतीय सेना के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग पर चिंता
सेना प्रमुख ने पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग को लेकर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत को इस ‘मिलीभगत के उच्च स्तर’ को स्वीकार करना होगा। वर्चुअल डोमेन में यह गठजोड़ लगभग 100 प्रतिशत है। भौतिक रूप से भी पाकिस्तान की सेना के पास ज्यादातर उपकरण चीन से आए हैं। दो मोर्चों पर युद्ध (टू-फ्रंट वार) की संभावना एक सच्चाई है।
घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों पर सतर्कता
पाकिस्तान की सैन्य स्थिति और नियंत्रण रेखा (LoC) पर घुसपैठ की संभावना को लेकर सेना प्रमुख ने कहा कि घुसपैठ में कोई कमी नहीं आई है। उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में आतंकी गतिविधियों में बढ़ोतरी हो सकती है और भारत को इसके लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा।
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चीन पर भरोसे की कमी
चीन पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं, इस पर जनरल द्विवेदी ने साफ कहा, नहीं, चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि युद्ध किसी भी देश के हित में नहीं होता, लेकिन अगर ऐसी स्थिति आती है तो भारतीय सेना अपनी रणनीति और ताकत के हिसाब से पूरी तैयारी के साथ जवाब देने को तैयार है।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियाँ
2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि अब हालात सामान्य और बेहतर हैं। जब भी जरूरत होती है, दोनों देशों की सेनाएं बातचीत के जरिए समस्या हल करती हैं और हालात सामान्य बनाए रखती हैं।