
भारत में सोने का उत्पादन वैश्विक स्तर पर सीमित है, लेकिन देश के अंदर कुछ प्रमुख क्षेत्र ऐसे हैं जहां सोने का खनन बड़े पैमाने पर किया जाता है। हर साल भारत में लगभग 1.6 टन सोने का उत्पादन होता है, जो देश की कुल मांग का एक छोटा सा हिस्सा ही पूरा कर पाता है।
भारत में सोने का उत्पादन वैश्विक मांग की तुलना में कम है, लेकिन सरकार और निजी क्षेत्र के प्रयासों से इस स्थिति में सुधार की संभावना है। यदि नए खनन क्षेत्रों की खोज और मौजूदा तकनीकों के विकास को प्रोत्साहित किया जाए, तो भारत अपने स्वर्ण उत्पादन को और अधिक बढ़ा सकता है।
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सोने के उत्पादन में कर्नाटक का योगदान
भारत में सोने के उत्पादन में कर्नाटक शीर्ष स्थान पर है। दशकों तक कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF) देश का प्रमुख सोना उत्पादक क्षेत्र रहा, लेकिन अब वहां खनन कार्य बंद हो चुका है। हालांकि, कर्नाटक के रायचूर जिले में स्थित हट्टी गोल्ड माइंस (Hutti Gold Mines) आज भी भारत में सोने का सबसे बड़ा उत्पादन केंद्र बना हुआ है। हट्टी गोल्ड माइंस से भारत के कुल सोने के उत्पादन का 80% से अधिक आता है।
अन्य प्रमुख सोना उत्पादक राज्य
कर्नाटक के अलावा, झारखंड और आंध्र प्रदेश भी भारत में सोने के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। झारखंड के सिंहभूम जिले में बड़े सोने के भंडार पाए जाते हैं, जबकि आंध्र प्रदेश के रामगिरि क्षेत्र में भी सोने का उत्पादन किया जाता है। इसके अलावा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी सीमित स्तर पर सोने का खनन किया जाता है।
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भारत में सोने की खपत और आयात
भारत दुनिया में सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। हर साल भारत में 700-900 टन सोने की खपत होती है। चूंकि भारत में सोने का घरेलू उत्पादन काफी सीमित है, इसलिए देश को अपनी सोने की मांग का अधिकांश हिस्सा आयात के जरिए पूरा करना पड़ता है। इसका सीधा प्रभाव भारत के व्यापार घाटे पर भी पड़ता है।
सरकार के प्रयास और भविष्य की संभावनाएं
सरकार सोने के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए नए खनन क्षेत्र तलाशने और विदेशी व घरेलू निवेश को प्रोत्साहित करने के प्रयास कर रही है। नई तकनीक और अनुसंधान के माध्यम से मौजूदा खदानों में उत्पादन बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा, सरकार स्वर्ण बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) जैसी योजनाओं के जरिए सोने की भौतिक मांग को कम करने का भी प्रयास कर रही है।