
कई बार किसी जरूरी काम या इमरजेंसी की स्थिति में हम अपने करीबी, रिश्तेदार या दोस्त को पैसे उधार दे देते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि उधार दिए गए पैसे वापस नहीं मिलते। ऐसे में जब कोई व्यक्ति बार-बार कहने पर भी पैसे नहीं लौटाता है, तो स्थिति न केवल तनावपूर्ण हो जाती है, बल्कि कानूनी लड़ाई तक पहुंच सकती है। अगर आप भी ऐसी ही किसी परिस्थिति में हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं, कैसे आप कानूनी तरीके से अपना उधार दिया हुआ पैसा वापस पा सकते हैं।
वकील की सलाह लें – Legal Advice से हो सकता है समाधान
जब कोई उधार लिए पैसे लौटाने से मना करता है या बार-बार टालमटोल करता है, तो सबसे पहले आपको किसी अनुभवी वकील से संपर्क करना चाहिए। वकील आपको आपके कानूनी अधिकार (Legal Rights) और उपलब्ध विकल्पों की जानकारी देगा। इसके जरिए आप यह समझ पाएंगे कि किस प्रकार की कार्रवाई आपके लिए सबसे बेहतर होगी। वकील की सलाह से यह भी सुनिश्चित किया जा सकता है कि आपका मामला मजबूत हो और कोर्ट में आपके पक्ष में जा सके।
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कानूनी कार्रवाई – Legal Action है एक मजबूत हथियार
अगर बातचीत और समझाइश का तरीका काम नहीं करता है, तो अगला कदम कानूनी कार्रवाई (Legal Action) का होता है। इसके तहत आप उस व्यक्ति के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर कर सकते हैं, जिसने आपसे पैसे लिए और वापस नहीं किए। मुकदमा दायर करने से पहले आप उसे एक लीगल नोटिस (Legal Notice) भेज सकते हैं। यह नोटिस आपके वकील द्वारा तैयार किया जाएगा, जिसमें उधार की राशि, तारीख और लौटाने की मांग स्पष्ट रूप से दर्ज होती है।
अगर सामने वाला व्यक्ति लीगल नोटिस का भी जवाब नहीं देता है, तो आपके पास अदालत का दरवाजा खटखटाने का विकल्प खुला होता है। आपको कोर्ट में यह साबित करना होगा कि आपने उसे पैसे उधार दिए थे और उसने अब तक नहीं लौटाए हैं। इसके लिए आपके पास सबूत होना जरूरी है – जैसे कि बैंक ट्रांजैक्शन, व्हाट्सएप या एसएमएस मैसेज, कॉल रिकॉर्डिंग आदि।
सिविल केस दर्ज करें – Civil Case से मिल सकती है राहत
अगर लीगल नोटिस के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तो आप सिविल केस (Civil Case) फाइल कर सकते हैं। यह केस एक विशेष प्रकार का होता है जिसे “समरी रिकवरी सूट” (Summary Recovery Suit) कहा जाता है। यह मामला पूरी तरह उधार दिए गए पैसे की वापसी से जुड़ा होता है और अदालत इसमें तेजी से कार्रवाई कर सकती है।
“समरी सूट” के अंतर्गत कोर्ट उधार देने वाले व्यक्ति की बात सुनता है और सबूतों के आधार पर फैसला देता है। अगर मामला मजबूत होता है और दस्तावेज पूरे होते हैं, तो यह प्रक्रिया अधिक लंबी नहीं चलती। इस केस को दाखिल करने के लिए वकील की मदद लेना आवश्यक होता है। कोर्ट का आदेश मिलने के बाद उधार लेने वाला व्यक्ति पैसे लौटाने के लिए बाध्य होता है, वरना उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है।
ध्यान रखने योग्य बातें – Future में दोबारा न हो गलती
अगर आप भविष्य में किसी को उधार देने का सोच रहे हैं, तो कुछ अहम बातों का ध्यान जरूर रखें। सबसे पहले, उतना ही उधार दें जितना आप खोने का जोखिम उठा सकते हैं। किसी अजनबी को पैसे उधार देने से बचें, और अगर किसी करीबी को दे भी रहे हैं, तो लिखित समझौता (Written Agreement) जरूर कर लें।
लिखित समझौता एक ऐसा दस्तावेज होता है, जिसमें उधार की राशि, तारीख, लौटाने की अवधि और अन्य शर्तें दर्ज होती हैं। यह दस्तावेज कोर्ट में एक मजबूत सबूत के रूप में काम करता है। इसके अलावा कोशिश करें कि पैसों का लेन-देन बैंक के जरिए हो ताकि भविष्य में उसका रिकॉर्ड उपलब्ध हो।
डिजिटल सबूतों की अहमियत – टेक्नोलॉजी बन सकती है सहारा
आज के डिजिटल युग में तकनीक का सहारा लेना बेहद जरूरी हो गया है। अगर आपने व्हाट्सएप, एसएमएस या ईमेल के जरिए पैसे देने की बात की थी, तो उन सभी का बैकअप जरूर रखें। कई बार कोर्ट में यह सबूत बहुत मददगार साबित होते हैं। साथ ही, अगर आपने कॉल पर बात की थी, तो उस कॉल की रिकॉर्डिंग भी सुरक्षित रखें।