
महाराष्ट्र (Maharashtra) के नागरिकों के लिए एक बड़ी और राहत देनेवाली खबर सामने आई है। 1 अप्रैल 2025 से राज्य में बिजली दरों (Electricity Rates) में 10 फीसदी तक की कटौती की जाएगी। यह निर्णय महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग (MERC) द्वारा जारी किए गए आदेश के बाद लिया गया है। यह कदम राज्य में बढ़ती महंगाई और नागरिकों की बिजली से जुड़ी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
इस निर्णय से घरेलू उपभोक्ताओं के साथ-साथ छोटे उद्योगों और किसानों को भी आर्थिक राहत मिलेगी। खास बात यह है कि आगामी 5 वर्षों तक राज्य में बिजली दरों को नियंत्रित रखा जाएगा, जिससे महंगाई का बोझ कुछ हद तक कम होगा।
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1 अप्रैल 2025 से महाराष्ट्र में बिजली दरों में 10% की कटौती का निर्णय राज्य के नागरिकों के लिए बड़ी राहत बनकर आया है। यह फैसला न केवल तत्काल राहत देगा, बल्कि आगामी 5 वर्षों के लिए भी ऊर्जा खर्च को स्थिर बनाए रखने में मदद करेगा। हालांकि मुंबई जैसे शहरों में ट्रांसमिशन से जुड़ी समस्याएं इस राहत को सीमित कर सकती हैं, लेकिन राज्य स्तर पर यह एक दूरदर्शी और जनहितैषी निर्णय माना जा रहा है।
MERC का बड़ा फैसला, महावितरण के प्रस्ताव को मिली मंजूरी
महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (Mahavitaran) ने महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग को बिजली टैरिफ में कटौती का प्रस्ताव भेजा था। इस पर आयोग ने विचार करते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बिजली दरों में करीब 10 प्रतिशत की कटौती की जाएगी।
आयोग द्वारा यह निर्णय विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। महायुती सरकार ने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से वादा किया था कि वे बिजली दरों को कम करेंगे, और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी अपने बजट भाषण में इस वादे को दोहराया था।
1 अप्रैल से लागू होंगी नई दरें
आयोग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, नई बिजली दरें 1 अप्रैल 2025 से लागू की जाएंगी। इससे पहले ही उपभोक्ताओं को उनके बिजली बिलों में बदलाव का नोटिस मिल सकता है। यह बदलाव घरेलू और वाणिज्यिक दोनों प्रकार के उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आएगा।
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राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कटौती सिर्फ एक साल के लिए नहीं है, बल्कि अगले 5 वर्षों तक राज्य में बिजली दरें स्थिर या नियंत्रित रहेंगी। यह फैसला रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) के बढ़ते उपयोग और इकोनॉमिक प्लानिंग का परिणाम है।
मुंबई में नहीं मिल पाएगा राहत का पूरा लाभ
जहां एक ओर राज्य के अन्य हिस्सों में नागरिकों को सस्ती बिजली का लाभ मिलेगा, वहीं मुंबई (Mumbai) के उपभोक्ताओं के लिए यह राहत उतनी प्रभावी नहीं होगी। मुंबई में BEST और Tata जैसी कंपनियां चेंबूर पावर स्टेशन से बिजली लेती हैं, जहां की बिजली अपेक्षाकृत महंगी है।
बिजली विशेषज्ञ अशोक पेंडसे का मानना है कि मुंबई में बिजली ट्रांसमिशन की सीमित क्षमता एक बड़ी चुनौती है। जब तक ट्रांसमिशन चैनलों की क्षमता नहीं बढ़ाई जाती, तब तक बाहर से सस्ती बिजली लाना संभव नहीं है। इसलिए मुंबईकरों को बिजली दरों में तत्काल राहत मिलना कठिन होगा।
Renewable Energy पर फोकस, लागत में कमी की उम्मीद
राज्य सरकार ने बिजली दरों में कटौती के पीछे रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) स्रोतों पर बढ़ते निर्भरता को भी एक कारण बताया है। सोलर और विंड एनर्जी जैसे वैकल्पिक स्रोतों की ओर बढ़ते रुझान ने उत्पादन लागत को नियंत्रित करने में मदद की है।
आने वाले वर्षों में यदि रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग और बढ़ता है, तो बिजली दरों को और भी कम करना संभव हो सकता है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक राज्य की कुल बिजली का 50% हिस्सा रिन्यूएबल स्रोतों से प्राप्त किया जाए।
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विधानसभा चुनाव से पहले सरकार की बड़ी रणनीति
राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह फैसला एक राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बिजली जैसी बुनियादी सेवा में राहत देना सीधे तौर पर आम जनता को प्रभावित करता है, जिससे सरकार को जनसमर्थन मिलने की उम्मीद है।
महायुती सरकार के इस फैसले को चुनावी वादों की पूर्ति के तौर पर देखा जा रहा है, जो राज्य में एक सकारात्मक माहौल बना सकता है।