
कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) छह साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर से शुरू होने जा रही है। चीन ने भारत को इस यात्रा के लिए अनुमति दे दी है, जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने तीर्थयात्रियों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया भी चालू कर दी है। रजिस्ट्रेशन शुरू होते ही श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। इस बार तीर्थयात्रियों को दो अलग-अलग मार्गों से कैलाश मानसरोवर तक पहुंचने का अवसर मिलेगा।
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कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) का फिर से शुरू होना लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक शुभ संकेत है। लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर भक्तों को भगवान शिव के पवित्र धाम के दर्शन का सौभाग्य मिलेगा। अगर आप भी इस अद्भुत और धार्मिक यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो समय रहते रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी कर लें।
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 की तैयारियां
विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra 2025) के लिए कुल 50-50 यात्रियों के 15 बैच बनाए जाएंगे। इनमें से 10 बैच के तीर्थ यात्री सिक्किम में नाथू ला दर्रे के रास्ते यात्रा करेंगे। इस मार्ग से यात्रा पूरी करने में कुल 21 दिन का समय लगेगा। वहीं, बाकी 5 बैच के तीर्थ यात्री उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से होकर मानसरोवर पहुंचेंगे, जिनकी यात्रा अवधि 22 दिन होगी।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
इस पवित्र यात्रा में शामिल होने के इच्छुक श्रद्धालु केएमवीएन (KMVN) की आधिकारिक वेबसाइट kmvn.gov.in पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। आवेदनकर्ताओं का चयन पूरी तरह से कंप्यूटर जनित, निष्पक्ष और लिंग-संतुलित प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि पूरी प्रक्रिया डिजिटल रहेगी और रजिस्ट्रेशन से लेकर चयन तक कोई पत्राचार या फैक्स की आवश्यकता नहीं होगी।
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यात्रा की लागत और शुल्क विवरण
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, कैलाश मानसरोवर यात्रा जून से अगस्त 2025 के बीच आयोजित की जाएगी। सिक्किम के नाथू ला मार्ग से यात्रा करने वालों को प्रति व्यक्ति 2,83,000 रुपये शुल्क देना होगा। वहीं, उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को 1,74,000 रुपये प्रति यात्री खर्च करना पड़ेगा। इन शुल्कों में यात्रा के दौरान आवास, भोजन और परिवहन जैसी सुविधाएं शामिल होंगी।
दो प्रमुख मार्ग और उनकी विशेषताएं
नाथू ला मार्ग अपेक्षाकृत आसान और सुगम है, जो अधिकतर सड़क मार्ग से जुड़ा है। इसकी वजह से यह वरिष्ठ नागरिकों और कम शारीरिक श्रम करने वालों के लिए बेहतर विकल्प माना जा रहा है। दूसरी ओर, लिपुलेख दर्रे का मार्ग पारंपरिक और ऐतिहासिक है, लेकिन इसमें कठिन चढ़ाई और पैदल यात्रा ज्यादा करनी पड़ती है। इसके बावजूद कई श्रद्धालु इस मार्ग को आध्यात्मिक अनुभव के लिए चुनते हैं।
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विदेश मंत्रालय की विशेष गाइडलाइन
यात्रा में शामिल होने के इच्छुक श्रद्धालुओं को अपने स्वास्थ्य का प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा। साथ ही पासपोर्ट होना भी जरूरी है, क्योंकि यात्रा चीन के तिब्बत क्षेत्र में स्थित कैलाश मानसरोवर तक पहुंचने के लिए की जाती है। यात्रियों को यात्रा शुरू होने से पहले जरूरी टीकाकरण और स्वास्थ्य परीक्षण भी कराना होगा।