अब बैंक डूबा तो ₹5 लाख से ज्यादा मिलेगा! सरकार कर रही है डिपॉजिट इंश्योरेंस लिमिट बढ़ाने की तैयारी

भारत सरकार मौजूदा डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा को 5 लाख रुपये से बढ़ाने पर विचार कर रही है। DICGC के अंतर्गत आने वाले बैंकिंग संस्थान जमाकर्ताओं को यह बीमा सुरक्षा प्रदान करते हैं। हाल ही में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में घोटाले के बाद यह मुद्दा और महत्वपूर्ण हो गया है। सरकार जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय ले सकती है, जिससे जमाकर्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद है।

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Written byRohit Kumar

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अब बैंक डूबा तो ₹5 लाख से ज्यादा मिलेगा! सरकार कर रही है डिपॉजिट इंश्योरेंस लिमिट बढ़ाने की तैयारी
डिपॉजिट इंश्योरेंस लिमिट

वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने सोमवार (17 फरवरी) को यह संकेत दिया कि सरकार मौजूदा डिपॉजिट इंश्योरेंस (Deposit Insurance) की सीमा को 5,00,000 रुपये से बढ़ाने पर सक्रियता से विचार कर रही है। फिलहाल, डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) की स्कीम के तहत 5 लाख रुपये तक की जमा राशि बीमित होती है। महाराष्ट्र के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक (New India Co-operative Bank) में हाल ही में सामने आए घोटाले के मद्देनजर सरकार इस प्रस्ताव पर तेजी से काम कर रही है।

सरकार की मंशा और संभावित प्रभाव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में नागराजू ने स्पष्ट किया कि सरकार इस विषय पर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने कहा, “मुद्दा डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा बढ़ाने का है… इसपर सक्रियता से विचार किया जा रहा है। जैसे ही सरकार इसे मंजूरी देगी, अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।” हालांकि, उन्होंने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक संकट पर कोई विशेष टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि इस मामले की जांच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) कर रहा है।

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डिपॉजिट इंश्योरेंस तब लागू होता है जब कोई बैंक दिवालिया हो जाता है। ऐसे मामलों में, DICGC जमाकर्ताओं को बीमा राशि का भुगतान करता है। DICGC इस सेवा के बदले बैंकों से प्रीमियम वसूल करता है, और अधिकांश दावे सहकारी बैंकों (Co-operative Banks) के मामले में देखे गए हैं।

पिछले अनुभव और सुधार की दिशा

PMC बैंक (PMC Bank) घोटाले के बाद, 2020 में डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया था। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने सहकारी बैंकिंग प्रणाली (Co-operative Banking System) को आरबीआई की निगरानी में मजबूत और स्थिर बताया। उन्होंने कहा कि किसी एक बैंक में संकट आने से पूरे सेक्टर पर संदेह नहीं करना चाहिए। दोषी इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई नियामक संस्थाओं द्वारा की जाएगी।

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न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में घोटाले की पुष्टि तब हुई जब बैंक की संपत्तियों की जांच की गई। जांच से पता चला कि बैंक के बही-खाते में दर्ज 122 करोड़ रुपये की नकदी वास्तव में गायब थी। बैंक के महाप्रबंधक (वित्त) हितेश मेहता पर आरोप है कि उन्होंने इस राशि का एक बड़ा हिस्सा एक स्थानीय बिल्डर को स्थानांतरित कर दिया।

DICGC के हालिया आंकड़े

RBI के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में DICGC ने कुल 1,432 करोड़ रुपये के बीमा दावों का निपटान किया। यह पूरी राशि सहकारी बैंकों से संबंधित थी। 31 मार्च, 2024 तक DICGC के अंतर्गत कुल 1,997 बैंक रजिस्टर्ड थे, जिनमें 140 कमर्शियल बैंक (Commercial Banks) और 1,857 सहकारी बैंक शामिल थे।

मौजूदा 5,00,000 रुपये की सीमा करीब 98% जमा खातों को कवर करती है। हालांकि, यदि जमा राशि के कुल मूल्य की बात करें, तो कमर्शियल बैंकों में केवल 41.9% जमा बीमा कवर के अंतर्गत आती है, जबकि सहकारी बैंकों में यह आंकड़ा 63.3% है।

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