
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया। इस बजट में किसानों और पशुपालकों के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई हैं। खासकर राज्य के दूध उत्पादक किसानों को राहत देते हुए सरकार ने न्यूनतम खरीद मूल्य (Minimum Support Price) में छह रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। इससे प्रदेश के किसानों को सीधा लाभ मिलेगा और उनकी आय में बढ़ोतरी होगी।
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हिमाचल प्रदेश का बजट 2025-26 किसानों और पशुपालकों के लिए राहत भरा साबित हुआ है। दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, सिंचाई योजनाओं का विस्तार और खेत संरक्षण योजना जैसी घोषणाओं से राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। मुख्यमंत्री सुक्खू की इस पहल से हिमाचल के किसानों और पशुपालकों को सीधा लाभ मिलेगा और राज्य आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होगा।
दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी
सरकार द्वारा घोषित नई कीमतों के अनुसार, अब किसानों को गाय के दूध के लिए 51 रुपये और भैंस के दूध के लिए 61 रुपये प्रति किलो का भुगतान किया जाएगा। इससे पहले यह कीमतें क्रमशः 45 रुपये और 55 रुपये थीं। यह वृद्धि राज्य के दुग्ध उत्पादकों के लिए राहत भरी खबर है।
इसके अलावा, दूध सहकारी सभाओं (Dairy Cooperative Societies) को मिलने वाली सब्सिडी को भी बढ़ाकर 3 प्रतिशत कर दिया गया है, जो पहले 1.5 प्रतिशत थी। इस कदम से दूध उत्पादकों को अधिक लाभ होगा और वे अपनी उत्पादन लागत को नियंत्रित कर सकेंगे।
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दूध परिवहन के लिए सब्सिडी
बजट में दूध उत्पादन और वितरण को बढ़ावा देने के लिए 10.73 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इसके तहत, दूध परिवहन के लिए दो रुपये प्रति किलोमीटर सब्सिडी देने की घोषणा की गई है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों से दूध का सुचारू परिवहन सुनिश्चित होगा और किसानों को अतिरिक्त राहत मिलेगी। हिमाचल सरकार द्वारा बढ़ाई गई इस कीमत को मिल्क सपोर्ट प्राइस (Milk Support Price) कहा जाता है। बाजार में बिकने वाले दूध की कीमतें निजी और सहकारी कंपनियां तय करती हैं।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की योजना
बजट में किसानों को प्राकृतिक खेती (Organic Farming) अपनाने के लिए प्रेरित करने की योजना भी बनाई गई है। इस अभियान के तहत सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष में एक लाख नए किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। इस योजना का उद्देश्य जैविक उत्पादों का उत्पादन बढ़ाना और किसानों की आय में वृद्धि करना है। इसके अलावा, प्राकृतिक खेती से पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने में मदद मिलेगी।
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फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि
मुख्यमंत्री सुक्खू ने किसानों के लिए एक और बड़ी घोषणा करते हुए मक्के और गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) में बढ़ोतरी की है। मक्के का समर्थन मूल्य 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति किलो और गेहूं का समर्थन मूल्य 40 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये प्रति किलो कर दिया गया है। इससे किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा और वे आर्थिक रूप से मजबूत होंगे।
100 गांवों में सिंचाई योजना की शुरुआत
राज्य सरकार ने सिंचाई व्यवस्था को सुधारने के लिए 100 गांवों में सिंचाई योजना (Irrigation Scheme) लागू करने की घोषणा की है। इस योजना के तहत 10 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिससे किसानों को फसलों की सिंचाई में मदद मिलेगी और उनकी पैदावार बढ़ेगी।
खेत संरक्षण योजना का विस्तार
बजट में मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना (Khet Suraksha Yojana) के तहत जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए सहायता प्रदान करने की भी घोषणा की गई है। इस योजना के तहत किसानों को खेतों की सुरक्षा के लिए जालीदार और बाड़बंदी की सुविधा दी जाएगी। इससे किसानों की फसल की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और वे आर्थिक नुकसान से बच सकेंगे।
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मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का बयान
बजट पेश करने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर पोस्ट किया कि “आज हिमाचल प्रदेश का स्वर्णिम बजट प्रस्तुत कर रहा हूं। यह आत्मनिर्भर प्रदेश की संकल्पना को साकार करने वाला होगा और प्रदेश की प्रगति को गति देगा। सवा साल में हमारी सरकार ने जनता के विश्वास को पुनः स्थापित किया है और विकास के नए प्रतिमान गढ़े हैं। जनता के सहयोग और आशीर्वाद से हम हिमाचल को आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाएंगे।”