
हिंदू पंचांग के अनुसार, होलाष्टक 2025 (Holashtak 2025) की शुरुआत 07 मार्च से हो रही है और यह 13 मार्च को समाप्त होगा। यह आठ दिवसीय अवधि होली (Holi) से पहले आती है और इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। विशेष रूप से, विवाह (Marriage), गृह-प्रवेश (Griha Pravesh), मुंडन संस्कार, नए व्यापार की शुरुआत जैसी गतिविधियां इस समय वर्जित मानी जाती हैं।
होलाष्टक मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में मान्य है। यह समय आध्यात्मिक रूप से उथल-पुथल और ग्रहों की अशुभ स्थिति का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे शुभ कार्यों के लिए अनुचित समय कहा जाता है।
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होलाष्टक का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
होलाष्टक में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की स्थिति में भारी उतार-चढ़ाव होता है। इस दौरान सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु का प्रभाव अधिक रहता है, जिससे मानसिक तनाव, भावनात्मक अस्थिरता और पारिवारिक समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसलिए यह समय किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए उचित नहीं माना जाता।
इसके अलावा, होलाष्टक का संबंध भक्त प्रह्लाद (Bhakt Prahlad) की कथा से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि इस दौरान हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को प्रताड़ित किया था, लेकिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने उनकी रक्षा की और अंत में होली के दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका (Holika) का अंत हुआ। इसलिए यह काल धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
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होलाष्टक में क्या करना चाहिए?
होलाष्टक के दौरान भले ही शुभ कार्यों की मनाही हो, लेकिन यह समय आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए उत्तम माना जाता है।
- भगवान विष्णु और शिव की पूजा करें: होलाष्टक में भगवान विष्णु, शिव (Lord Shiva) और नरसिंह भगवान की पूजा का विशेष महत्व होता है।
- दान-पुण्य करें: इस अवधि में जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करना शुभ फलदायी होता है।
- होलिका दहन की तैयारी करें: इस समय होलिका दहन (Holika Dahan) की तैयारी की जाती है, जिसमें लकड़ियां और गोबर के उपले एकत्र किए जाते हैं।
- हनुमान चालीसा और रामायण पाठ करें: इस दौरान भगवान हनुमान की आराधना करना कष्टों से मुक्ति दिला सकता है।
- योग और ध्यान करें: मानसिक शांति के लिए इस समय योग और ध्यान का अभ्यास करना लाभकारी हो सकता है।
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होलाष्टक में क्या नहीं करना चाहिए?
- विवाह और अन्य मांगलिक कार्य न करें: होलाष्टक के दौरान शादी, सगाई, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन संस्कार जैसे शुभ कार्यों को टाल देना चाहिए।
- नए व्यापार या निवेश से बचें: इस समय नया बिजनेस, स्टार्टअप, शेयर मार्केट में बड़ा निवेश करने से बचना चाहिए, क्योंकि ग्रहों की स्थिति अनुकूल नहीं होती।
- किसी को अपशब्द न कहें: इस समय विशेष रूप से भाषा और व्यवहार पर नियंत्रण रखना चाहिए। क्रोध और कटु शब्दों से बचें।
- बाल और नाखून न कटवाएं: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के दौरान बाल और नाखून काटना अशुभ माना जाता है।
- विवादों से बचें: इस दौरान वाद-विवाद, कोर्ट-कचहरी के मामलों से दूरी बनाए रखना उचित होता है।
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होलाष्टक का अंत और होली का शुभ मुहूर्त
होलाष्टक 13 मार्च 2025 को समाप्त होगा और इसके अगले दिन 14 मार्च को होलिका दहन (Holika Dahan 2025) होगा। 15 मार्च 2025 को रंगों का त्योहार होली (Holi 2025) मनाया जाएगा।
होलाष्टक का समापन होने के बाद ही विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत की जा सकती है। इस दौरान किसी भी नए कार्य को प्रारंभ करने से पहले पंचांग देखकर शुभ मुहूर्त का चयन करना आवश्यक होता है।