Google Maps बन सकता है जानलेवा, चूके तो हो सकते हैं बड़े हादसे के शिकार!

गूगल मैप्स की गड़बड़ियों के चलते हादसे के शिकार हो रहे हैं लोग, खासकर पहाड़ी और ग्रामीण इलाकों में। जानिए कैसे यह भरोसेमंद ऐप जानलेवा साबित हो रहा है और क्यों अब सरकार से लेकर यूजर्स तक सभी इसके भरोसे को लेकर चिंतित हैं।

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Written byRohit Kumar

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Google Maps बन सकता है जानलेवा, चूके तो हो सकते हैं बड़े हादसे के शिकार!
Google Maps बन सकता है जानलेवा, चूके तो हो सकते हैं बड़े हादसे के शिकार!

Google Maps का इस्तेमाल आज के डिजिटल युग में यात्रा का एक आम और भरोसेमंद तरीका बन चुका है। लेकिन हाल ही में सामने आए कुछ घटनाक्रमों ने इस भरोसे को झटका दिया है। कई यूजर्स ने रिपोर्ट किया है कि गूगल मैप्स की गलत दिशा-निर्देशों की वजह से उन्हें खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ा, जिससे गंभीर हादसे होने की नौबत आ गई। यह चिंता इसलिए और बढ़ जाती है क्योंकि Google Maps का उपयोग ग्रामीण इलाकों से लेकर पहाड़ी क्षेत्रों तक बड़े स्तर पर किया जा रहा है।

हादसों की बढ़ती घटनाएं और यूजर्स की चिंता

देशभर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां Google Maps पर दिए गए रूट फॉलो करने के बाद लोग गलत दिशा में चले गए या फिर उन्हें ऐसे रास्तों पर पहुंचा दिया गया जो पूरी तरह असुरक्षित थे। हाल ही में एक परिवार अपनी कार से ट्रैवल कर रहा था और गूगल मैप्स ने उन्हें एक कच्चे, संकरे और ढलान भरे रास्ते पर भेज दिया, जहां उनकी गाड़ी फंस गई और घंटों तक मदद नहीं मिल पाई।

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ऐसी ही एक घटना हिमाचल प्रदेश में देखने को मिली, जहां एक पर्यटक को Google Maps ने सीधा एक खतरनाक घाटी की ओर मोड़ दे दिया। अगर उसने वक्त रहते ब्रेक न मारा होता तो एक बड़ा हादसा हो सकता था। ये घटनाएं यह सवाल उठाती हैं कि क्या टेक्नोलॉजी पर अंधा भरोसा करना सुरक्षित है?

गूगल मैप्स की सीमाएं और सिस्टम की गड़बड़ियां

Google Maps एक सॉफ्टवेयर आधारित नेविगेशन सिस्टम है जो डेटा, एल्गोरिद्म और यूजर इनपुट पर आधारित होता है। लेकिन इसका सिस्टम भी कई बार भ्रमित हो जाता है, खासकर उन इलाकों में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी कमजोर होती है या फिर टेरेन जटिल होता है। पहाड़ी क्षेत्रों और जंगलों में रास्तों की सटीक जानकारी न होने के कारण गूगल मैप्स भ्रमित हो जाता है और गलत दिशा दिखा देता है।

इसके अलावा, कई बार गूगल मैप्स पुराने डेटा के आधार पर रूट सजेस्ट करता है, जिससे बंद हो चुके या टूटे हुए रास्तों पर यूजर्स को भेज दिया जाता है। यह स्थिति खासतौर पर मोनसून सीजन या रोड कंस्ट्रक्शन के दौरान ज्यादा देखने को मिलती है।

जिम्मेदारी किसकी: यूजर या टेक्नोलॉजी?

यह सवाल बार-बार उठता है कि अगर कोई हादसा Google Maps की वजह से होता है तो जिम्मेदार कौन होगा—यूजर जिसने आंख मूंदकर भरोसा किया या गूगल जैसी टेक कंपनी जिसने दिशा निर्देशों में गलती की? कानून की दृष्टि से अभी इस पर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं है। हालांकि गूगल अपनी पॉलिसी में यह स्पष्ट करता है कि उसकी सेवा ‘as is’ आधारित है, यानी यूजर खुद ही जिम्मेदार होता है।

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लेकिन एक आम नागरिक के नजरिए से देखें तो जब एक टेक्नोलॉजी इतनी बड़ी मात्रा में उपयोग हो रही है, तो उसकी विश्वसनीयता और सुरक्षा की भी जिम्मेदारी बनती है।

सरकार और ट्रैफिक डिपार्टमेंट की प्रतिक्रिया

कुछ राज्य सरकारों और ट्रैफिक डिपार्टमेंट्स ने Google को इस बारे में नोटिस जारी किया है और डेटा अपडेट करने की मांग की है। इसके अलावा कई स्थानीय प्रशासन Google Maps से जुड़े भ्रमों को दूर करने के लिए अपने स्तर पर जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं। विशेष रूप से हिल स्टेशन और संवेदनशील इलाकों में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि पर्यटक Google Maps पर पूरी तरह निर्भर न रहें और स्थानीय जानकारी पर भी ध्यान दें।

क्या करें यूजर्स ताकि रहें सुरक्षित?

Google Maps का उपयोग करते समय पूरी सतर्कता जरूरी है। अगर आप किसी अनजान या पहाड़ी क्षेत्र में सफर कर रहे हैं, तो स्थानीय लोगों से जानकारी लेना न भूलें। साथ ही, अगर रास्ता असामान्य या जोखिम भरा लगे, तो तुरंत रुककर सोचें और विकल्प तलाशें।

यात्रा के पहले ही रूट को प्लान कर लेना, बैकअप मैप्स रखना और इंटरनेट की उपलब्धता को चेक करना भी जरूरी है। Blind faith से बचना और अपनी समझदारी का इस्तेमाल करना ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।

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