
1 फरवरी 2025 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश किया, जिसमें नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग के लिए महत्वपूर्ण कर राहत की घोषणा की गई। नई कर व्यवस्था के तहत अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पूरी तरह से आयकर से मुक्त होगी।
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आयकर स्लैब में बदलाव
वित्त मंत्री ने आयकर स्लैब में संशोधन करते हुए नई कर व्यवस्था की घोषणा की है, जो इस प्रकार है:
- 0 से 4 लाख रुपये तक की आय: कोई टैक्स नहीं
- 4 से 8 लाख रुपये तक की आय: 5% टैक्स
- 8 से 12 लाख रुपये तक की आय: 10% टैक्स
- 12 से 16 लाख रुपये तक की आय: 15% टैक्स
- 16 से 20 लाख रुपये तक की आय: 20% टैक्स
- 20 से 24 लाख रुपये तक की आय: 25% टैक्स
- 24 लाख रुपये से अधिक की आय: 30% टैक्स
इस संशोधन से मध्यम वर्ग के करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी, जिससे उनकी क्रय शक्ति में वृद्धि होगी।
स्टैंडर्ड डिडक्शन और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष प्रावधान
नई कर व्यवस्था में 75,000 रुपये तक के स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट दी गई है। इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिक अब चार साल तक अपडेटेड रिटर्न भर सकेंगे, जिससे उन्हें अतिरिक्त सुविधा मिलेगी।
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निवेश के माध्यम से टैक्स बचत
अब तक, करदाता PPF, LIC, और अन्य निवेश उपकरणों में निवेश करके टैक्स बचाते थे। नई कर व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट के बाद, करदाताओं को निवेश के माध्यम से अतिरिक्त टैक्स बचत के विकल्पों पर पुनर्विचार करना होगा। यह बदलाव निवेश पैटर्न को प्रभावित कर सकता है, जिससे वित्तीय योजनाओं में संशोधन की आवश्यकता हो सकती है।
एक करोड़ से अधिक लोग होंगे लाभान्वित
वित्त मंत्री ने बताया कि इस कर छूट से देश के एक करोड़ से अधिक लोग टैक्स के दायरे से बाहर हो जाएंगे, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी और वे अधिक खर्च या निवेश कर सकेंगे।
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अन्य प्रमुख घोषणाएं
- किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा वृद्धि: किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से मिलने वाले ऋण की सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया गया है, जिससे किसानों को वित्तीय सहायता में वृद्धि होगी।
- स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार: अगले पांच वर्षों में मेडिकल कॉलेजों में 75,000 नई सीटें जोड़ी जाएंगी, जिससे चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा।
- कृषि क्षेत्र में पहल: ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ के तहत 100 जिलों में उत्पादन वृद्धि, फसल विविधता, और सिंचाई सुविधाओं में सुधार के लिए कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे।
- एमएसएमई के लिए समर्थन: एमएसएमई के लिए निवेश और कुल कारोबार सीमाओं को बढ़ाया गया है, जिससे उन्हें उच्चतर कुशलता, तकनीकी उन्नयन, और पूंजी तक बेहतर पहुंच प्राप्त होगी।
- शहरी विकास: शहरों के रचनात्मक पुनर्विकास और जल एवं स्वच्छता के लिए एक लाख करोड़ रुपये के शहरी चुनौती कोष का गठन किया जाएगा, जिससे शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार होगा।
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इन घोषणाओं से स्पष्ट है कि सरकार ने इस बजट में मध्यम वर्ग, किसानों, और व्यवसायियों के हितों को प्राथमिकता दी है, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी।