मुर्गी पालन पर मिल रहा लाखों का सरकारी अनुदान! कमाई का बेहतरीन मौका

बिहार सरकार की नई मुर्गी पालन योजना से ग्रामीण युवाओं को मिलेगा सुनहरा अवसर, बायलर और लेयर यूनिट पर मिल रहा है लाखों का अनुदान, जानें आवेदन की प्रक्रिया और जरूरी शर्तें यह खबर आपकी आर्थिक सोच बदल देगी!

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Written byRohit Kumar

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मुर्गी पालन पर मिल रहा लाखों का सरकारी अनुदान! कमाई का बेहतरीन मौका
मुर्गी पालन पर मिल रहा लाखों का सरकारी अनुदान! कमाई का बेहतरीन मौका

बिहार सरकार ने ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और राज्य में मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक नई महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत बायलर (Broiler) और लेयर (Layer) मुर्गी पालन करने वाले किसानों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण और रोजगार सृजन को गति देना है।

रोहतास जिला के भ्रमणशील चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अभिषेक आनंद ने इस योजना के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि अब राज्य के किसान व्यवसायिक मुर्गी पालन की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं, जिसमें सरकार की ओर से उन्हें वित्तीय सहायता दी जाएगी।

बायलर यूनिट के लिए 10 लाख की लागत, मिलेगा 30-40% तक अनुदान

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डॉ. आनंद के अनुसार, यदि कोई किसान बायलर मुर्गियों का फार्म शुरू करना चाहता है, और वह 3,000 मुर्गियों की यूनिट खोलता है, तो उसकी अनुमानित लागत ₹10 लाख मानी गई है। इस यूनिट पर सामान्य वर्ग के किसानों को 30 प्रतिशत और अनुसूचित जाति (SC) एवं अनुसूचित जनजाति (ST) के किसानों को 40 प्रतिशत तक का सरकारी अनुदान मिलेगा।

यह योजना उन किसानों के लिए एक बेहतरीन मौका है जो सीमित संसाधनों के बावजूद स्वरोजगार की तलाश में हैं और मुर्गी पालन जैसे लाभदायक क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते हैं।

लेयर यूनिट के लिए 48 लाख से 98 लाख तक की लागत

लेयर मुर्गी पालन करने वालों के लिए भी सरकार ने विशेष प्रावधान किए हैं। यदि कोई किसान 5,000 लेयर मुर्गियों की यूनिट लगाना चाहता है, तो उसकी लागत ₹48 लाख आंकी गई है। वहीं, 10,000 लेयर मुर्गियों की यूनिट के लिए ₹98 लाख की लागत निर्धारित की गई है।

इन दोनों ही यूनिटों के लिए भी सामान्य वर्ग को 30 प्रतिशत और एससी-एसटी वर्ग को 40 प्रतिशत तक का अनुदान (Subsidy) मिलेगा। यह योजना ऐसे लोगों को भी प्रोत्साहित करेगी जो बड़े पैमाने पर व्यवसाय करना चाहते हैं।

प्रशिक्षण है अनिवार्य शर्त

इस योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थियों को कुछ जरूरी शर्तों को पूरा करना होगा। सबसे जरूरी शर्त यह है कि आवेदक को कृषि विज्ञान केंद्र या बिहार पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय अथवा किसी भी संबंधित सरकारी संस्था से कम से कम पांच दिनों का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है।

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प्रशिक्षण पूरा करने के बाद एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा, जो योजना के तहत आवेदन करते समय आवश्यक दस्तावेज के रूप में मान्य होगा। यह कदम किसानों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने और व्यवसायिकता लाने के लिए उठाया गया है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल

डॉ. अभिषेक आनंद ने बताया कि यह योजना खासतौर पर ग्रामीण युवाओं, लघु और सीमांत किसानों के लिए एक बेहतरीन अवसर है। इससे जहां एक ओर पोल्ट्री इंडस्ट्री को मजबूती मिलेगी, वहीं दूसरी ओर गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

साथ ही स्थानीय स्तर पर अंडा और मांस की आपूर्ति में भी सुधार होगा, जिससे बाजार में प्रोटीन युक्त भोजन की उपलब्धता बनी रहेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी।

केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना से मेल

बिहार सरकार की यह पहल केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के उद्देश्यों के अनुरूप है, जहां स्थानीय स्तर पर उत्पादन और स्वरोजगार को बढ़ावा देकर आय के साधनों को सशक्त किया जा रहा है। मुर्गी पालन न केवल कम निवेश में अच्छा मुनाफा देने वाला क्षेत्र है, बल्कि इसमें जोखिम भी सीमित होता है यदि इसे वैज्ञानिक तरीके से किया जाए।

Renewable Energy और आधुनिक तकनीक का उपयोग

सरकार की योजना है कि भविष्य में इन फार्मों को Renewable Energy आधारित बनाया जाए, जिससे इनकी लागत में कमी लाई जा सके और पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी फैले। इसके लिए सोलर सिस्टम, बायोगैस यूनिट जैसी तकनीकों को फार्मों में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है।

ग्रामीण विकास के लिए कारगर कदम

इस योजना के तहत सरकार का उद्देश्य सिर्फ रोजगार सृजन ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक समावेशी विकास भी है। महिलाओं, युवाओं और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को इस योजना से विशेष रूप से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

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