अब आपकी ऑनलाइन सुरक्षा करेगा AI! गूगल ने Chrome में जोड़ा Gemini Nano – जानिए क्या बदलेगा आपके लिए!

Google ने अपने Chrome ब्राउजर में लेटेस्ट Gemini Nano AI फीचर जोड़ दिया है, जो अब आपकी ऑनलाइन सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी लेगा। साइबर अटैक, फिशिंग और डेटा चोरी से बचाएगा यह नया AI शील्ड! जानिए कैसे अब आपका ब्राउजर खुद आपको खतरों से अलर्ट करेगा और बनाएगा हर क्लिक को पहले से ज्यादा सुरक्षित

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Written byRohit Kumar

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अब आपकी ऑनलाइन सुरक्षा करेगा AI! गूगल ने Chrome में जोड़ा Gemini Nano – जानिए क्या बदलेगा आपके लिए!
अब आपकी ऑनलाइन सुरक्षा करेगा AI! गूगल ने Chrome में जोड़ा Gemini Nano – जानिए क्या बदलेगा आपके लिए!

गूगल ने अपने लोकप्रिय वेब ब्राउजर Google Chrome में Gemini Nano AI का सपोर्ट जोड़ने की घोषणा की है, जिससे यूजर्स को ऑनलाइन सुरक्षा के मामले में और भी मजबूत सुविधा मिलेगी। कंपनी का कहना है कि इस नई AI तकनीक से डेस्कटॉप के साथ-साथ अब एंड्रॉयड डिवाइसेज पर भी यूजर्स को पहले से बेहतर साइबर सुरक्षा मिलेगी। Google की यह पहल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को खतरनाक वेबसाइट्स, फिशिंग हमलों और डेटा चोरी जैसे खतरे से बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

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Gemini Nano AI के जरिए Google Chrome ने अपने यूजर्स को न सिर्फ बेहतर ब्राउजिंग अनुभव देने का वादा किया है, बल्कि उनकी सुरक्षा को भी नए स्तर पर पहुंचाया है। डेस्कटॉप और एंड्रॉयड दोनों प्लेटफॉर्म्स पर इसका फायदा मिलने से यह तकनीक एक बड़ी आबादी को साइबर खतरों से सुरक्षित रखने में मदद करेगी। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अब ऑनलाइन सुरक्षा की जिम्मेदारी AI के कंधों पर है।

Gemini Nano AI क्या है और यह कैसे काम करता है?

Gemini Nano AI दरअसल Google की उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) तकनीक है, जिसे खासतौर पर डिवाइस पर ही रन करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका मतलब है कि यह AI क्लाउड सर्वर पर नहीं, बल्कि सीधे आपके स्मार्टफोन या कंप्यूटर पर काम करती है। इससे न केवल यूजर का डेटा सुरक्षित रहता है, बल्कि रियल टाइम में खतरों का पता भी लगाया जा सकता है।

यह AI ब्राउजिंग के दौरान बैकग्राउंड में सक्रिय रहती है और आपकी गतिविधियों पर नजर रखती है कि कहीं कोई संदिग्ध लिंक, वेबसाइट या डाउनलोड आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश तो नहीं कर रही। इससे आपके निजी डेटा, बैंकिंग डिटेल्स और पासवर्ड की चोरी की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।

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एंड्रॉयड डिवाइसेज पर भी मिलेगा फायदा

Google ने इस तकनीक को पहले अपने डेस्कटॉप यूजर्स के लिए पेश किया था, लेकिन अब कंपनी इसे एंड्रॉयड डिवाइसेज पर भी उपलब्ध कराने जा रही है। यह अपडेट खासकर उन यूजर्स के लिए फायदेमंद होगा जो अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल इंटरनेट ब्राउजिंग, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और सोशल मीडिया के लिए करते हैं। अब मोबाइल पर भी Chrome ब्राउजर यूज करने वाले लोगों को Gemini Nano AI की दोगुनी सुरक्षा का लाभ मिलेगा।

साइबर अटैक्स को रोकेगा AI, भारत में मिल सकती है बड़ी राहत

पिछले कुछ समय में भारत में साइबर अटैक्स के मामलों में तेजी आई है, जिनमें से अधिकतर हमलों का स्रोत पाकिस्तान जैसे देशों से बताया जा रहा है। ऐसे में गूगल की यह नई तकनीक भारत जैसे देशों के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि लोग Chrome ब्राउजर में इस AI तकनीक का सही इस्तेमाल करें, तो phishing और ransomware जैसे हमलों से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

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सुरक्षा विशेषज्ञों की सलाह है कि यूजर्स को हमेशा अलर्ट रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचना चाहिए। साथ ही, अपडेटेड ब्राउजर और डिवाइस सिक्योरिटी फीचर्स का उपयोग करना चाहिए।

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Gemini Nano AI कैसे देगा पहले से दोगुनी सुरक्षा?

गूगल का दावा है कि Gemini Nano AI के आने के बाद क्रोम ब्राउजर की सुरक्षा क्षमता दोगुनी हो गई है। पहले जहां ब्राउजर केवल सीमित स्तर पर वेबसाइट स्कैनिंग और चेतावनी दे सकता था, वहीं अब यह AI तकनीक न केवल संदेहास्पद वेबसाइट्स को पहचान सकती है, बल्कि यूजर को रियल-टाइम में अलर्ट भी भेज सकती है।

AI का यह मॉडल मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग तकनीक पर आधारित है, जो समय के साथ खुद को अपडेट करता है और नए तरह के साइबर खतरों को पहचानने में और बेहतर होता जाता है। इससे यूजर की प्राइवेसी और डेटा दोनों को अधिक सुरक्षित बनाया जा सकता है।

भविष्य में और कहां हो सकता है उपयोग?

गूगल ने संकेत दिए हैं कि Gemini Nano AI का इस्तेमाल भविष्य में केवल ब्राउजर तक सीमित नहीं रहेगा। इसे Gmail, Google Docs, और अन्य Google सेवाओं में भी जोड़ा जा सकता है, जिससे पूरे गूगल इकोसिस्टम को एकीकृत रूप से AI-सक्षम बनाया जा सके। इससे AI Security का स्तर पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होगा।

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गूगल की यह पहल कितनी असरदार होगी?

तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि गूगल का यह कदम साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन लाएगा। जहां अब तक AI का इस्तेमाल अधिकतर डेटा प्रोसेसिंग या जनरेटिव टूल्स (जैसे चैटबॉट्स) के लिए होता था, वहीं अब यह सीधे यूजर की सुरक्षा में शामिल हो गया है। इसका असर आने वाले महीनों में दिख सकता है, जब Chrome ब्राउजर पर साइबर अटैक्स की घटनाओं में कमी दर्ज की जाएगी।

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