
आज के समय में बिजली की अनिश्चित आपूर्ति के कारण इनवर्टर एक आवश्यक उपकरण बन गया है। इनवर्टर सही तरीके से काम करे, इसके लिए उसकी बैटरी का सही रखरखाव बेहद जरूरी है। खासतौर पर इनवर्टर बैटरी वाटर का समय-समय पर चेक और रिफिल करना जरूरी होता है। अगर आप इस प्रक्रिया में देर करते हैं, तो बैटरी की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है और उसकी लाइफ भी कम हो सकती है।
क्यों जरूरी है बैटरी वाटर का सही स्तर बनाए रखना?
बिजली कटौती के दौरान इनवर्टर पर निर्भरता अधिक होती है, खासतौर पर गर्मी के मौसम में। ऐसे में बैटरी को लंबे समय तक सुरक्षित और प्रभावी बनाए रखने के लिए उसमें डिस्टिल्ड वाटर का सही मात्रा में होना आवश्यक है। जब बैटरी में पानी कम हो जाता है, तो यह इनवर्टर की क्षमता को प्रभावित करता है और बिजली बैकअप कम हो सकता है।
इनवर्टर में कब डालें पानी?
इनवर्टर की बैटरी में पानी डालने का एक निश्चित अंतराल होता है, जिससे उसकी परफॉर्मेंस बनी रहती है। यह अंतराल बैटरी के प्रकार, उपयोग और पर्यावरणीय स्थितियों पर निर्भर करता है। आमतौर पर हर 45 दिनों में बैटरी वाटर लेवल चेक करना चाहिए। सामान्य उपयोग के तहत 4-5 महीने में बैटरी का पानी कम हो सकता है, इसलिए इसे समय पर रिफिल करना आवश्यक है।
बैटरी के हरे निशान को हमेशा ध्यान रखें
बैटरी पर एक वाटर लेवल इंडिकेटर मौजूद होता है, जो आपको बताता है कि बैटरी में पानी पर्याप्त है या नहीं।
- ग्रीन निशान: बैटरी में पर्याप्त पानी है और किसी बदलाव की जरूरत नहीं है।
- रेड निशान: बैटरी में पानी की कमी है और इसे तुरंत भरने की जरूरत है।
बैटरी में पानी भरने से पहले इनवर्टर और पावर सॉकेट बंद करें। प्लग को निकालकर रखें ताकि किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके।
बैटरी में कौन सा पानी डालें?
इनवर्टर की बैटरी में केवल डिस्टिल्ड वाटर ही डालना चाहिए। नल या आरओ वाटर का इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि इनमें अशुद्धियाँ होती हैं, जो बैटरी की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती हैं। डिस्टिल्ड वाटर को ऑनलाइन या इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर्स से खरीदा जा सकता है