Tenant Rights: किराए के घरों में रहने वाले लोगों को मिले 5 अधिकार, अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमर्जी।

भारत में किराएदारों को मकान मालिकों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए कानूनी अधिकार दिए गए हैं। प्राइवेसी, बेवजह बेदखली से बचाव, और मूलभूत सुविधाओं का अधिकार किराएदारों को सुरक्षित और निष्पक्ष व्यवस्था प्रदान करते हैं।

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Written byRohit Kumar

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Tenant Rights: किराए के घरों में रहने वाले लोगों को मिले 5 अधिकार, अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमर्जी।।

भारत में शहरों की ओर पलायन के कारण किराए के मकानों की मांग तेजी से बढ़ रही है। बेहतर रोजगार, शिक्षा या जीवन स्तर के लिए लोग बड़े शहरों में बसने की कोशिश करते हैं। लेकिन किराए पर रहने वाले लोगों को अक्सर मकान मालिकों के अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ता है। क्या आप जानते हैं कि किराएदार के रूप में आपके पास कानूनी अधिकार हैं? आइए, इन अधिकारों को विस्तार से समझते हैं।

किरायेदार के लिए 5 अधिकार

1. प्राइवेसी का अधिकार

किराएदार होने के नाते, आपकी निजता की रक्षा एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है। एक बार किराए का अनुबंध हो जाने के बाद, मकान मालिक को बिना अनुमति आपके कमरे या घर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। मकान मालिक केवल आपके पूर्व सहमति से आपके घर में आ सकते हैं। यह प्रावधान आपकी व्यक्तिगत दिनचर्या में अनावश्यक हस्तक्षेप को रोकने के लिए है।

2. बेवजह घर से बेदखली पर रोक

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मकान मालिक को बिना ठोस कारण और कानूनी प्रक्रिया का पालन किए किराएदार को घर से निकालने की अनुमति नहीं है। यदि मकान मालिक ऐसा करना चाहते हैं, तो उन्हें कानूनी रूप से कम से कम 15 दिनों का नोटिस देना आवश्यक है।
कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे किराए का भुगतान न करना या घर में गैरकानूनी गतिविधियां चलाना, मकान मालिक कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई कर सकते हैं।

3. मनमानी किराया वृद्धि पर रोक

किराए की वृद्धि मकान मालिक और किराएदार के बीच सहमति के बिना नहीं की जा सकती। यदि मकान मालिक किराया बढ़ाना चाहते हैं, तो उन्हें तीन महीने पहले नोटिस देना होगा। किराया वृद्धि का आधार स्थानीय बाजार दर और संपत्ति का मूल्य होना चाहिए।

4. किराया नियंत्रण अधिनियम, 1948

भारत सरकार का किराया नियंत्रण अधिनियम (Rent Control Act, 1948) मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकारों की रक्षा करता है। इस अधिनियम के तहत मकान मालिक और किराएदार के बीच एक संतुलन बनाए रखने के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं।
यह अधिनियम अलग-अलग राज्यों में विभिन्न रूपों में लागू होता है, लेकिन इसका उद्देश्य एक समान है—किसी भी पक्ष का शोषण रोकना।

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5. मूलभूत सुविधाओं का अधिकार

किराएदार के रूप में, आपको पानी, बिजली, और अन्य मूलभूत सुविधाएं मांगने का पूरा अधिकार है। मकान मालिक को इन सुविधाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी। यदि वे ऐसा करने में असमर्थ रहते हैं, तो आप कानूनी सहायता ले सकते हैं।

6. रखरखाव और सुरक्षा जमा की वापसी

मकान की मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है। मकान में कोई मरम्मत कार्य आवश्यक होने पर मकान मालिक को उसकी लागत वहन करनी होगी।
सुरक्षा जमा (Security Deposit) मकान छोड़ने के बाद आपको वापस मिलना चाहिए। यदि मकान मालिक किसी भी कटौती का दावा करता है, तो इसका ठोस कारण बताना अनिवार्य है।

7. लिखित समझौते की महत्वपूर्णता

किराएदार और मकान मालिक के बीच सभी शर्तें लिखित अनुबंध में होनी चाहिए। यह अनुबंध विवादों की स्थिति में कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। अनुबंध में किराए की राशि, जमा, मरम्मत की जिम्मेदारी और अन्य शर्तों का उल्लेख आवश्यक है।

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