
HRA से Tax बचाने की Legal Trick अब वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए एक वैध और उपयोगी विकल्प बन चुका है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(13A) के तहत, अगर आपको हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance-HRA) मिलता है, तो आप कुछ शर्तों के साथ टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं — यहां तक कि तब भी जब आप किसी बाहरी मकान मालिक को किराया न दे रहे हों, बल्कि अपने माता-पिता या करीबी रिश्तेदार के घर में रह रहे हों।
क्या है HRA और इसकी टैक्स छूट का नियम?
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 10(13A) उन कर्मचारियों को HRA पर टैक्स छूट देती है जो किराए के मकान में रह रहे हैं और मकान मालिक को वास्तविक किराया चुकाते हैं। यह छूट आपकी टैक्सेबल इनकम को कम करती है, जिससे कुल टैक्स लायबिलिटी घट जाती है। हालांकि यह छूट केवल वेतनभोगी (Salaried) कर्मचारियों को मिलती है, सेल्फ-एंप्लॉयड (Self-employed) व्यक्ति इसके पात्र नहीं होते। वे सेक्शन 80GG के अंतर्गत सीमित लाभ ले सकते हैं।
बिना बाहरी मकान मालिक को किराया दिए कैसे मिल सकती है HRA छूट?
यह सवाल लाखों कर्मचारियों के मन में आता है। अगर आप अपने माता-पिता या किसी करीबी रिश्तेदार के मकान में रह रहे हैं, और वह घर आपके नाम पर नहीं है, तो आप कुछ जरूरी शर्तों को पूरा करके HRA की टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस स्थिति को मान्यता देता है, लेकिन इसके लिए वैध दस्तावेज़ और व्यवहारिक भुगतान आवश्यक है।
जरूरी शर्तें: कैसे करें सही तरीके से क्लेम
पहली और सबसे अहम बात — जिस घर में आप रह रहे हैं, वह आपकी खुद की संपत्ति नहीं होनी चाहिए। अगर वह घर आपके माता-पिता या किसी अन्य रिश्तेदार के नाम पर रजिस्टर्ड है, तो आप उन्हें किराया देकर और उसका सबूत रखकर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।
इसके लिए आपको हर महीने बैंक ट्रांसफर के ज़रिए उन्हें किराया देना होगा। साथ ही एक वैध Rent Agreement बनाना जरूरी है जिसमें किराए की राशि और शर्तें स्पष्ट रूप से लिखी हों। हर महीने भुगतान के बाद रेंट रसीद (Rent Receipt) जरूर लें। ये दस्तावेज भविष्य में टैक्स ऑडिट के दौरान काम आएंगे।
माता-पिता के लिए यह कैसे फायदेमंद हो सकता है?
आप जो किराया अपने माता-पिता को देते हैं, वह उनकी ‘Income from House Property’ मानी जाएगी। इसका मतलब है कि उन्हें इस आय को अपनी ITR (Income Tax Return) में दिखाना होगा और लागू टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना पड़ सकता है। हालांकि, अगर वे सीनियर सिटिज़न (Senior Citizen) हैं और उनकी कोई अन्य टैक्सेबल इनकम नहीं है, तो यह किराया उनकी बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट (Basic Exemption Limit) में आ सकता है और उन्हें टैक्स नहीं देना पड़ेगा। इससे उन्हें आय का स्रोत भी मिलेगा और आपको टैक्स छूट भी।
HRA छूट की गणना कैसे होती है?
सेक्शन 10(13A) के तहत मिलने वाली टैक्स छूट तीन स्थितियों में से सबसे कम राशि पर आधारित होती है:
- आपको वास्तव में मिला हुआ HRA
- दिए गए कुल किराए में से आपकी बेसिक सैलरी का 10% घटाकर
- मेट्रो शहर में सैलरी का 50% और नॉन-मेट्रो शहरों में 40%
यहां ‘सैलरी’ का मतलब होता है आपकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता (Dearness Allowance), अगर वह रिटायरमेंट बेनिफिट्स का हिस्सा है।
उदाहरण से समझिए पूरी गणना
मान लीजिए आपकी बेसिक सैलरी और DA मिलाकर ₹50,000 प्रति माह (₹6,00,000 सालाना) है। आपको HRA के रूप में ₹20,000 प्रति माह (₹2,40,000 सालाना) मिल रहा है। आप दिल्ली में रहते हैं और अपने माता-पिता को ₹15,000 प्रति माह (₹1,80,000 सालाना) किराया देते हैं।
अब तीनों गणनाएं:
- वास्तव में मिला HRA = ₹2,40,000
- (₹1,80,000 – ₹60,000) = ₹1,20,000
- मेट्रो शहर (दिल्ली) में 50% सैलरी = ₹3,00,000
इन तीनों में सबसे कम राशि ₹1,20,000 है, इसलिए आपको इतनी राशि पर HRA छूट मिलेगी। बाकी ₹1,20,000 टैक्सेबल इनकम में जुड़ जाएगा।
यह तरीका वैध है लेकिन सतर्कता जरूरी
यह तरीका पूरी तरह से वैध (Legal) है लेकिन इसमें लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। दस्तावेजों की वैधता, बैंक ट्रांसफर की पुख्ता जानकारी और रसीदें बेहद जरूरी हैं। साथ ही, किराया प्राप्त करने वाले रिश्तेदार को इसे अपनी आय में दर्शाना होगा। अगर यह प्रक्रिया पारदर्शिता से की जाए, तो यह HRA पर टैक्स छूट पाने का शानदार तरीका बन सकता है।