
देश में ट्रैफिक चालान को लेकर लोग अक्सर परेशान रहते हैं, खासकर तब जब चालान की रकम बहुत ज़्यादा हो जाए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ विशेष स्थितियों में कार-बाइक के चालान माफ कराए जा सकते हैं? जी हां, अगर आप सही तरीका जानते हैं तो न केवल चालान की राशि घटवा सकते हैं बल्कि कई मामलों में उसे पूरी तरह से माफ भी करवा सकते हैं। इसके लिए आपको लोक अदालत (Lok Adalat) की मदद लेनी होती है।
क्या होती है लोक अदालत? क्यों कहा जाता है इसे पंचायत का मॉर्डन रूप?
भारत में समय-समय पर लोक अदालतें लगाई जाती हैं जिनका उद्देश्य आम लोगों को बिना लंबी कानूनी प्रक्रिया के न्याय उपलब्ध कराना होता है। इन अदालतों को गांव की पंचायत का आधुनिक रूप कहा जा सकता है। यहां आपको न वकील की ज़रूरत होती है और न ही लंबे समय तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने की। लोक अदालत में आप ट्रैफिक चालान जैसे सामान्य मामलों का बहुत आसानी से समाधान पा सकते हैं।
कैसे माफ हो सकता है ट्रैफिक चालान?
अगर आपके ऊपर कोई ट्रैफिक नियम तोड़ने का आरोप है और उसका ई-चालान कट गया है, तो आप उसे लोक अदालत के ज़रिए माफ करवा सकते हैं। यहां तक कि कई मामलों में चालान की राशि में भारी छूट भी मिलती है। जैसे यदि आपने हेलमेट नहीं पहना था, सीट बेल्ट नहीं लगाई थी या रेड लाइट जंप की थी—तो ऐसे मामलों को लोक अदालत में सुलझाया जा सकता है।
बातचीत और समझौते से होता है फैसला
लोक अदालत में हर मामला बातचीत और आपसी सुलह के जरिए निपटाया जाता है। यहां कोई एक पक्ष हार या जीतता नहीं, बल्कि दोनों पक्षों की सहमति से मामला निपटता है। यही कारण है कि लोक अदालतें न्याय प्रणाली पर बढ़ते बोझ को कम करने में मददगार साबित हो रही हैं।
दिल्ली में कहां-कहां लगती हैं लोक अदालतें?
अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो आपको जानना चाहिए कि लोक अदालतें यहां के प्रमुख कोर्ट परिसरों में लगाई जाती हैं। इनमें द्वारका कोर्ट, कड़कड़डूमा कोर्ट, पटियाला हाउस कोर्ट, रोहिणी कोर्ट, राउज एवेन्यू कोर्ट, साकेत कोर्ट और तीस हजारी कोर्ट शामिल हैं। इन जगहों पर जाकर आप अपने चालान से जुड़े मामले को लोक अदालत में रख सकते हैं।
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किन मामलों में होती है सुनवाई?
लोक अदालत में कई प्रकार के मामले लिए जाते हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा सुनवाई ट्रैफिक उल्लंघनों से जुड़े मामलों की होती है। उदाहरण के लिए—गलत पार्किंग, बिना हेलमेट गाड़ी चलाना, ओवरलोडिंग या स्पीड लिमिट क्रॉस करना जैसे आम मामलों को यहां निपटाया जाता है। अगर आपका मामला किसी गंभीर अपराध या दुर्घटना से जुड़ा नहीं है, तो यहां चालान माफ या कम किया जा सकता है।
किन चालानों पर नहीं होता समझौता?
हालांकि यह जानना भी ज़रूरी है कि सभी चालान लोक अदालत में नहीं निपटाए जा सकते। अगर आपका चालान पहले से ही रेगुलर कोर्ट को भेजा जा चुका है तो उस पर लोक अदालत में कोई समझौता नहीं किया जा सकता। साथ ही, अगर आपने तीन महीने के भीतर चालान का भुगतान नहीं किया है, तो ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड हो सकता है या गाड़ी जब्त भी की जा सकती है।
लोक अदालत में कोर्ट फीस भी हो सकती है वापस
अगर आपका मामला पहले से कोर्ट में चल रहा है और आप लोक अदालत के जरिए इसका समाधान कर लेते हैं, तो आपको दी गई कोर्ट फीस वापस मिल सकती है। यह भी एक बड़ा लाभ है, क्योंकि इससे न केवल समय बल्कि पैसे की भी बचत होती है। साथ ही, लोक अदालत में जो भी निर्णय लिया जाता है, उस पर देश की किसी भी अदालत में अपील नहीं की जा सकती।
क्यों जरूरी है लोक अदालत के बारे में जागरूकता?
बहुत से लोग आज भी लोक अदालत की प्रक्रिया से अनजान हैं और बेवजह कोर्ट के चक्कर लगाते रहते हैं। अगर आपको चालान माफ करवाने का तरीका मालूम हो तो आप बड़ी रकम बचा सकते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग लोक अदालत के माध्यम से अपने मामूली विवादों को सुलझाएं और न्यायिक व्यवस्था पर बोझ भी कम करें।