बिहार में अब जमीन के दाखिल-खारिज के नियमों में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। मुजफ्फरपुर जिले में इस प्रक्रिया से जुड़ा नया आदेश जारी किया गया है, जिसके तहत अब अंचलाधिकारी स्तर पर अस्वीकृत किए गए दाखिल-खारिज के आवेदनों को फिर से स्वीकृत कराने का प्रयास नहीं किया जा सकेगा। यह कदम इस प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य अस्वीकृत आवेदनों की गलत स्वीकृति को रोकना और प्रक्रिया में सुधार करना है।

राजस्व विभाग द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अब दाखिल-खारिज के लिए जिन आवेदनों को अंचलाधिकारी द्वारा अस्वीकृत कर दिया जाएगा, उन पर अंचल स्तर से कोई पुनः स्वीकृति नहीं मिल सकेगी। इस नई व्यवस्था के तहत, राजस्व कर्मचारी पहले आवेदन की पूरी जांच करेंगे और अगर आवेदन में कोई कमी पाई जाती है, तो वह उसे अस्वीकृत करने की अनुशंसा करेंगे। इसके बाद अंचलाधिकारी इन आवेदनों को डीसीएलआर कोर्ट में भेजने की सलाह देंगे।
क्यों हुआ यह बदलाव?
इस बदलाव के पीछे मुख्य कारण यह है कि अंचल स्तर पर कई बार अस्वीकृत आवेदन को फिर से स्वीकृत करने के मामले सामने आए थे, जिससे प्रक्रिया में अव्यवस्था उत्पन्न हो रही थी और समय की बर्बादी हो रही थी। राजस्व विभाग ने अपनी समीक्षा में पाया कि अस्वीकृत आवेदन को पुनः स्वीकृत कराने से उसी खाता और खेसरा की जमीन के लिए नए आवेदन दिए जाते हैं, जिससे कोर्ट और अधिकारी स्तर तक मामला लंबा खींचता है।
कभी-कभी अस्वीकृत आवेदन फिर से प्राधिकृत कर दिए जाते थे, जो नियमों के खिलाफ था। ऐसे मामलों को रोकने के लिए यह नया आदेश जारी किया गया है। अब से राजस्व कर्मचारी द्वारा आवेदन की पूरी जांच के बाद यदि वह अस्वीकृत होता है, तो उसे पुनः अंचल स्तर पर नहीं खारिज किया जाएगा। इसके बजाय, अंचलाधिकारी इसे डीसीएलआर कोर्ट में भेजने की सलाह देंगे और वहां से ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
क्या होगा नई प्रक्रिया का असर?
नई प्रक्रिया के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दाखिल-खारिज के मामलों में किसी प्रकार की अनुचित दखलअंदाजी न हो और न ही अस्वीकृत मामलों को गलत तरीके से स्वीकृत किया जाए। इससे न केवल प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, बल्कि समय की भी बचत होगी। एक ओर महत्वपूर्ण बात यह है कि राजस्व कर्मचारी अब आवेदन को पूरी तरह से जांचने के बाद ही निर्णय लेंगे, जिससे गलतफहमियों और अनावश्यक विवादों का खतरा कम हो जाएगा।
अब अंचल अधिकारी की भूमिका भी साफ होगी। उन्हें केवल अस्वीकृत आवेदन को डीसीएलआर कोर्ट में भेजने की सलाह देने का काम होगा, जिससे मामले का समाधान न्यायिक प्रक्रिया के तहत होगा। इस प्रक्रिया से संबंधित कोई भी शिकायत उच्च अधिकारियों के पास जाएगी, जो मामले की गहराई से जांच करेंगे।
विभागीय कार्रवाई और जांच
राजस्व विभाग ने इस निर्णय के बाद अपनी कार्रवाई और निगरानी को भी और कड़ा कर दिया है। विभाग की समीक्षा में यह बात सामने आई थी कि कुछ अंचलाधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन करते हुए दाखिल-खारिज के अस्वीकृत मामलों को बाद में स्वीकृत कर दिया था। इन अंचलाधिकारियों पर विभागीय जांच की जा रही है, और कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने प्रमंडलीय आयुक्तों और समाहर्ताओं को इस आदेश का पालन करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इस प्रक्रिया का पालन न करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि इस बदलाव का उद्देश्य सही तरीके से लागू किया जा सके।
क्यों यह बदलाव महत्वपूर्ण है?
यह बदलाव बिहार के भूमि व्यवस्था को सुधारने की दिशा में एक अहम कदम है। कई बार जमीन के दाखिल-खारिज के मामलों में देरी और अनियमितताएं देखने को मिलती थीं, जिनकी वजह से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इस नई व्यवस्था के लागू होने से न केवल यह प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि नागरिकों को समय पर और सही तरीके से सेवा मिलेगी। इसके अलावा, अस्वीकृत आवेदनों के मामलों में अब कोई गड़बड़ी नहीं होगी, और न्यायिक प्रक्रिया से ही इनका हल निकाला जाएगा।
यह कदम अंततः विभाग की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाएगा और अधिकारियों की जिम्मेदारी को स्पष्ट करेगा। इससे राज्य में भूमि संबंधित मामलों में सुधार की संभावना बढ़ेगी और नागरिकों का विश्वास भी बढ़ेगा।