होम लोन लेने से पहले जान लें ये जरूरी नियम! कितनी EMI न भरने पर डिफॉल्टर घोषित हो जाएंगे?

होम लोन लेने से पहले जान लें ये जरूरी नियम! कितनी EMI न भरने पर डिफॉल्टर घोषित हो जाएंगे?
होम लोन लेने से पहले जान लें ये जरूरी नियम! कितनी EMI न भरने पर डिफॉल्टर घोषित हो जाएंगे?
होम लोन लेने से पहले जान लें ये जरूरी नियम! कितनी EMI न भरने पर डिफॉल्टर घोषित हो जाएंगे?

घर खरीदना हर व्यक्ति का सपना होता है, जिसे पूरा करने के लिए अधिकांश लोग होम लोन का सहारा लेते हैं। लेकिन होम लोन लेने से पहले कुछ महत्वपूर्ण नियमों की जानकारी होना आवश्यक है, ताकि भविष्य में किसी भी वित्तीय समस्या से बचा जा सके। आइए, इन नियमों पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

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होम लोन लेना एक बड़ी वित्तीय जिम्मेदारी है। EMI का समय पर भुगतान न केवल आपकी वित्तीय स्थिरता को दर्शाता है, बल्कि आपके क्रेडिट स्कोर को भी प्रभावित करता है। इसलिए, लोन लेने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन करें और सुनिश्चित करें कि आप समय पर EMI का भुगतान कर सकें।

होम लोन की पात्रता और आवश्यक दस्तावेज़

होम लोन प्राप्त करने के लिए बैंक या वित्तीय संस्थान आपकी आय, क्रेडिट स्कोर, रोजगार स्थायित्व और अन्य वित्तीय पहलुओं का मूल्यांकन करते हैं।

आवश्यक दस्तावेज़:

  • पहचान प्रमाण: आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी आदि।
  • पते का प्रमाण: बिजली बिल, राशन कार्ड, पासपोर्ट आदि।
  • आय प्रमाण: वेतन पर्ची, आयकर रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट आदि।
  • प्रॉपर्टी दस्तावेज़: बिक्री अनुबंध, स्वामित्व दस्तावेज़ आदि।

होम लोन की ब्याज दरें और अवधि

ब्याज दरें दो प्रकार की होती हैं:

  • फ्लोटिंग रेट: इसमें ब्याज दर बाजार की स्थितियों के अनुसार बदलती रहती है।
  • फिक्स्ड रेट: इसमें ब्याज दर लोन की पूरी अवधि के लिए स्थिर रहती है।

लोन की अवधि आमतौर पर 15 से 30 वर्षों तक होती है। अवधि जितनी लंबी होगी, EMI उतनी ही कम होगी, लेकिन कुल ब्याज भुगतान अधिक होगा।

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EMI न भरने पर बैंक की कार्रवाई

होम लोन की EMI न भरने पर बैंक चरणबद्ध तरीके से कार्रवाई करता है:

  1. पहली EMI मिस: बैंक आमतौर पर इसे गंभीरता से नहीं लेता और रिमाइंडर भेजता है।
  2. दूसरी EMI मिस: बैंक फिर से रिमाइंडर भेजता है और ग्राहक से संपर्क करता है।
  3. तीसरी EMI मिस: बैंक कानूनी नोटिस भेजता है और लोन अकाउंट को NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) घोषित करता है।
  4. चौथी EMI मिस: बैंक संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया शुरू करता है।

डिफॉल्टर घोषित होने की प्रक्रिया

यदि आप लगातार तीन महीनों तक EMI का भुगतान नहीं करते हैं, तो बैंक आपके लोन अकाउंट को NPA घोषित कर सकता है। इसके बाद, SARFAESI एक्ट, 2002 के तहत, बैंक बिना अदालत की अनुमति के आपकी संपत्ति को जब्त कर सकता है।

EMI न भरने के परिणाम

  • क्रेडिट स्कोर पर प्रभाव: EMI न भरने से आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित होता है, जिससे भविष्य में लोन प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
  • जुर्माना और अतिरिक्त ब्याज: बैंक लेट पेमेंट के लिए जुर्माना और अतिरिक्त ब्याज वसूल सकता है।
  • संपत्ति की नीलामी: लगातार EMI न भरने पर बैंक आपकी संपत्ति की नीलामी कर सकता है।

EMI न भर पाने की स्थिति में क्या करें?

यदि आप EMI का भुगतान करने में असमर्थ हैं, तो निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:

  • बैंक से संपर्क करें: अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में बैंक को सूचित करें और समाधान की तलाश करें।
  • लोन पुनर्गठन: बैंक से लोन की अवधि बढ़ाने या EMI राशि कम करने के लिए अनुरोध करें।
  • आवधिक भुगतान: यदि संभव हो, तो आंशिक भुगतान करें ताकि बैंक को आपकी भुगतान करने की मंशा दिखाई दे।

SARFAESI एक्ट, 2002 के तहत बैंक की शक्तियाँ

SARFAESI एक्ट, 2002 के तहत, बैंक को यह अधिकार है कि वह डिफॉल्टर की संपत्ति को बिना अदालत की अनुमति के जब्त कर सकता है। लेकिन इसके लिए बैंक को निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होता है:

  1. 60 दिनों का नोटिस: बैंक डिफॉल्टर को 60 दिनों का नोटिस भेजता है।
  2. आपत्ति का निवारण: यदि डिफॉल्टर के पास कोई आपत्ति है, तो उसे इस अवधि में बैंक के समक्ष प्रस्तुत करना होता है।
  3. संपत्ति की जब्ती: यदि डिफॉल्टर नोटिस अवधि में भुगतान नहीं करता, तो बैंक संपत्ति जब्त कर सकता है।
  4. नीलामी: जब्ती के बाद, बैंक संपत्ति की नीलामी कर बकाया राशि की वसूली करता है।
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By Rohit Kumar

नमस्ते, Eath NEWJ में आपका स्वागत है! मैं रोहित कुमार हूं, Earthnewj.com चलाने वाला व्यक्ति। कई समाचार पोर्टलों में काम करने के बाद अपने 8 सालों के अनुभव से मैं अर्थ न्यूज को चला रहा हूँ, इस पोर्टल पर मेरी कोशिश हैं की अपने पाठकों को काम की खबर दे पाऊँ।

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